Fri. Apr 26th, 2024
    विजय रुपाणी

    गुजरात में लगातार छठी बार भारतीय जनता पार्टी अपनी सरकार स्थापित करने जा रही है। बतौर मुख्यमंत्री विजय रुपाणी दूसरी बार मुख्यमंत्री की शपथ लेंगे। गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी के पक्ष में आये नतीजों ने पार्टी को सोचने पर मजबूर कर दिया है, क्योकि भारतीय जनता पार्टी के साथ गुजरात में ऐसा पहली बार हुआ है कि पार्टी के खाते में 100 से कम सीटें आई हो। चुनाव के दौरान भाजपा अपने कई मुद्दों को लेकर बैकफुट पर थी, लेकिन विजय रुपाणी के मुख्यमंत्री बनते ही ये मुद्दे उनके लिए मुश्किल खड़ी कर सकते है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव के दौरान कुछ मुद्दों को दरकिनार कर चल रही थी, जिन्हें सरकार बनने के उपरांत बीजेपी के लिए चुनौतियों के रूप में देखा जायेगा।

    कौन कौन सी चुनौतियाँ हैं बीजेपी के सामने?

    1- ग्रामीण क्षेत्रों में बीजेपी की छवि बरक़रार
    विजय रुपाणी और नितिन पटेल के पदभार सँभालने के बाद सबसे बड़ी चुनौती ग्रामीण क्षेत्रों में बीजेपी की पकड़ मजबूत करने की है। बीते गुजरात विधानसभा चुनाव में पार्टी ने जो ग्रामीण क्षेत्र से पकड़ ढीली कर कांग्रेस को मजबूत किया है उससे पूरी पार्टी सकते में नजर आ रही है। पार्टी विशेष कर इन मुद्दों पर ज्यादा धयान देगी। वही आगामी आम चुनाव के मद्देनजर विजय रुपाणी और नितिन पटेल को ग्रामीण क्षेत्रों को गुजरात के विकास मॉडल से जोड़ना पड़ेगा। भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात के चार बड़े शहरो में ही ज्यादा सीटें जीती है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में पार्टी ने अपनी पकड़ खो दी है।

    2- पटेलों के बीच पैदा हुए मतभेद को दूर करना
    गुजरात में बीजेपी का 100 सीटों के अंदर सिमट जाना इसका सबसे बड़ा कारण आरक्षण की मांग कर रहे पटेलों की नाराजगी है। अब भारतीय जनता पार्टी इस नाराजगी को दूर करने के कयास में जुटेगी। देखा जाए तो 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने गुजरात में सारी सीटों पर विजय हासिल कर एक तरफा परिणाम पार्टी के पक्ष में दिया था और प्रधानम्नत्री नरेंद्र मोदी को एक मजबूत स्थिति में होने का दमखम दिखाया था। लेकिन जिस तरह से कांग्रेस ने गुजरात चुनाव में पटेलों और बीजेपी को अलग करने की मुहीम छेड़ी है। उसको देखते हुए पार्टी आलाकमान 2019 आम चुनाव लेकर काफी चिंतित है। लिहाजा पार्टी ने विजय रुपाणी और नितिन पटेल को गुजरात के शीर्ष पर रखकर पार्टी के आलाकमान ने यह जिम्मेदारी दी है कि राज्य में पटेल वोटबैंक की पूर्ति की जाए। ताकि 2019 आम चुनाव में पटेलों से किसी प्रकार की नाराजगी का सामना ना करना पड़े।

    3- 2019 में गुजरात गढ़ बचाना
    गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने खाते में सीटों का इजाफा कर बीजेपी को एक बार फिर सकते में डाल दिया है। बीजेपी को यह डर सता रहा है कि कही 2019 के लोकसभा चुनाव का समीकरण बिगड़ ना जाए। जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने गुजरात में सारी सीटों पर अपना कब्ज़ा जमाये रखा और नरेन्द्र मोदी को मजबूत स्थिति में ला खड़ा किया। लेकिन गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन से बीजेपी को 2019 के लोकसभा चुनाव में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन बीजेपी इस चुनौती को एक परिणाम के तौर पर देख रही है। 2014 के आम चुनाव में बीजेपी ने गुजरात से कांग्रेस का सफाया कर दिया था। लेकिन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने पक्ष में सीटों की बढ़ोतरी कर के 2019 आम चुनाव में बीजेपी को खतरे का संकेत दे दिया है।

    4- एक मजबूत विपक्ष से निपटना
    गुजरात में बीजेपी सरकार के बीते चार कार्यकाल में तीन के दौरान नरेन्द्र मोदी खुद राज्य का नेतृत्व कर रहे थे। उस दौरान लगातार राज्य में कांग्रेस एक कमजोर विपक्ष की भूमिका में रही। लेकिन विजय रूपाणी की पिछली बीजेपी सरकार के बाद पार्टी को एंटीइन्कंबेंसी के असर से सत्ता गंवाने का गंभीर खतरा खड़ा हो गया था। लेकिन बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी अपने पार्टी के व्यक्तित्व को बचाने में सफल रही है फिर भी पार्टी अपने समक्ष एक मजबूत विपक्ष लाने से नहीं रोक पाई। इस बीजेपी के लिए सरकार में आना एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। जो पिछले सरकार की अपेक्षा इस बार बीजेपी को एक मजबूत विपक्ष के रूप में मिला है।

    5- युवा नेताओ के बीच अपने तजुर्बे को पेश करना
    गुजरात में बीजेपी सरकार के लिए सबसे बड़ी राहत है कि विपक्ष के खाते में ऐसे युवा नेता है, जो सदन की दहलीज पर पहली बार अपने आप को पेश करेंगे। हालाँकि बीजेपी को इसका फायदा उठाने के लिए अपने तजुर्बे का सहारा लेना होगा। अगर देखा जाए तो यह युवा नेता जनता के बीच में मुखर रहे है जो कि बीजेपी के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकते है।

    भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओ को अपने तजुर्बे से विपक्ष के इन युवा नेताओ को पीछे छोड़ना होगा। अगर भाजपा की नई सरकार ऐसा करने में विफल रहती है तो 2019 के लोकसभा चुनाव में यह युवा शक्ति गुजरात चुनाव का समीकरण बदल सकती है। इस बार गुजरात के सदन में जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकोर जैसे कई युवा सदन में पहुंचे है, जो बीजेपी के लिए सरदर्द साबित हो सकते है।