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    मसूद अज़हर

    संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में बुधवार देर रात को चीन ने वीटो का इस्तेमाल कर मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी की फेरहिस्त में शामिल होने से बचा लिया था। पुलवामा आतंकी हमले को अंजाम देने वाले जैश ए मोहम्मद का सरगना पर एक बार फिर चीन मेहरबान हुआ है।

    यह चौथी दफा है जब चीन ने तकनीकी आधार पर प्रस्ताव को खारिज कर दिया हैं। इस मसौदे को यूएन के अन्य स्थायी सदस्यों ने प्रस्तावित किया था। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस शामिल थे।

    भारत ने इस मसौदे पर निराशा व्यक्त की है, लेकिन आतंकी सरगना को न्याय के कठघरे में खड़ा करने के लिए सभी उपयुक्त मार्गों को इस्तेमाल करने की बात कही है। जो हमारे नागरिकों पर आतंकी हमला करता रहा है।

    विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि “आईएसआईएल और अलकायदा सेंक्शन कमिटी का नो ऑबजेक्शन पीरियड यानि विरोध करने की समयसीमा 13 मार्च को खत्म हो गई थी। लेकिन इसमें मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी सूची में डालने का हमारा मकसद पूरा नही हो सका क्योंकि एक सदस्य ने इस पर अडंगा लगा दिया है।

    अलबत्ता इस बयान में स्थायी सदस्य की पुष्टि नहींं की गई है लेकिन सूत्रो के मुताबिक वह चीन है। खबरो के अनुसार भारत के प्रस्ताव को 10 सदस्य व गैर सदस्य देशों ने समर्थन दिया था।

    यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने ट्वीट कर कहा कि “बड़े, छोटे और कई…एक बड़े देश ने एक बार फिर रोक दिया… एक छोटा संकेत।  सभी बड़े और छोटे देशों का आभार, जिन्होंने हमारे प्रयास का समर्थन किया था।”

    विदेश मंत्रालय ने कहा कि “हम इस परिणाम से नाखुश हैं। विदेशी समुदाय द्वारा जैश ए मोहम्मद के सरगना को आतंकी सूची में शामिल करने को रोकना है। जैश ए मोहम्मद एक सक्रिय और प्रतिबंधित आतंकी संगठन है, जिसने 14 फरवरी को हुए पुलवामा आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी।”

    चीन नें क्यों किया मसूद अजहर का बचाव?

    दरअसल चीन नें पहले ही संकेत दे दिए थे कि वह मसूद अजहर का बचाव कर सकता है। हाल ही में चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि “चीन जिम्मेदाराना व्यवहार निभाना जारी रखेगा और यूएनएससी समिति के विचार विमर्श में शामिल होगा।” मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के बाबत चीन ने कहा कि “मैं कहना चाहता हूँ कि चीन ने हमेशा जिम्मेदाराना व्यवहार किया है, सभी पक्षों की सहमति ही इस समस्या का समाधान है।”

    इसके अलावा हाल ही में अमेरिका नें चीन का नाम ना लेते हुए कहा था कि यह जरूरी है कि सभी देश आतंक में एक साथ रहे और खतरनाक आतंकियों को बचाने की कोशिश ना करें।

    अमेरिका नें कहा था, कि जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी की फेरहिस्त में शामिल न कर पाना क्षेत्रीय स्थिरता और शान्ति के खिलाफ होगा।

    कुछ लोग हालाँकि कह रहे हैं कि चीन के इस कदम के पीछे कुछ और ही कारण है। दरअसल चीन पाकिस्तान में सीपीईसी के जरिये एक बड़ी राशि निवेश कर रहा है।

    ऐसे में चीन को लगता है कि यदि मसूद अजहर के खिलाफ कोई भी कदम उठाया गया तो पाकिस्तान में चीन के कार्यों पर गलत असर पड़ सकता है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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