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    नई दिल्ली, 2 जुलाई (आईएएनएस)| आईएलएंडएफएस द्वारा कई सारे डिफॉल्ट किए जाने के बाद नकदी संकट से जूझ रहे गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) सेक्टर पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। यह बात भारतीय स्टेट बैंक की मंगलवार की एक रपट में कही गई है।

    रपट में कहा गया है, “मार्च 2020 तक एनबीएफसी सेक्टर के 47.5 खरब बांड और कागजात परिपक्व होने वाले हैं। इसके बाद एनबीएफसी का अधिकांश निवेश रियल्टी क्षेत्र में है।”

    रिपोर्ट में कहा गया है, “एनबीएफसी क्षेत्र में कुछ खामियों के संबंध में एक मजबूत संदेश भेजने की जरूरत है। यह अधिक आवश्यक है, क्योंकि यदि एनबीएफसी सेक्टर की स्थिति में सुधार नहीं होता है तो बैंकों को आगे जाकर एनपीए प्रावधानों के नए दौर का सामना करना पड़ेगा।”

    रपट में जोर देकर कहा गया है कि एनबीएफसी क्षेत्र के मुद्दों पर ध्यान देना और एमएसएमई को विकास का इंजन बनाने पर बजट में ध्यान देना चाहिए।

    चिंता के एक अन्य बिंदु को रेखांकित करते हुए रपट में कहा गया है कि आवधिक कर्ज से कृषि क्षेत्र को बल मिलेगा।

    रपट में कहा गया है कि इसके अलावा, जीएसटी काउंसिल की तर्ज पर एग्री-मार्केटिंग रिफॉर्म्स काउंसिल (एएमआरसी) की स्थापना और तेजी से सिकुड़ते जल संसाधनों के दोहन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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