Sat. Apr 27th, 2024
    हेमंत सोरेन : Office Of Profit Case

    Jharkhand: निर्वाचन आयोग ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को स्वयं को खनन का लाइसेंस देने के कथित आरोप के मामले में नोटिस जारी कर के पूछा है कि उनके ऊपर इस मामले के मद्देनज़र क्यों ना कार्रवाई की जाए?

    आयोग ने यह नोटिस तब जारी किया है जब विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर राज्यपाल ने इस मामले को चुनाव आयोग से संपर्क किया था।

    आयोग ने कहा कि प्रथमदृष्टया यह मामला जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951  (Representation of People’s Act, 1951) के नियम 9A के विरूद्ध है। सेक्शन 9A सरकारी अनुबंध में शामिल जनप्रतिनिधियों के अयोग्यता की बात करता है।

    हेमंत सोरेन पर विपक्ष ने लगाए थे आरोप

    पिछले दिनों विपक्ष द्वारा श्री सोरेन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाये गए थे। उन पर खनन से जुड़े लाइसेंस खुद के पक्ष में ही जारी करने का आरोप लगाया गया था।

    विपक्ष ने कहा था कि मुख्यमंत्री श्री सोरेन जो खनन विभाग के भी मंत्री हैं, ने 2021 में स्टोन चिप्स माइनिंग का लीज खुद के ही कंपनी को दिया है जो ऑफिस ऑफ प्रॉफिट (लाभ के पद) के नियमों केख़िलाफ़ है।

    बीजेपी ने श्री सोरेन के साथ-साथ उनके राजनीतिक सलाहकार पंकज मिश्रा और मीडिया सलाहकार अभिषेक प्रसाद को भी इस मामले में आरोपी बनाया है।

    राज्यपाल ने चुनाव आयोग से संपर्क किया

    इन आरोपों के बाद झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने संविधान के अनुच्छेद 192 का इस्तेमाल करते हुए मामले को निर्वाचन आयोग को अग्रसारित कर दिया था। अनुच्छेद 192 के नियमों के तहत राजपाल चुनाव आयोग से सम्पर्क कर के किसी भी निर्वाचित विधानसभा सदस्य को अयोग्य घोषित कर सकते हैं।

    आपको बता दें, बीते हफ़्ते राज्यपाल श्री बैस केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह से भी मिले थे जहां मुख्यमंत्री पर लगे इन आरोपों पर चर्चा हुई थी।

    हेमंत सोरेन की पार्टी झामुमो का विपक्ष पर पलटवार

    मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर लगे आरोपों के जवाब में श्री सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने पलटवार करते हुए विपक्ष पर राज्य में राजनीतिक माहौल खराब करने और लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई एक सरकार को गिराने के प्रयास का आरोप लगाया है।

    पार्टी ने राज्यपाल को एक याचिका दायर कर के भी यह दावा किया है कि स्टोन माइनिंग “सरकार के अधीन कार्य” के दायरे में नहीं आता इसलिए यह सेक्शन 9A के प्रभावों से आजाद है।

    अब आगे क्या…

    फिलहाल निर्वाचन आयोग ने नोटिस जारी कर के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछा है कि प्रथमदृष्टया यह आरोप सही मालूम पड़ती है इसलिए ऐसे में उनपर क्यों ना कार्रवाई की जाए?

    अब देखना होगा क्या झारखंड के मुख्यमंत्री पर लगे आरोप सही हैं? और अगर सही हैं तो क्या उनको अयोग्य घोषित किया जाएगा? अगर ऐसा किया जाता है तो फिर कांग्रेस के समर्थन से चल रही झामुमो सरकार मुश्किलों में घिरती दिखाई दे रही है।

    By Saurav Sangam

    | For me, Writing is a Passion more than the Profession! | | Crazy Traveler; It Gives me a chance to interact New People, New Ideas, New Culture, New Experience and New Memories! ||सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ; | ||ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ !||

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