Sat. Apr 27th, 2024
    पीयूष गोयल रेलवे डीजल

    रविवार, 3 सितम्बर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कैबिनेट का विस्तार किया। यह पिछले 3 वर्षों के कार्यकाल के दौरान मोदी सरकार का तीसरा मन्त्रिमण्डल विस्तार था। मन्त्रिमण्डल के 4 मौजूदा मंत्रियों निर्मला सीतारमण, धर्मेंद्र प्रधान, पीयूष गोयल और मुख़्तार अब्बास नकवी को पदोन्नति देकर कैबिनेट में शामिल किया गया। वहीं सुरेश प्रभु, उमा भारती और विजय गोयल को पदावनत किया गया। मन्त्रिमण्डल की फेरबदल में कुल 32 मंत्रियों के पोर्टफोलियो बदले गए। इस मन्त्रिमण्डल विस्तार में एनडीए के किसी भी सहयोगी दल को शामिल नहीं किया गया। इस मन्त्रिमण्डल विस्तार में 9 नए चेहरों को जगह दी गई थी और सभी नए चेहरे भाजपा के ही थे।

    गोयल ने की प्रभु की तारीफ

    नवनियुक्त रेल मंत्री पीयूष गोयल ने पूर्व रेल मंत्री सुरेश प्रभु की खुले दिल से तारीफ की। उन्होंने कहा, “प्रभु को मैं पिछले 20 सालों से जानता हूँ। हमने कई बार साथ में काम भी किया है। वह मेरे मार्गदर्शक रहे हैं और पिछले 20 सालों से उन्होंने मेरा मार्गदर्शन किया है। आज मेरे लिए काफी भावुक दिन है।” पीयूष गोयल द्वारा रेलवे का पदभार ग्रहण करते वक्त सुरेश प्रभु भी वहीं मौजूद थे। पीयूष गोयल ने आगे कहा, “अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार में सुरेश प्रभु ने मेरे पिता के साथ काम किया है। उस समय उन्होंने जो समर्थ दिखाया था आज उसी के परिणाम स्वरुप देश ऊर्जा के क्षेत्र में समर्थवान बन सका है।” सुरेश प्रभु उस समय नदियों को जोड़ने वाले कार्यबल के प्रमुख थे और गोयल उसके सदस्य थे।

    काँटों भरा है गोयल का सफर

    पीयूष गोयल ने बतौर ऊर्जा मंत्री अपने 3 वर्षों के कार्यकाल में सबको प्रभावित किया है। उनके नेतृत्व में देश में रिकॉर्ड रफ्तार से विद्युतीकरण हुआ है। पीयूष गोयल का पिछले 3 वर्षों में बतौर ऊर्जा मंत्री कार्यकाल सराहनीय रहा है और उन्हें कोयला और बिजली क्षेत्रों में लागू हुए सुधारों का श्रेय दिया जाता है। ग्रामीण विद्युतीकरण निगम के अनुसार देश के 13,685 गाँवों के विद्युतीकरण का काम 20 जून, 2017 तक पूरा हो चुका था और 2018 तक शेष 4,141 गाँवों का विद्युतीकरण कर लिया जाएगा। ऊर्जा मंत्रालय का कार्यभार संभालने के वक्त पीयूष गोयल को अधिक मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ा था। लेकिन रेल मंत्रालय की कहानी इससे इतर है। हाल के कुछ समय में रेल दुर्घटनाएं बढ़ी हैं और सुरक्षा को लेकर जनता का विश्वास रेलवे से उठ रहा है। ऐसे में जनता के खोये विश्वास को हासिल करना पीयूष गोयल के लिए चुनौती होगी।

    यात्रियों की सुरक्षा होगी प्राथमिकता

    रेल मंत्री का पदभार संभालने के बाद पीयूष गोयल ने अपने ट्विटर हैंडल पर ट्वीट किया, “भारत के लोगों के लिए बेहतर कनेक्टिविटी, गतिशीलता और सेवा की दिशा में काम करने का लक्ष्य है।” रेल मंत्री बनने के बाद रेल यात्रा को सुरक्षित और सुविधाजनक बनाना पीयूष गोयल की पहली प्राथमिकता होगी। पूर्व रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने लम्बी अवधि के वित्त प्रबंधन और रेल विकास प्राधिकरण स्थापित करने की दिशा में जो कदम उठाए हैं, निश्चित रूप से पीयूष गोयल को उसका लाभ मिलेगा। अपने कार्यकाल के दौरान सुरेश प्रभु ने ऐसी नींव तैयार की है जिसके आधार पर पीयूष गोयल आधुनिकीकरण, क्षमता विस्तार और तकनीकी उन्नयन का काम तेजी से आगे बढ़ा सकते हैं। यह सारी योजनाएं अभी तक धन की कमी के कारण अटकी हुई थी।

    महत्वपूर्ण होगा नौकरशाही पर नियंत्रण

    पिछले 3 वर्षों के दौरान भारतीय रेलवे में जमीनी सत्तर पर काफी सुधर देखने को मिले हैं। साफ-सफाई से लेकर खान-पान तक हर क्षेत्र में रेलवे ने सुधार किया है। यात्री सुविधाओं में भी काफी इजाफा हुआ है। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने अपने कार्यकाल के दौरान यात्री शिकायतों और सुझावों के लिए ट्वीटर पर जो मुहिम छेड़ी थी वह मोदी सरकार के सबसे प्रभावशाली कदमों में से एक थी। इस वजह से सुरेश प्रभु काफी लोकप्रिय भी हुए थे। लेकिन अपने कार्यकाल के दौरान सुरेश प्रभु नौकरशाही पर नियंत्रण रखने में विफल रहे थे। यही उनके कार्यकाल की सबसे बड़ी खामी रही थी। पीयूष गोयल के लिए नौकरशाही को संभालना भी बड़ी चुनौती होगी। नौकरशाही के काम करने का तरीका आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में बाधा है। इसे दूर करने के लिए उन्हें नौकरशाही का अच्छी तरह इस्तेमाल करना होगा।

    प्रभु ने ली थी दुर्घटनाओं की नैतिक जिम्मेदारी

    हाल के कुछ दिनों में देश में एक के बाद एक कई रेल दुर्घटनाएं हुई थी। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने इन घटनाओं की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपने इस्तीफे की पेशकश की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था और उन्हें इंतजार करने को कहा था। सुरेश प्रभु मोदी कैबिनेट के सबसे लोकप्रिय मंत्रियों में से एक रहे हैं और रेलवे में सुधार के लिए उनके द्वारा चलाई गई योजनाएं लोगों ने काफी सराही भी हैं। ऐसे में मोदी सरकार नहीं चाहती थी कि सुरेश प्रभु के इस्तीफे को रेल दुर्घटनाओं से जोड़कर देखा जाए। इसी वजह से कैबिनेट विस्तार के वक्त उनका मंत्रालय बदल दिया गया।

    सुरेश प्रभु इस्तीफा
    प्रभु ने ली थी रेल दुर्घटनाओं की नैतिक जिम्मेदारी

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।