Sat. Apr 27th, 2024
    हार्दिक पटेल जेल दोषी

    गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी महकमों में गहमागहमी का माहौल है। 22 सालों से गुजरात की सत्ता पर काबिज भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए कांग्रेस हर मुमकिन कोशिश कर रही है और भाजपा से नाराज चल रही जातियों को अपनी ओर मिलाने के प्रयास में हैं। कांग्रेस को अपने इस प्रयास में सफलता मिलती नजर आ रही है और गुजरात विधानसभा चुनाव में वह भाजपा के खिलाफ मजबूत बनकर उभरी है। ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं और दलित नेता जिग्नेश मेवानी ने भी कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया है। पाटीदार आन्दोलन के अगुआ और भाजपा के लिए सिरदर्द बने हार्दिक पटेल अब खुलकर कांग्रेस के साथ आ गए हैं। हार्दिक पटेल ने पाटीदार आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस का फार्मूला मंजूर कर लिया है और कांग्रेस को समर्थन देने की बात कही है।

    पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने कहा कि पाटीदार आरक्षण के मुद्दे पर भाजपा का रुख विश्वास करने योग्य नहीं है। हार्दिक पटेल ने कहा, “देश के कई राज्य ऐसे हैं जहाँ 50 फीसदी से अधिक आरक्षण है। कांग्रेस ने गुजरात में उसी तर्ज पर पाटीदारों को आरक्षण देने की बात मानी है। कांग्रेस ने पाटीदारों को आरक्षण देने की मांग को संवैधानिक तौर पर माना है। भाजपा के खिलाफ लड़ना ही कांग्रेस को समर्थन देना है। भाजपा से हमारा संघर्ष जारी रहेगा। मैं जनता से अपील करूँगा कि निर्दलीय उम्मीदवारों को वोट न दें।” हार्दिक पटेल ने कहा कि पाटीदार समाज जिन मांगों को लेकर आंदोलनरत था उनमे से अधिकांश मांगे कांग्रेस ने मान ली है। कांग्रेस अपने चुनावी घोषणा पत्र में आरक्षण समेत पाटीदार समाज की अन्य मांगों को भी शामिल करेगी। उन्होंने सफाई दी कि टिकट बँटवारे को लेकर उनकी कांग्रेस से कोई सौदेबाजी नहीं हुई है।

    भाजपा पर लगाए गंभीर आरोप

    पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने गुजरात की सत्ताधारी भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा और आरोपों की झड़ी लगा दी। हार्दिक पटेल ने भाजपा पर जोड़-तोड़ की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा पाटीदार आन्दोलन से जुड़े हुए नेताओं को 50-50 लाख रुपए में खरीदना चाहती है। हार्दिक पटेल ने पाटीदार आंदोल के शुरूआती दिनों को याद करते हुए कहा, “भाजपा ने मुझे पाटीदार आरक्षण आन्दोलन वापस लेने के एवज में प्रधान सचिव कैलाशनाथन के जरिए 1200 करोड़ रुपये देने की पेशकश की थी। भाजपा ने यह प्रस्ताव मुझे उस समय दिया था जब मैं सूरत जेल में बंद था।” हार्दिक पटेल ने आरोप लगाया कि पाटीदार बाहुल्य इलाकों में भाजपा ने हमारी माँ-बहनों का उत्पीड़न किया है। हार्दिक ने कहा कि भाजपा उन्हें कांग्रेस का एजेंट कहती है। वह कांग्रेस के नहीं वरन जनता के एजेंट हैं।

    हार्दिक पटेल पिछले काफी समय से गुजरात की सत्ताधारी भाजपा सरकार के खिलाफ जहर उगल रहे हैं। इस वजह से गुजरात में भाजपा का परंपरागत वोटबैंक रहा पाटीदार समाज आज कांग्रेस की ओर झुकने लगा है। हार्दिक पटेल ने स्पष्ट किया कि वह पाटीदार समाज के हित के लिए लड़ रहे हैं। कांग्रेस के साथ किसी तरह की कोई सौदेबाजी नहीं हुई है और हमने कांग्रेस से टिकट की मांग नहीं की है। हार्दिक ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस एक सी पार्टियां हैं। पाटीदार आरक्षण की मांग पर भाजपा की नीयत में खोट है और कांग्रेस उनकी आरक्षण की मांग मानने को तैयार है। हार्दिक ने कहा कि वह भाजपा के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। हार्दिक ने लोगों से भाजपा और निर्दलीयों को वोट ना देने की अपील की। परोक्ष रूप से ही सही हार्दिक ने कांग्रेस को समर्थन दिया है।

    हार्दिक का स्पष्ट समर्थन चाहती है कांग्रेस

    कांग्रेस और हार्दिक पटेल पाटीदार आरक्षण के मुद्दे पर एक-दूसरे पर दबाव बना रहे हैं। तमाम नजदीकियों और भाजपा विरोधी बयानों के बावजूद हार्दिक पटेल ने खुलकर लोगों को कांग्रेस को वोट देने की अपील नहीं की है। गुजरात कांग्रेस प्रभारी अशोक गहलोत लगतार इसके प्रयास में लगे हुए हैं। 24 नवंबर को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी गुजरात में होंगे और कांग्रेस की कोशिश है कि हार्दिक, अल्पेश और जिग्नेश राहुल गाँधी के साथ मंच साझा करें। इसी वजह से कांग्रेस पाटीदार नेताओं पर लगातार प्रत्यक्ष रूप से समर्थन देने का दबाव बना रही है। वहीं पाटीदार नेता इस कोशिश में हैं कि कांग्रेस पहले उनकी मांगे अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करे और उनकी पसंद के उम्मीदवारों को टिकट दे। कांग्रेस की पहली सूची में शामिल 2 उम्मीदवारों की उम्मीदवारी पर पाटीदार समाज ने ऐतराज जताया था जिसके बाद उनका पत्ता काट दिया गया था।

    हार्दिक के शागिर्दों को थी टिकट मिलने उम्मीद

    गुजरात की सियासत में पाटीदार समाज के वर्चस्व की वजह से कांग्रेस किसी भी हालत में हार्दिक पटेल को अपने साथ रखने का प्रयत्न कर रही है। हार्दिक पटेल भले ही सक्रिय रूप से राजनीति में ना आए हो पर उनकी राजनीतिक महत्वकांक्षाए किसी से छिपी नहीं है। गुजरात की सियासत में पाटीदारों का प्रभुत्व देखते हुए कांग्रेस ने पाटीदार आन्दोलन के अगुआ हार्दिक पटेल की शर्तों को मानते हुए 8-11 सीटों पर उनकी पसंद के उम्मीदवारों को टिकट देने का फैसला किया था। गुजरात विधानसभा की कुल 182 सीटों में से 70 सीटों पर पाटीदार समाज का प्रभुत्व है। गुजरात में कुल मतदाताओं की संख्या का पाँचवा हिस्सा पाटीदार समाज के वोटरों का है। पाटीदार समाज की नाराजगी का असर वर्ष 2015 में सौराष्ट्र में हुए जिला पंचायत चुनावों में भी देखने को मिला था जब भाजपा क्षेत्र की 11 में से 8 सीटों पर हार गई थी।

    भाजपा ने भी खेला पाटीदार कार्ड

    भाजपा ने गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए जारी 70 उम्मीदवारों की पहली सूची में पाटीदारों को प्रमुखता से जगह देते हुए भाजपा ने 15 पाटीदार उम्मीदवारों को शामिल किया। 70 उम्मीदवारों की सूची में 15 पाटीदारों को जगह देकर भाजपा ने 20 फीसदी जनाधार वाले पाटीदार समाज को मजबूत सन्देश दिया था। गुजरात की सत्ताधारी भाजपा सरकार के खिलाफ आन्दोलनरत पाटीदार समाज के नेता हार्दिक पटेल कांग्रेस के साथ जा चुके हैं और कांग्रेस हार्दिक के वफादारों को चुनाव लड़ाने की सहमति दे चुकी है। पाटीदार आन्दोलन आरक्षण की मांग से कहीं दूर निकल आया है और भाजपा-कांग्रेस एक दूसरे को पाटीदारों का सबसे बड़ा हिमायती साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। हार्दिक पटेल भी सक्रिय राजनीति में आने की अपनी महत्वकांक्षा जाहिर कर चुके हैं।

    पाटीदार आन्दोलन के अगुआ हार्दिक पटेल पहले कांग्रेस को परोक्ष रूप से समर्थन दे रहे थे मगर अब वह प्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस के साथ आ चुके हैं। हार्दिक पटेल ने बीते दिनों यह बयान दिया था कि उनका लक्ष्य पाटीदार आरक्षण नहीं वरन भाजपा को सत्ता से बेदखल करना है। उनके इस बयान के बाद भाजपा ने आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया था और हार्दिक की राजनीतिक महत्वकांक्षाओं को उजागर कर दिया था। इसके बाद आई कथित सीडी की वजह से हार्दिक की छवि को नुकसान पहुँचा है और भाजपा उन्हें निशाने पर ले रही है। भाजपा ने ऐसे नाजुक वक्त में पाटीदारों को उम्मीदवार बनाकर अपना ट्रम्प कार्ड चल दिया है और मुमकिन है यह उसके लिए बाजी पलटने में सफल रहे।

    गुजरात की सत्ता तक पहुँचने की सीढ़ी हैं पाटीदार समाज

    गुजरात की सत्ता तक पहुँचने की अहम सीढ़ी माना जाने वाला पाटीदार समाज 80 के दशक के आखिर में भाजपा की ओर झुकने लगा था। इससे पूर्व पाटीदार कांग्रेस के समर्थक थे। पाटीदार समाज को भाजपा की तरफ मिलाने में वरिष्ठ भाजपा नेता और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल ने अहम भूमिका निभाई थी। 80 के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के “गरीबी हटाओ” के नारे और गुजरात के जातिगत समीकरणों को को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने ‘खाम’ गठजोड़ (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी, मुस्लिम) पर अपना ध्यान केन्द्रित कर लिया जिससे पाटीदार समाज नाराज हो गया। केशुभाई पटेल ने इन नाराज पाटीदारों को भाजपा की तरफ मिलाया। इसके बाद से पाटीदार समाज भाजपा का कोर वोटबैंक बन गया था और भाजपा की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगा था।

    पाटीदार समाज सिर्फ मतदाताओं के आधार पर गुजरात में निर्णायक की भूमिका निभाते हैं यह कहना गलत होगा। गुजरात की मौजूदा भाजपा सरकार के 120 विधायकों में से 40 विधायक पाटीदार समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके अतिरिक्त गुजरात सरकार के 7 मंत्री, 6 सांसद भी पाटीदार समाज से हैं। 2015 में हार्दिक पटेल के नेतृत्व में आरक्षण की मांग को लेकर हुए पाटीदार आन्दोलन के बाद पाटीदार समाज भाजपा से नाराज चल रहा है। भाजपा नाराज पाटीदारों को मनाने का हरसंभव प्रयास कर रही है पर अब तक इसमें सफल नहीं हो पाई है। नरेंद्र मोदी के 2014 में गुजरात छोड़ने के बाद से पाटीदार समाज पर भाजपा की पकड़ ढ़ीली हो गई है। भाजपा के लाख प्रयत्न करने के बावजूद भी पाटीदार समाज के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।