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    आकाशगंगा galaxy in hindi

    विषय-सूचि

    आकाशगंगा क्या है? (Definition of Galaxy in Hindi)

    हमारी पृथ्वी सौर मंडल (solar system) का एक भाग है। हमारा सौर मंडल मिल्की वे नामक आकाशगंगा का बहुत छोटा सा भाग है। यह घुमावदार स्थिति में रहता है। यह अपने गुरुत्वाकर्षण के दम पर मजबूती से टीके हुए रहते हैं। हमारी आकाशगंगा मिल्की वे के बीच में सुपरमैसिव ब्लैक होल हैं।

    आकाशगंगा गैस, धूल, डार्क मैटर, बिलियन की संख्या में तारे एवं उनके सौर मंडलों को समूह है। हमारा सूर्य इन बिलियन आकाशगंगाओं का एक भाग है। इस अंतरिक्ष में अनगिनत आकाशगंगाएं हैं, हमारा मिल्की वे इसका एक उदाहरण है। इससे कई छोटे बड़े आकर में आकाशगंगाएं हैं।कुछ आकाशगंगाएं हमारी मिल्की वे के सामान ही हैं, जबकि कुछ इससे बिलकुल अलग हैं।

    अप्रैल 1920 में हर्लो शेपली एवं अल्बर्ट कर्टिस नामक वैज्ञानिकों ने एक लम्बे शोध के बाद आकाशगंगाओं का खोज किया था। फिर 1923 में एडविन हब्बल नामक वैज्ञानिक ने इससे जुड़े हुए कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने रखे।

    जब रात के समय पूरी तरह से अँधेरा हो जाता है, तब आप जो छोटे बड़े तारे देख पाते हैं, उनमे से बड़े तारे मिल्की वे या आसपास के आकाशगंगाओं के तारे हैं और जो छोटे एवं धुंधले वाले हैं, वो बहुत दूर पाए जाने वाले आकाशगंगाओं के भाग हैं। हब्बल स्पेस टेलिस्कोप के द्वारा अबतक लगभग 10,000 आकाशगंगाएं पहचाने जा चुके हैं जो अलग अलग आकार, संरचना और रंगों के थे।

    अगर रात के समय किसी भाग में पूरी तरह से अँधेरा हो जाये और कोई भी प्रकार की रौशनी न हो, तो आप आसमान में सफ़ेद रंग का बड़ा सा धूल भरा खिंचाव नज़र आए, तो आप मिल्की वे का एक बड़ा हिस्सा खुली आँखों से देख पाते हैं।

    आकाशगंगाओं के प्रकार (Types of Galaxies in Hindi)

    आकाशगंगाओं को उनके आकार एवं प्रकाश के आधार पर दिखावट के हिसाब से वर्गीकृत किया जाता है। इनको हब्बल वर्गीकरण स्कीम के हिसाब से क्रमबद्ध किया जाता है। इस हिसाब से ये निम्नलिखित चार भागों में विभाजित किये गए है:

    • एलिप्टिकल आकाशगंगा (elliptical galaxy)

    ये दीर्घ वृत्तकार के होते हैं। ये ज्यादातर गोल आकार में पाए जाते हैं और एक छोर से दूसरे छोर तक फैलते रहते हैं। इन आकाशगंगाओं में पुराने तारे पाए जाते हैं जिनकी संख्या एक ट्रिलियन के अस पास होगी। इसके अलावा धूल और दूसरे गैस मिश्रित पदार्थ भी पाए जाते हैं।

    यहां के तारे गांगेय केंद्र (galactic centre) की परिक्रमा करते रहते हैं। इनमे से कई अव्यवथित तरीके से भी परिक्रमा करते रहते हैं। यहां नए तारे भी बनते हुए पाए गए हैं। सभी आकाशगंगाओं में ये सबसे भारी और फैले हुए होते हैं और अनुमान के अनुसार दो मिलियन प्रकाश वर्ष तक लम्बे होते हैं।

    • घुमावदार या स्पाइरल आकाशगंगा (spiral galaxy)

    हमारा मिल्की वे आकाश गंगा इस श्रेणी में आता है। यह एक चपटे डिस्क के रूप में होता है जिसका केंद्र उभड़ा हुआ रहता है और आसपास की चीजें घुमावदार स्थिति में होती है। इस आकाशगंगा के डिस्क में तारे, ग्रह, धूल एवं गैस के मिश्रण आदि सब पाए जाते हैं जो केंद्र के चारों ओर सुचारु रूप से परिक्रमा करते रहते हैं।

    ये 100 किलोमीटर प्रति सेकंड के हिसाब से परिक्रमा करते हैं। जो पुराने तारे होते हैं, वो इस आकाशगंगा के उभरे हुए मध्य भाग में पाए जाते हैं। कई नए तारे भी मौजूद रहते हैं। इसके अलावा यहाँ ब्लैक होल भी पाए जाते हैं जिनके अंदर डार्क मैटर विराजमान रहता है।

    • अनियमित आकाशगंगा (irregular galaxy)

    वे आकाशगंगा जो न तो घुमावदार होते हैं और न ही गोल आकार के होते हैं, वे अनियमित श्रेणी में आते हैं। इनका कोई स्थिर आकार नहीं होता और ये दूसरे आकाशगंगाओं के गुरुत्वाकर्षण बल से प्रभावित रहते हैं। मागेलनिक आकाशगंगा इसका एक उदाहरण है।

    • बौना या ड्वार्फ आकाशगंगा (dwarf galaxy)

    ड्वार्फ आकाशगंगाएं सबसे छोटे प्रकार की हैं। ये हमारे मिल्की वे के एक सौवें भाग के बराबर रहते हैं। इनके अंदर कुछ बिलियन तारे ही पाए जाते हैं। ये काफी हद तक दूसरे मजबूत आकाशगंगाओं के बल से प्रभावित रहते हैं। कई ड्वार्फ आकाशगंगाएं एक बहुत बड़े एवं मजबूत आकाशगंगा की परिक्रमा करते हुए मिलते हैं। वैज्ञानिकों ने हब्बल टेलिस्कोप की मदद से यह खोज किया है कि लगभग एक दर्जन ड्वार्फ आकाशगंगा मिल्की वे की परिक्रमा कर रहे हैं।

    आकाशगंगाओं का बनावट एवं उद्भव (Formation and Evolution of Galaxy in Hindi)

    आकाशगंगाओं की गति बहुत तेज रहती है, इसके कारण वो एक दूसरे से टकराते रहते हैं जिसके परिणामस्वरूप एक नए आकाशगंगा का निर्माण हो जाता है। ब्रह्माण्ड या अंतरिक्ष में पाए जाने वाले आकाशगंगाओं का नियमित रूप से उद्भव होता रहता है – या तो उनकी टक्कर हो जाती है या वे एक दूसरे में विलय हो जाते हैं।

    कुछ आकाशगंगा ऐसे भी हैं जो अभी पूरी तरह बने नहीं हैं और उनके अंदर तारे भी बन रहे हैं, इनको प्रोटो गैलेक्सी कहा जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है डार्क गैलेक्सी भी विद्यमान हैं जिनके अंदर सिर्फ डार्क मैटर और गैस होता है। आकाशगंगा कैसे बने – इसके बारे में वैज्ञानिक पूरी तरह से नहीं जानते एवं इसपे अभी भी शोध चालू है।

    आप अपने सवाल एवं सुझाव नीचे कमेंट बॉक्स में व्यक्त कर सकते हैं।

    One thought on “आकाशगंगा क्या है? जानकारी, रहस्य”
    1. Hum jis aakashganga ko dekhte Hain wo kin kin cheezo se milkar bani hoti hai? Kya isme black holes or dark matter bhi hote hai?

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