Fri. Apr 26th, 2024
    lashkar e taiba

    अफगानिस्तान में लश्कर ए तैयबा सहित 20 से अधिक क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय आतंकी समूहों की मौजूदगी है जो अफगानी सेना के खिलाफ लड़ रहे हैं। एनालिटिकल सपोर्ट एंड सैंक्शन मॉनिटरिंग टीम की दसवीं रिपोर्ट में तालिबान और उससे जुड़े व्यक्तियों को अफगानिस्तान में शान्ति, स्थिरता और सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न करने पर चिंता जाहिर की थी।

    रिपोर्ट के मुताबिक, अलकायदा पक्तिका प्रान्त के बरमल जिले में अपनी मौजूदगी का विस्तार करने के लिए बेक़रार है। इसने लश्कर ए तैयबा और हक्कानी नेटवर्क के साथ अफगान-पाकिस्तान सीमा क्षेत्र में अपने ठिकानों में काफी बढ़ोतरी की है।

    तालिबान के लड़ाकों और उनके परिवारों के लिए अलकायदा के सदस्य दिशा निर्देशकों और धार्मिक उपदेशकों के तौर पर कार्य करते हैं। अफगान अधिकारीयों के हवाले से बताया कि देश के कुंअर और नांगरहार प्रान्त में करीब 500 लश्कर ए तैयबा लड़ाके सक्रीय है।

    कुंअर प्रान्त हमेशा विदेशी आतंकी लड़ाकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है। कई दिग्गज समूह वहां से संचालन कर रहे हैं, लश्कर ए तैयबा भर्ती और वित्तीय सहयोग गतिविधियों में अहम भूमिका निभाना जारी रखेगा। यह समूह तालिबान और आईएसआईएल के बीच संबंधों को संभालने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में उसने खुद को आईएसआईएल से दूर कर लिया था और अधिक मध्यस्थ भूमिका को निभाया था।

    यूएन की रिपोर्ट में संकेत दिया गया था कि अलकायदा अफगानिस्तान को अपने नेतृत्व के लिए एक सुरक्षित पनाह के तौर पर देखता है। वह तालिबान के साथ लम्बे समय के मज़बूत सम्बन्धो पर आधारित है।

    ऐनम मुहम्मद रबी अल ज़वाहिरी, हमजा उसामा मुहम्मद बिन लादेन और तालिबान के नेतृत्व ने लगातार अलकायदा और तालिबान के बीच गठबंधन की महत्वता को बताया है। समस्त अफगानिस्तान में तालिबान के साये में तालिबान अधिक मज़बूत हुआ है और हालिया वर्षो में अधिक सक्रीय हुआ है।

    अफगान अधिकारीयों ने कहा कि करीब 240 अलकायदा के सहयोगी अफगानी सरजमीं से संचालित कर रहे हैं। इनकी अधिकतर संख्या बढकशन, कुंअर और जाबुल प्रान्त में हैं।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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