एफआरडीआई बिल 11 सिंतबर 2017 को लोकसभा में पेश किया गया था, जो अभी संसद की संयुक्त समिति के पास विचाराधीन है। एफआरडीआई बिल को संसद के शीलकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है। एफआरडीबाई बिल इन दिनों विविदास्पद खबरों में बनी हुई है।
एफआरडीआई बिल को लेकर वित्त मंत्री अरूण जेटली को सफाई भी देनी पड़ी है। उन्होंने अपने हालिया बयान में कहा है कि इस बिल के जरिए बैंक डिपॉजिटर्स के सभी अधिकार ना केवल सुरक्षित रहेंगे बल्कि उन अधिकारों को और मजबूत बनाया जाएगा।
एफआरडीआई विधेयक पारित करने का उद्देश्य
एफआरडीआई विधेयक सभी वित्तीय संस्थाओं बैंकों, बीमा कंपनियों आदि के व्यवस्थित समाधान के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण का हिस्सा हैै। यह विधेयक बैंकों के दिवालिया होने की स्थिति में उनके विलय अथवा पुर्नद्धार की प्रक्रिया तैयार करता है। लेकिन हालिया बिल में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, आपको बता दें कि यदि कोई बैंक असफल होता है तो उसे या तो बंद कर दिया जाएगा या फिर उसका विलय अन्य बैंकों के साथ कर दिया जाएगा।
2008 के वित्तीय संकट के बाद अधिकांश वित्तीय संस्थान असफल हो गए थे। केंद्र सरकार ने लोगों के बैंकिंग क्षेत्र में सक्रिय करने तथा बैंकों प्रोत्सोहित करने के लिए जनधन योजना के तहत ज्यादा संख्या में खाता खोलवाए। यहीं नहीं राजनीतिक रूप से नोटबंदी आदि तक की घोषणाएं की। ऐसे में किसी बैंक या इन्श्योरेंस फर्म के असफल होने की स्थिति में यह विधेयक और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है।
एफआरडीआई विधेयक के मुख्य प्रावधान
एफआरडीआई विधेयक में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के सभी बैंकों को सहायता देनी संबंधी सरकार के अधिकारों को किसी भी रूप में सीमित करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। बैकों में मौजूद पूंजी, सुरक्षा, मजबूत वित्तीय स्थिति एवं प्रणालीगत स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।
एफआरडीआई विधेयक एक व्यापक समाधान व्यवस्था सुनिश्चित करके बैंकिंग प्रणाली को और मजबूत करेगा। देश में बैंकों को विफल होने से बचाने तथा जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिए हरसंभव नीतिगत कदम उठाए जाते हैं। बैंकों के असफल होने की स्थिति में जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा को लेकर उपाय किया जाएगा।
क्या है चिंता का विषय
किसी वित्तीय संस्थान के कमजोर या फिर असफल होने से बचाने के लिए पूंजी लगाने के लिए सार्वजनिक निधियों का इस्तेमाल किया जाता है। ग्राहकों की चिंता है कि बैंक अपने उपभोक्ता से पूछे बिना ही उसके खाते में जमा पैसों को स्थानान्तरित कर सकता है, या फिर ब्याज दरें और कम कर सकता है।
ऐसे में उपभोक्ताओं को नुकसान हो सकता है। उपभोक्ताओं का कहना है कि उन्होंने बहुत परिश्रम से अपने पैसे जमा किए है, उसकी हमें गांरटी मिलनी चाहिए। फिलहाल सरकार ग्राहकों की बैंकों में जमा रकम में से केवल एक लाख रूपए राशि को बीमा की सुरक्षा दे रही है।