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    डीसा में बीजेपी को हराना है मुश्किल

    आलू की खेती के लिए प्रसिद्ध डीसा गुजरात विधानसभा चुनावों की वजह से आज-कल राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। डीसा विधानसभा सीट गुजरात की 182 सीटों में से एक है। यह बनासकांठा जिले में स्थित है। 2011 के सेन्सस आंकड़ों के अनुसार डीसा शहर की कुल आबादी 1,11,160 है। यहाँ की कुल आबादी में पुरुषों की भागीदारी 58,657 है वहीं 52,503 आबादी महिलाओं की है।

    2014 लोकसभा चुनाव के आंकड़ों के अनुसार डीसा विधानसभा क्षेत्र में 252 मतदान केंद्र है तथा 2,30,537 मतदाता है। 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लीलाधर वाघेला यहाँ से विधायक निर्वाचित हुए थे। 2012 के विधानसभा चुनावों में वाघेला ने कांग्रेस के राजेंद्र कुमार जोशी को 17,706 वोटों से हरा दिया था।

    डीसा की साक्षरता दर 70 प्रतिशत है। डीसा की पुरुष साक्षरता 76 फीसदी है और महिला साक्षरता दर 61 फीसदी है। डीसा का लिंगानुपात 895 है। इस क्षेत्र में अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या 6,404 है तथा अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं की संख्या 3,893 है।

    धर्म

    कुल योग

    हिन्दू

    85.91

    मुस्लिम

    10.81

    सिख

    0.08

    ईसाई

    0.23

    बौद्ध

    0.01

    जैन

    2.8

    अन्य

    0

    2011 के अनुसार डीसा के जनसंख्या का धार्मिक आंकलन

    डीसा विधानसभा क्षेत्र की बहुसंख्यक आबादी हिन्दू है। यहाँ पर हिन्दुओं की आबादी 85.91 फीसदी है। अन्य धर्मों के लोग यहाँ पर अल्पसंख्यक समाज के अंतर्गत आते हैं। मुस्लिम, ईसाई, जैन, बौद्ध तथा सिख धर्म को माने वाले लोग भी यहाँ निवास करते हैं। चुनावी सहूलियत के लिए डीसा को 12 अलग-अलग वार्डों में बाँटा गया है। पिछले पांच विधानसभा को देखने के बाद लगता है कि इस जगह पर बीजेपी का ही सिक्का चलता है। यही कारण है कि इस बार भी सीट पर बीजेपी के जीतने कली प्रबल सम्भावना नजर आ रही है।

    उल्लेखनीय है कि इस जगह से 1995 के बाद कांग्रेस मात्र एक विधानसभा चुनाव ही जीत पाई है और वह है 2002 के विधानसभा चुनाव। सबसे बड़ी बात यह है कि उस चुनाव में भी कांग्रेस की जीत और बीजेपी की हार में कोई विशेष अंतर नहीं था। ऐसे हाल में बीजेपी को इस सीट से हरा देना कांग्रेस के लिए उठना ही कठिन है जितना कि समुंदर में से किसी अंगूठी को ढूंढ़ना।