सुशांत सिंह राजपूत और सारा अली खान अभिनीत फिल्म “केदारनाथ” का जबसे ट्रेलर लांच हुआ है, ये तभी से सुर्खियों में बनी हुई है। इस फिल्म के खिलाफ कई लोगो ने शिकायत दर्ज कराई और यहाँ तक कि उत्तराखंड में तो इस फिल्म के रिलीज़ पर प्रतिबन्ध भी लग गया है। दक्षिण पंथी समुदाय का इस फिल्म पर आरोप है कि ये हिन्दू समाज की धार्मिक भावनायों को ठेस पहुँचा रही है और साथ ही लव-जिहाद को बढ़ावा दे रही है। मगर इस फिल्म के निर्देशक अभिषेक कपूर का कहना है कि उनका इरादा कोई विवाद खड़ा करने का नहीं था।
उनके मुताबिक, “अगर आप देखे कि वर्तमान में हम जिस अवस्था में हैं, ये सारा चुनाव हिन्दू-मुस्लिम राजनीती पर लड़ा गया है और इसके बाद आपके पास सबरीमाला मुद्दा भी चल रहा है। अगर आप ये फिल्म देखेंगे तो आपको दिखेगा कि ये इन सभी मुद्दों को छु रही है। ये काफी नाजुक विषय है जिसको हमने छुआ है।”
पीटीआई को दिए इंटरव्यू में उन्होंने ये भी बताया-“यही चुनौती खड़ी होती है। लोगो को बिना ठेस पहुँचाये आप वो कह सको जो आप कहना चाहते हो। इसके लिए इन्सान को गहराई से समझना बहुत जरूरी होता है। आप कोई भी कहानी ले सकते हो, घुमा सकते हो और उसे निंदा और विवादित बना सकते हो। मगर हमारा इरादा ये नहीं था। हमारा इरादा उपचार पहुँचाने का था, समझ में आने का था।”
अभिषेक कपूर इससे पहले अपने फिल्म ‘काई पो चे’ में भी राजनीती का अंश दिखा चुके हैं जिसमे तीन दोस्तों की दोस्ती का इम्तेहान होता है जब उनके सामने गोधरा कांड और सांप्रदायिक दंगे आते हैं।
उनके अनुसार, “मैं बहुत भारतीय फिल्में बनाने की कोशिश करता हूँ। हम केवल समाज को आईना दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। मैं बिलकुल भी स्पष्ट इन्सान नहीं हूँ नाही ज्यादा बोलता हूँ। इसलिए मुझे अपने देश के बारे में जो भी लगता है और जो मैं कहना चाहता हूँ, मैं फिल्मो के जरिये कह देता हूँ। यही तुम हो। अगर मेरी फिल्मो में अक्सर ये चीज़े दिखाई जाती हैं तो मतलब ये सब चीज़े वास्तव में हो रही हैं। धर्म-काफी स्पष्ट हैं, मौजूद है बिलकुल तुम्हारे सामने।”
“केदारनाथ” पिछले हफ्ते शुक्रवार को ही रिलीज़ हुई है और इस फिल्म को दर्शको का बहुत प्यार भी मिल रहा है। हालाकि फिल्म समीक्षकों ने ये दावा किया है कि “केदारनाथ” और एक महान प्रेम गाथा ‘टाइटैनिक’ में बहुत सारी समानताएं हैं। और साथ ही ये भी कहा कि अभिषेक कपूर, जेम्स कैमीरों के क्लासिक की नक़ल करते हैं। इसपर अभिषेक ने कहा-“अगर आप मुझसे पूछे तो ‘टाइटैनिक’ काफी हद तक किसी बॉलीवुड फिल्म जैसी लगती है। इस फिल्म में भी एक प्रष्ठभूमि हैं और एक प्रेम-कहानी मौजूद है, इसके अलावा इस फिल्म में और मेरी फिल्म में कुछ भी समानताएं नहीं है। ‘टाइटैनिक’ में कितने विएफेक्स और स्पेशल इफेक्ट्स डाले गए थे।”
“केदारनाथ विएफेक्स पर आधारित नहीं है। विएफेक्स सिर्फ आपको कुछ चीज़े समझाने के लिए हैं, आपको प्रभावित करने के लिए नहीं। ये ऐसी फिल्म है ही नहीं। ये आपके बारे में, मेरे बारे में, देश के बारे में, हमारे मुद्दों के बारे में, हमारी हिन्दू-मुस्लिम विभाजन के बारे में और शिव जी के बारे में हैं।”
अभिषेक ने आगे कहा कि जब फिल्म समीक्षक ये फिल्म देख रहे थे तो उनके अन्दर कई सारी उमीदे थीं। “उन्होंने मेरी पुरानी फिल्में देखी होंगी और उस निर्देशक की तलाश कर रहे होंगे जिन्होंने वो फिल्में बनाई थी। मेरी कोशिश बस उससे अलग करने की थी। मैं खुद को गायब करके फिर से कुछ नया करना मंजूर करूँगा। मैं हर बार एक नया निर्देशक बनना चाहता हूँ। ये हस्ताक्षर करना कि ये मेरी फिल्म है…….मेरी लिए बहुत अहंकारी है। मैं सोचता हूँ कि लोगो ने, जैसी ये फिल्म है उसे ऐसे नहीं देखा, बल्कि जैसी होनी चाहिए वैसे देखा है। जो मुझे लगता है कि निष्पक्ष नहीं है।”