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    वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की बेंगलुरु में उनके घर के सामने गोली मार के हत्या कर दी, इस हत्याकांड की जांच एसआईटी कर रही है। एसआईटी को शक है की जिन्होंने कन्नड़ साहित्यकार एम.एम. कलबुर्गी की हत्या की थी उन्ही ने गौरी लंकेश की हत्या की है। एसआईटी की ओर से जाँच कर रहे एक अधिकारी ने बताया है कि शुरूआती जाँच में कुछ ऐसी बाते सामने आयी है, जिनसे लगता है कि दोनों हत्याओं के पीछे एक ही संगठन का हाथ हो सकता है।

    खबर के मुताबिक पत्रकार लंकेश को 7.65 एमएम की पिस्टल से गोली मारी गयी थी। वहीं कलबुर्गी को भी 7.65 एमएम की पिस्टल से गोली मारी गयी थी। यह बात जानकर हैरानी होगी कि 16 फरवरी 2015 में महाराष्ट्र के कोल्हापुर में वामपंथी विचारक गोविन्द पनसारे(81) को मारने के लिए भी 7.65 एमएम पिस्टल का इस्तमाल किया गया था।

    जाँच टीम के एक अधिकारी ने बताया कि पनसारे की हत्या में इस्तेमाल एक पिस्टल से 20 अगस्त 2013 को पुणे में नरेंद्र दाभोलकर की हत्या कर दी गयी थी। बीते दिनों कर्णाटक के गृहमंत्री रामलिंगा रेड्डी ने भी कहा था कि गौरी लंकेश हत्याकांड में एसआईटी को कुछ महत्वपूर्ण सुराग मिले है। हत्यारे जल्द पुलिस गिरफ्त में होंगे।

    कलबुर्गी, पनसारे और दाभोलकर को सुबह के वक़्त गोली मारी गयी थी, वहीं गौरी लंकेश को शाम के वक़्त गोली मारी गयी। गौरी लंकेश की हत्या शाम को करने का एक मक़सद ये भी हो सकता है, क्योकि गौरी दिन के वक़्त घर से बहार नहीं निकलती थी। केस की तफ्तीश कर रही एसआईटी हर एंगल से मामले की जाँच कर रही है।

    कर्नाटक स्थित सनातन संस्था और एचजेएस के एक्टिविस्ट जाँच टीम की रडार पर है। जाँच टीम यह भी शक जाता रही है कि क्या इन हत्याओं के पीछे सुपारी किलर्स को हायर किया हो सकता है। जाँच टीम गौरी के फोन रिकॉर्ड , उनके द्वारा लिखी खबरे, सीसीटीवी फुटेज, हाल ही में जेल से बाहर आये कैदियों पर भी निगरानी रख रही है। जाँच टीम पिछले दिनों बेंगलुरु के लॉज और होटल में रुकने वालो की लिस्ट भी चेक कर रही है।