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    कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी

    गुजरात विधानसभा चुनावों को लेकर बुधवार, 15 नवंबर को चुनाव आयोग ने एक बड़ी घोषण की थी। चुनाव आयोग ने सत्ताधारी दल भाजपा को चुनाव प्रचार में ‘पप्पू’ शब्द का इस्तेमाल ना करने का निर्देश दिया था। चुनाव आयोग का मानना था कि भाजपा कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी के लिए ‘पप्पू’ शब्द का इस्तेमाल कर रही है जो अपमानजनक है। चुनाव आयोग ने कहा था कि भाजपा किसी व्यक्ति विशेष को निशाना बनाकर इस तरह के शब्द का इस्तेमाल नहीं कर सकती। चुनाव आयोग ने तत्काल भाजपा को इलेक्ट्रॉनिक विज्ञापनों पर पप्पू शब्द का इस्तेमाल ना करने का निर्देश दिया था। चुनाव प्रचार के लिए भाजपा ने अन्य विकल्पों की सूची बनाकर चुनकर चुनाव आयोग को भेजी थी। चुनाव आयोग ने भाजपा को चुनाव प्रचार में युवराज शब्द का इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी है।

    भारत में ‘पप्पू’ शब्द का इस्तेमाल 2008 के बाद प्रचलन में आया जब फिल्म ‘जाने तू या जाने ना’ के गाने ‘पप्पू कांट डांस साला’ ने धूम मचा दी थी। उसके बाद से किसी काम को कर पाने में अक्षम रहने वाले व्यक्ति को ‘पप्पू’ की संज्ञा दी जाने लगी। संजय दत्त, सैफ अली खान को डांस का ‘पप्पू’ कहा जाने लगा और कमोबेश यही स्थिति राहुल गाँधी की राजनीति में हो गई। गैर कांग्रेसी दलों ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी पर निशाना साधने के लिए पप्पू, अमूल बेबी, शहजादा और युवराज जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। सियासी मंचों से लेकर सोशल मीडिया तक, हर जगह लोग राहुल गाँधी को ‘पप्पू’ बुलाने लगे। इस ‘पप्पू’ शब्द ने भारतीय राजनीति की जड़ों तक अपनी पैठ बना ली। स्थिति ऐसी हो गई कि लोग राहुल गाँधी को उनके असली नाम से कम और ‘पप्पू’ नाम से अधिक जानने लगे।

    ‘युवराज’ को चुनाव आयोग ने दी हरी झंडी

    चुनाव आयोग ने गुजरात विधानसभा चुनाव प्रचार में भाजपा द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे ‘पप्पू’ शब्द को प्रतिबंधित कर दिया था और भाजपा को आगे इसका इस्तेमाल ना करने का निर्देश दिया था। भाजपा ने विकल्प के रूप में युवराज शब्द के इस्तेमाल की अनुमति मांगी थी जिसे चुनाव आयोग ने हरी झंडी दिखा दी। हालाँकि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने कभी पप्पू शब्द पर ऐतराज नहीं जताया था और इसके उलट उनकी राजनीतिक सूझबूझ लगातार बेहतर होती जा रही थी। गुजरात चुनाव प्रचार में उनके बदले तेवरों ने सभी का ध्यान खींचा था और उनके चुनावी अभियान को व्यापक जनसमर्थन भी मिल रहा था। गुजरात के सियासी घमासान में भाजपा और कांग्रेस लगातार एक-दूसरे के खिलाफ मजाकिया विज्ञापनों के जरिए हमला कर रहे हैं।

    चुनाव आयोग ने जताया था ‘पप्पू’ पर ऐतराज

    गुजरात चुनाव आयोग ने गुजरात विधानसभा चुनावों के प्रचार अभियान में भाजपा को ‘पप्पू’ शब्द का इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी थी। भाजपा को भेजे गए पत्र में चुनाव आयोग ने टीवी विज्ञापन, होर्डिंग, बैनर और पोस्टर में ‘पप्पू’ नाम के इस्तेमाल पर ऐतराज जताया था। गुजरात विधानसभा चुनावों के मद्देनजर भाजपा की चुनाव प्रचार सामग्री की जाँच करने के बाद चुनाव आयोग ने कहा था कि भाजपा ने किसी एक खास व्यक्तित्व को इशारा बनाने के लिए ‘पप्पू’ शब्द का इस्तेमाल किया है जो अपमानजनक है। गुजरात चुनाव में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी पर परोक्ष रूप से निशाना साधना मर्यादापूर्ण बात नहीं है। चुनाव आयोग ने भाजपा को इलेक्ट्रॉनिक विज्ञापनों में पप्पू शब्द का इस्तेमाल ना करने का निर्देश दिया था। चुनाव आयोग के इस निर्देश के बाद भाजपा ने अन्य विकल्प तलाशने शुरू कर दिए थे।

    ‘पप्पू’ का विकल्प तलाश रही थी भाजपा

    भाजपा ने चुनाव आयोग द्वारा गुजरात विधानसभा चुनाव प्रचार में ‘पप्पू’ शब्द का इस्तेमाल ना करने के निर्देश जारी करने पर ऐतराज जताया था। भाजपा ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा था कि वह ‘पप्पू’ शब्द से किसी व्यक्ति विशेष को निशाना नहीं बना रही है। भाजपा का कहना था कि उसने चुनाव प्रचार में ‘पप्पू’ शब्द के साथ किसी व्यक्ति विशेष का उल्लेख नहीं किया है। इस लिए चुनाव आयोग का भाजपा को ‘पप्पू’ शब्द का इस्तेमाल ना करने का आदेश देना उचित नहीं है। गुजरात निर्वाचन आयोग के अधीन मीडिया कमेटी ने पिछले महीने भाजपा द्वारा विज्ञापनों में इस्तेमाल किए गए कुछ शब्दों को लेकर आपत्ति जताई थी। चुनाव आयोग का मानना था कि भाजपा ‘पप्पू’ शब्द का इस्तेमाल कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी का मजाक उड़ाने के लिए कर रही है।

    चुनाव आयोग के इस निर्देश के बाद भाजपा गुजरात में विज्ञापनों के लिए अन्य विकल्पों को तलाश रही थी।गुजरात भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा था, “चुनाव प्रचार से जुड़ी कोई भी सामग्री तैयार करने से पहले हमें मंजूरी लेने के लिए उसे गुजरात के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की मीडिया कमेटी को भेजना पड़ता है। कमेटी ने विज्ञापन की स्क्रिप्ट में ‘पप्पू’ शब्द को अपमानजनक करार देते हुए आपत्ति जताई है। हमें इसे हटाने या उसकी जगह कोई दूसरा शब्द इस्तेमाल करने का निर्देश दिया गया है। भाजपा इसका विकल्प तलाश रही है और इसे जल्द ही चुनाव आयोग की मीडिया कमेटी को भेजा जाएगा।” बता दें कि गुजरात विधानसभा चुनावों में प्रचार अभियान में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही आक्रामक तेवर अपना रहे हैं और एक-दूसरे पर सियासी आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।