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    गिलगिट ब्वाल्तिस्तान के कार्यकर्ता

    गिलगिट बाल्टिस्तान के कार्यकर्ता ने गुरूवार को पाकिस्तान को कपटी कहकर समबोधित किया और कहा कि इस्लामाबाद एक अभिग्राही है जिसका कश्मीर के लिए समर्थन दिखावटी और अगंभीर है। वे बीते 70 वर्षो से पाकिस्तान अधिग्रहित कश्मीर में अत्यचार कर रहे हैं।

    पाक का दोहरा चरित्र

    इंस्टिट्यूट ऑफ़ गिलगिट बाल्टिस्तान स्टडीज के निदेशक संगे एच सेरिंग ने यूएन के 42 वें सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि “गिलगिट बाल्टिस्तान के नागरिक कह रहे हैं कि पाकिस्तान कपटी है, दोहरे चरित्र का है, जम्मू कश्मीर की परेशानियों से कोई ताल्लुक नहीं, पाक एक अपराधी देश है और एक अभिग्राही है।”

    उन्होंने कहा कि “मैं गिलगिट बाल्टिस्तान से हूँ और पाकिस्तान बाल्टिस्तान को प्रताड़ित कर रहा है। मैंने पाकिस्तान को कश्मीर के दोस्त के रूप में कभी नहीं देखा है। यह सोचना मेरे लिए बेहद हैरतंगेज है कि पाकिस्तान कश्मीर घाटी के के बारे में बात कर रहा है जबकि बीते 70 सालो से गिलगिट बाल्टिस्तान में अत्याचार कर रहा है।”

    जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के बाद पाकिस्तान कश्मीर मामले का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की कोशिश कर रहा है। यूएनएचआरसी में विदेश मन्त्री शाह महमूद कुरैशी ने कश्मीर पर मनगढ़ंत दावे किये, बहरहाल पाकिस्तान को भारतीय प्रतिनिधि समूह ने कड़ा जवब दिया था।

    यूएन में कुरैशी के संबोधन के दौरान मुख्यालय के बाहर पाकिस्तान में मानव अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा था। सेरिंग ने कहा कि “अगर पाकिस्तानी वाकई यूएन के प्रस्ताव का सम्मान करता है तो गिलगिट बाल्टिस्तान से अपने सैनिको को वापस बुला ले। पाकिस्तान को बाल्टिस्तान से हटने के लिए 90 दिनों का वक्त दिया था और इसके 70 सालो बाद भी वह आज वाही मौजूद है। वह हमारे संसाधनों को चोरी कर रहा है और स्थानियों को एक फूटी कोडी भी नहीं दे रहा है।”

    घाटी पर परिवर्तन में दुनिया के जज्बात जाग गए

    उन्होंने कहा कि “जम्मू कश्मीर पर दुनिया की विचार हैं और उन्होंने पाकिस्तान द्वारा पीओके और गिलगिट बाल्टिस्तान पर अतिक्रमण को नजरअंदाज किया था। जब साल 1949 में पाकिस्तान ने पीओके से गिलगिट बाल्टिस्तान को अलग किया था, वह क्षेत्र का पुनर्गठन था। दुनिया ने चुप्पी साध रखी थी, किसी ने एक शब्द नहीं कहा। पाकिस्तान ने साल 1960 में गिलगिट बाल्टिस्तान से 12000 वर्ग किलोमीटर चीन को सौंप दिया, सब चुप थे। दुनिया सोचती थी कि यह सामान्य है और यह पाकिस्तान का आंतरिक कारोबार है।”

    उन्होंने कहा कि “इसके बाद पाकिस्तान ने शित्रंग जिले को अलग किया ,अचानक जब कुछ घाटी में हुआ तो सबके जज्बात जाग गए और सबको दर्द का अहसास हुआ और सोचा भारत अपने संविधान के साथ समझौता कर रहा है। भारत ने अपने संविधान में संशोधन किया है।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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