राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि “वह अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिको की वापसी चाहते हैं लेकिन बगैर अमेरिकी सेना की मौजूदगी से देश का इस्तेमाल अमेरिका पर आतंकी हमले के लिए किया जा सकता है और इससे मैं चिंतित हूँ।” अफगानिस्तान सुलह प्रक्रिया पर आतंकी समूह तालिबान के साथ बातचीत का सिलसिला जारी है।
अफगान के आतंकवादी गढ़ बनने से चिंतित हूँ
फॉक्स न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में सोमवार को ट्रम्प ने कहा कि “अफगानिस्तान से 9000 अमेरिकी सैनिको की वापसी के साथ समस्या देश में आतंवादियों के ठिकाने हैं। मैं इसे आतंकवादियों का हार्वर्ड कहना चाहूंगा।” यहां अमेरिका की सबसे लम्बी जंग जारी है।
अमेरिका के सैन्य अधिकारीयों के साथ उन्होंने अफगानी सरजमीं से सैनिको को हटाने की इच्छा को व्यक्त किया था। उन्होंने कहा कि “अधिकारीयों ने चेतावनी दी कि अफगानिस्तान में आतंकवादियों से लड़ना, घर में लड़ने से बेहतर है। एक जनरल ने कहा कि सर, यहां उन पर हमला करने से अच्छा वहां उन पर हमला करना सही है। इसके बारे में हमेशा सोचते रहना पड़ता है।”
डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि “अगर अमेरिका अपने सैनिको की वापसी कर लेता तो वह अफगानिस्तान में एक मज़बूत ख़ुफ़िया उपस्थिति रखता।” सोमवार को तालिबान के एक बम से लदे ट्रक से हमला किया गया था और इससे काबुल में 105 लोग जख्मी हुए हैं और छह लोगो की मौत हुई है।
तालिबान के साथ शान्ति वार्ता
अमेरिका के विशेष राजदूत जलमय ख़लीलज़ाद ने सोमवार को तालिबान के साथ क़तर में सातवें चरण की वार्ता शुरू की थी। इस शान्ति वार्ता में तालिबान ने अफगानी सरजमीं से विदेशी सैनिको की वापसी की मांग की है और इसके बदले अमेरिका को गारंटी दी है कि अफगानी सरजमीं कही भी हमले के लिए आतंकवादियों का ठिकाना नहीं बनेगा।”
अमेरिका ने अफगानिस्तान की जंग में 11 सितम्बर 2001 में शामिल हुआ था जब पेंटागन और न्यूयॉर्क में हमला हुआ था। सऊदी में जन्मे अलकायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन को तालिबान ने पनाह दी थी, जिसने इन हमलो की साजिश की थी। इस संघर्ष में 2400 अमेरिकी सैनिको की मौत हो चुकी है।