Sat. Nov 23rd, 2024
    गुजरात विधानसभा चुनाव

    गुजरात विधानसभा चुनाव में सियासत के हजार रंग देखने को मिल रहे हैं। देश में विकास का दूसरा नाम बन चुके गुजरात की सियासत अब जातीय समीकरणों पर आकर रुक गई है। गुजरात में कभी भाजपा का कोर वोटबैंक रहा पाटीदार समाज आज उससे अलग राह चुन चुका है और भाजपा इसी पसोपेश में पड़ी है कि इस नुकसान के भरपाई कैसे करे। भाजपा ने पाटीदारों को मनाने के लिए गुजरात गौरव यात्रा निकाली और इसका आगाज सरदार पटेल के पैतृक गाँव करमसद से किया। भाजपा ने उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची में पाटीदारों को प्राथमिकता दी 70 उम्मीदवारों में से 20 उम्मीदवार पाटीदार चुने। भाजपा ने आन्दोलनरत पाटीदार नेताओं को भी मनाने की बहुत कोशिश की जिसके नतीजन आज पाटीदार आन्दोलन के अगुआ हार्दिक पटेल के कई साथी नेता भाजपा के साथ आ गए हैं।

    पाटीदार बेल्ट है सौराष्ट्र

    भाजपा पाटीदार समाज को साधने की हर मुमकिन कोशिश कर रही है। भाजपा इस बात से अच्छी तरह वाकिफ है कि पाटीदार समाज गुजरात की सियासत में कितनी अहमियत रखता है। पाटीदार समाज की सर्वाधिक आबादी सौराष्ट्र क्षेत्र में निवास करती है जिस वजह से सौराष्ट्र क्षेत्र को गुजरात का पाटीदार बेल्ट भी कहा जाता है। सौराष्ट्र क्षेत्र में कुल 54 विधानसभा सीटें हैं। 2012 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने सौराष्ट्र क्षेत्र की 38 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। हालाँकि पाटीदार आन्दोलन के बाद हुए पंचायत चुनावों में भाजपा को सौराष्ट्र की 11 में से 8 सीटों पर हार मिली थी। पाटीदारों में व्याप्त इस असंतोष से निपटने के लिए भाजपा अब नर्मदा के आशीर्वाद का सहारा ले रही है। सौराष्ट्र के सूखा प्रभावित जिलों की नहरों में सरदार सरोवर बाँध से पानी छोड़ा जा रहा है और किसानों को मनाने की कोशिश की जा रही है।

    सौराष्ट्र के 11 सूखा प्रभावित जिलों में जाएगा नर्मदा का पानी

    गुजरात की सत्ताधारी भाजपा सरकार सितम्बर महीने से सरदार सरोवर बाँध में एकत्र नर्मदा के अतिरिक्त पानी का उपयोग सौराष्ट्र के 11 सूखा प्रभावित जिलों की दशा सुधारने के लिए कर रही है। सरदार सरोवर बाँध के पानी से 115 छोटे बाँधो को भरा जाने का लक्ष्य है। इसके लिए पहले चरण का काम पूरा हो चुका है और 10 बाँधों में नर्मदा का पानी भरा जा चुका है। विधानसभा चुनावों से ठीक पहले पानी मिलने से खेतों में लगी धान की फसल लहलहा उठी थी और क्षेत्र के किसान इससे काफी खुश हैं। इस क्षेत्र में छोटे किसानों की आबादी अधिक है जो पाटीदार समाज से ताल्लुक रखते हैं। ये किसान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से काफी खुश हैं और ऐसे में इनसे भाजपा के खिलाफ जाने की अपेक्षा करना निरा मूर्खता होगी। सौराष्ट्र के किसान अब अपनी फसल काटने में व्यस्त हैं वहीं भाजपा सियासी फसल काट रही है।

    किसानों में बढ़ी भाजपा की धाक

    विपक्षी दलों द्वारा सरदार सरोवर बाँध की ऊँचाई बढ़ाने के फैसले का काफी विरोध हुआ था। भाजपा ने इसे जनहितकारी बताया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं इसकी वकालत की थी। बीते सितम्बर महीने में अपने जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार सरोवर बाँध देश को समर्पित किया था। इस अवसर पर उन्होंने कहा था कि यह बाँध गुजरात की काया पलट कर रख देगा। उनकी यह बातें सच साबित होती नजर आ रही हैं। पेयजल की किल्लत झेलने वाले जामनगर, राजकोट और मोरबी के जलाशयों में नर्मदा का पानी पहुँच चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस फैसले से स्थानीय जनता बहुत प्रसन्न नजर आ रही है। चुनावों से पहले इस परियोजना को मूर्त रूप देकर पीएम मोदी ने सौराष्ट्र में कांग्रेस की दावेदारी पहले ही कमजोर कर दी है।

    सरदार सरोवर बाँध की ऊँचाई बढ़ाने का जितना फायदा पेयजल की समस्या से जूझ रहे स्थानीय नागरिकों को हुआ है उससे कहीं ज्यादा सूखे की मार झेल रहे किसानों को हुआ है। इस क्षेत्र में साधनहीन छोटे किसानों की बड़ी तादात है जो फसलों की सिंचाई के लिए पूरी तरह से नहरों पर आश्रित हैं। नहरों में पानी आने से उनके चेहरे खिल उठे हैं और उनका झुकाव भाजपा की तरफ हो गया है। सौराष्ट्र के राजनीतिक विश्लेषक राज वसावड़ा के अनुसार, “इस क्षेत्र में छोटे किसानों की संख्या अधिक है, जिसमें ज्यादातर पाटीदार हैं। आन्दोलन की शुरुआत यहाँ से हुई थी, लेकिन गांव-गांव व खेत-खेत तक पानी पहुँच जाने से किसान बहुत खुश हैं। नरेंद्र भाई मोदी में उनका भरोसा और पक्का व मजबूत हुआ है, जिसका लाभ भाजपा को चुनाव में हो सकता है। मोदी की अपील पर लोगों का मलाल खत्म हो सकता है।”

    सौराष्ट्र में बढ़ सकती हैं भाजपा की सीटें

    ऐन मौके पर भाजपा सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम का असर गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजों पर पड़ सकता है। पाटीदार बाहुल्य सौराष्ट्र में माहौल धीरे-धीरे भाजपा के पक्ष में बनता जा रहा है। 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सौराष्ट्र की 54 विधानसभा सीटों में से 38 सीटों पर जीत हासिल की थी। उम्मीद की जा रही है कि यह आँकड़ा इस बार 40+ का होगा। परियोजना की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने कहा था, “एक समय कच्छ के लोगों को पीने का पानी मिलना भी मुश्किल हो रहा था, लेकिन अब नर्मदा परियोजना की वजह से उन्हें पर्याप्त मात्रा में पानी मिल सकेगा। देश के किसी भी हिस्से में अगर किसान को पानी मिल जाये तो वह बहुत कुछ करके दिखा सकता है।” क्षेत्रीय नेताओं का कहना है कि सरदार सरोवर बाँध की ऊँचाई बढ़ाकर नरेंद्र मोदी ने सौराष्ट्र क्षेत्र को पानीदार बना दिया है।

    भाजपा को मिला नर्मदा का आशीर्वाद

    नर्मदा नदी यूँ तो मध्य प्रदेश के अमरकंटक की पहाड़ियों से निकल कर महाराष्ट्र और गुजरात से बहते हुए अरब सागर में गिरती है पर यह राजस्थान के सीमावर्ती जिलों के लोगों और खेतों की भी प्यास बुझाती है। सरदार सरोवर बाँध से पैदा होने वाली पनबिजली मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान में सप्लाई की जाती है। सिंचाई के लिए सरदार सरोवर बाँध से मिलने वाले नर्मदा के पानी का इस्तेमाल नर्मदा नहर के मध्यम से गुजरात राज्य के 12 जिलों, 62 तालुकों और 3,393 गाँवों में किया जाएगा। गुजरात के 17,920 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल को नर्मदा के पानी से सींचा जाएगा जिसका 75 फीसदी क्षेत्र सूखा प्रभावित क्षेत्र में आता है। वहीं नर्मदा नहर का पानी राजस्थान के 2 जिलों बाड़मेर और जालौर के 730 वर्ग किलोमीटर के भूमि की सिंचाई जरूरतें पूरी करेगा।

    सरदार सरोवर बाँध और नरेंद्र मोदी
    सरदार सरोवर बाँध देश को समर्पित करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

    महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश अपनी सिंचाई जरूरतों के लिए सरदार सरोवर बाँध पर निर्भर नहीं हैं पर यह बाँध दोनों राज्यों की ऊर्जा जरूरतें पूरी करेगा। वर्तमान में सरदार सरोवर बाँध पर पनबिजली परियोजना के माध्यम से 1,450 मेगा वाट की बिजली उत्पन्न की जा रही है। आगे इसे बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। इलाकाई गाँवों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए नर्मदा नहर पर सौर ऊर्जा प्लांट बनाए जा रहे है जो प्रति वर्ग किलोमीटर 1 मेगा वाट बिजली उत्पन्न करेंगे। गुजरात में विधानसभा चुनाव करीब है और सत्ताधारी भाजपा सरकार ने चुनावों के ठीक पहले सरदार सरोवर बाँध से जुड़ी परियोजनाओं को शुरू कर सौराष्ट्र और कच्छ के मतदाताओं को साधने का काम किया है। सरदार सरोवर बाँध को गुजरात की लाइफलाइन भी कहा जाता है और माना जा रहा है कि नर्मदा का आशीर्वाद पाकर राज्य में भाजपा का शासनकाल भी बढ़ जाएगा।

    अधूरा है नर्मदा नहर का काम

    सरदार सरोवर बाँध का उद्घाटन समारोह विवादों की वजह से चर्चाओं में रहा था। कांग्रेस पार्टी सरदार सरोवर बाँध का श्रेय लेना चाहती थी क्योंकि इस बाँध की आधारशिला पण्डित जवाहर लाल नेहरू ने रखी थी। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन समारोह के दौरान अपने सम्बोधन में कहीं भी पण्डित नेहरू का जिक्र नहीं किया। उन्होंने देश में जल क्रांति लाने का श्रेय बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर को दिया और सरदार पटेल की सोच को दूरदर्शी बताया। अपने सम्बोधन से नरेंद्र मोदी ने चिर परिचित अंदाज में जनता को लुभाया मगर बाँध की जमीनी हकीकत कुछ और ही है। ऊँचाई बढ़ाने से बाँध की जल भण्डारण क्षमता 1,565 मिलियन घन मीटर से बढ़कर 5,740 मिलियन घन मीटर हो गई है और आंकड़ों के हिसाब से अब बिजली उत्पादन के साथ-साथ सिंचाई क्षमता भी बढ़ेगी। लेकिन आंकड़ों की जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयाँ करती है।

    कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला का कहना है कि भाजपा के पिछले 22 सालों के शासनकाल में केवल 18,803 किलोमीटर की लम्बाई तक नहरों का निर्माण हुआ जबकि उनकी प्रस्तावित लम्बाई 90,389 किलोमीटर थी। आधिकारिक कागजात इस बात की पुष्टि भी करते हैं। नहरों के लिए सत्यापित किए गए 71,748 किलोमीटर की लम्बाई की जगह अभी तक सिर्फ 49,313 किलोमीटर की लम्बाई की नहरों का ही निर्माण हो सका है। आंकड़ों के लिहाज से नहर निर्माण काम का 30 फीसदी हिस्सा अभी अधूरा है। नहरों के माध्यम से 36,00,000 हेक्टेयर भूमि को सींचने का लक्ष्य था पर अभी तक 25,00,000 हेक्टेयर भूमि तक ही नहरें पहुँच पाई है। ऐसे में मुमकिन है कि चुनावी फायदे के लिए उठाए गया यह कदम सरदार सरोवर बाँध को उसके निर्धारित सिंचाई लक्ष्यों तक पहुँचने से रोक दे।

    भाजपा के लिए कुबेर का खजाना बना सरदार सरोवर बाँध

    सरदार सरोवर बाँध का असर ना केवल गुजरात की राजनीति पर होगा बल्कि इसका प्रत्यक्ष असर मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र की राजनीति पर भी देखने को मिलेगा। आगामी वर्ष राजस्थान और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव है और 2019 में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होंगे। इन सभी चुनावों में सीमावर्ती जिलों की विधानसभा सीटों पर इस बाँध के शुरू होने का प्रत्यक्ष असर देखा जा सकेगा। यह भी संयोग की ही बात है कि इन चारों राज्यों में भाजपा सत्ताधारी दल है और केंद्र में भी भाजपा की ही सरकार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विपक्षी दल पहले से ही आरोप लगा रहे है कि वह सरदार सरोवर बाँध का इस्तेमाल भाजपा के राजनीतिक फायदे के लिए कर रहे हैं। सरदार सरोवर बाँध इन राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों पर बड़ा असर डालने वाला है और इसके सकारात्मक रहने के आसार नजर आ रहे हैं।

    भाजपा का ‘पानीदार’ कार्ड साबित होगी नर्मदा

    सरदार सरोवर बाँध को देश को समर्पित करते वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, “देश में कई विरोधी ताकतें ऐसी थी जो नहीं चाहती थी कि यह बाँध बने लेकिन लोगों के सहयोग की वजह से ही यह संभव हो पाया है। यह इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट चमत्कार है। जितना विरोध इस प्रोजेक्ट का हुआ है उतना किसी और प्रोजेक्ट का नहीं हुआ। लेकिन आज यह नए भारत के निर्माण की मजबूत मिसाल बनकर आपके सामने खड़ा है।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सम्बोधन के दौरान सरदार पटेल और बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर को तो याद किया पर उन्होंने बाँध की आधारशिला रखने वाले पण्डित जवाहर लाल नेहरू का कहीं भी जिक्र नहीं किया। इसके बाद से ही उनके सम्बोधन को राजनीति से जोड़कर देखा जाने लगा। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि भाजपा इसका श्रेय अपने राजनीतिक फायदे के लिए ले रही है।

    इस बाँध की वजह से सबसे ज्यादा फायदा गुजरात के लोगों को ही होगा। ऐसे में भाजपा इसे प्रमुख चुनावी मुद्दा बना रही है और कांग्रेस के खिलाफ प्रचारित कर रही है। भाजपा ने सौराष्ट्र क्षेत्र में सरकार के खिलाफ आन्दोलनरत पाटीदारों को मनाने के लिए नर्मदा का ‘पानीदार’ कार्ड चल दिया है। अब यह देखना है कि बाजी किसके हाथ लगती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाँध को देश को समर्पित करने के दौरान दिए गए सम्बोधन में इशारों-इशारों में ही कांग्रेस को इस प्रोजेक्ट में हुई देरी के लिए जिम्मेदार ठहराया था और कांग्रेस पर कई बार तंज कसे थे। एक बात तो तय है कि आगामी गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा को नर्मदा का आशीर्वाद मिल चुका है पर यह कितना असरकारक साबित होगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।