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    भाजपा के पक्ष में क्रॉस वोटिंग

    गुजरात में तीन राज्यसभा सीटों के लिए मतदान जारी है। भाजपा से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की जीत तय मानी जा रही है वहीं दिग्गज कांग्रेसी नेता अहमद पटेल की उम्मीदवारी खतरे में नजर आ रही है। अभी तक उनके पक्ष में खड़े 44 विधायकों में से एक विधायक ने कांग्रेस से भाजपा में आये बलवंत सिंह राजपूत के समर्थन में वोट किया है। इससे पहले भी कांग्रेस के 7 बागी विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार बलवंत सिंह राजपूत के पक्ष में मतदान करने की बात कही थी। अहमद पटेल को राज्यसभा भेजने के लिए कांग्रेस को 45 विधायकों के समर्थन की दरकार है और अभी तक उसके पक्ष में 43 वोट ही पड़े हैं। सारे कांग्रेसी विधायक मतदान कर चुके हैं और ऐसे में अहमद पटेल को अन्य दलों से समर्थन मिलने की उम्मीद कम है। बेंगलुरु के रेसॉर्ट में रुके 44 विधायकों में से एक करम सिंह मकवाड़ा ने क्रॉस वोटिंग की है। कांग्रेस विधायकों द्वारा की जा रही क्रॉस वोटिंग के कारण अहमद पटेल की सीट फंसती नजर आ रही है।

    दोपहर एक बजे तक 185 में से 104 विधायकों ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर लिया था। इनमें कांग्रेस के 43 और भाजपा के 61 विधायक शामिल थे। कांग्रेस की प्रमुख सहयोगी एनसीपी ने भी भाजपा उम्मीदवार बलवंत सिंह राजपूत के समर्थन में मतदान करने की घोषणा कर कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। निर्दलीय उम्मीदवारों ने पहले ही भाजपा का साथ देने की बात कही थी और राजपूत को जेडीयू के एक विधायक का समर्थन मिलने की भी उम्मीद है। इस बीच गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि यह चुनाव भाजपा ही जीतेगी क्योंकि चुनावों की घोषणा के बाद से ही पार्टी ने तैयारियां शुरू कर दी थी। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने बागी शंकर सिंह वाघेला को कहा है कि उन्हें याद करना चाहिए कि कांग्रेस पार्टी ने पिछले 20 सालों में उनके लिए क्या-क्या किया है। गौरतलब है कि शंकर सिंह वाघेला ने मतदान के बाद कहा था कि उन्होंने अहमद पटेल को वोट नहीं दिया है क्योंकि वह हारने वाले हैं। वाघेला के भाजपा के साथ जाने से सारे सियासी समीकरण भाजपा के पक्ष में जाते दिख रहे हैं।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।