Sat. Nov 23rd, 2024
    अमेरिका उत्तर कोरििया

    उत्तर कोरिया द्वारा अमेरिका को दी जा रही धमकियां लगातार बढ़ रही है। उत्तर कोरिया केबिनेट द्वारा प्रकाशित देश के सरकारी समाचार पत्र मिंजु चोसन ने एक टिप्पणी में लिखा है कि अमेरिका का भाग्य उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन के हाथों में है।

    डोनाल्ड ट्रम्प मृत्युदंड संघर्ष पर आने वाला है। उत्तर कोरिया के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की अज्ञानता को बताने के लिए टिप्पणी में कहा गया कि उत्तर कोरिया के परमाणु हथियारों को अमेरिकी रणनीति चाहे पसंद करे या न करे, ये जारी रहेगी। इसके अलावा कहा कि डीपीआरके व उत्तर कोरिया के बीच गतिरोध की स्थिति उत्तर कोरिया के विश्वास व नियंत्रण में है।

    उत्तर कोरिया के सरकारी समाचार-पत्र में मिंजु चोसन ने दावा किया कि उत्तर कोरिया हमेशा से विजयी स्थिति में है। आगे लिखा कि डोनाल्ड ट्रम्प इतनी गहरी नींद में सोए हुए है कि उन्हें अमेरिका के ऊपर मंडरा रहे खतरे का महसूस भी नहीं हो रहा है। अखबार में लिखा है कि ट्रम्प प्रशासन उत्तर कोरिया की ताकत से चिंतित होकर सैन्य टकराव की स्थिति अपनाना चाह रहे है।

    किम जोंग जैसी बहादुर आत्मा को परेशान न करे अमेरिका

    अखबार में लिखा गया है कि हाल ही में तानाशाह किम जोंग-उन ने देश की वार्षिक रक्षा सम्मेलन में अपने मार्गदर्शन से उत्तरी कोरियाई लोगों और सेना को लोहे के विश्वास के साथ भर दिया है।

    अगर अमेरिका ने किम जोंग जैसी बहादुर आत्मा को परेशान किया तो उन्हें सेना के टकराव का सामना करना पड़ेगा। अंततः उत्तर कोरिया की जीत होगी और अमेरिका व ट्रम्प प्रशासन की अपमानजनक हार होगी।

    सरकारी अखबार में डोनाल्ड ट्रम्प को विवेकपूर्ण तरीके से समझने और दो बार सोचने के लिए चेतावनी भी दी है। साथ ही अमेरिका पर ब्लैकमेल किए जाने का आरोप लगाया है।

    जैविक हथियारों का निर्माण कर रहा उत्तर कोरिया

    अमेरिकी और एशियाई खुफिया अधिकारी के अनुसार उत्तर कोरिया ने सैन्य पैमाने पर जैविक हथियारों का उत्पादन करने की क्षमता हासिल कर ली है। इस बारे में दुनिया को पता तक नहीं है। ऐसी सुविधाएं उत्तर कोरिया ने असैनिक कारखानों में छिपा रखी है।

    कुछ विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि उत्तर कोरिया में उन्नत जैनेटिक इंजीनियरिंग का उपयोग करके प्रयोगशालाओं में सुपर-कीटाणुओं का निर्माण करने की कोशिश हो रही है। यहीं कारण है कि शायद कोई भी उत्तर कोरिया से सीधा सैन्य टकराव नहीं लेना चाहता है।