Tue. Apr 23rd, 2024

    जस्टिस रोहिंटन नरीमन की सेवानिवृत्ति और जस्टिस एल नागेश्वर राव का भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाले पांच-न्यायाधीशों का सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में प्रवेश एक महत्वपूर्ण समय पर हुआ है। जब कि तीन दिनों में जस्टिस नवीन सिन्हा की सेवानिवृत्ति सुप्रीम कोर्ट में न्यायिक रिक्तियां 10 तक पहुँचने वाली हैं।

    मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति यू.यू. ललित .एम. खानविलकर, डी.वाई. चंद्रचूड़ और एल नागेश्वर राव का वर्तमान कॉलेजियम लगभग 10 महीने तक बरकरार रहेगा। यह एक महिला न्यायाधीश की नियुक्ति करके इतिहास भी लिख सकते हैं जो एक दिन भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश हो सकती हैं।

    बार से सीधी नियुक्ति करने वाले जस्टिस राव, बार के प्रोत्साहनों को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट बार से उच्चतम न्यायालय की बेंच में अधिक सीधी नियुक्तियों के लिए रुचि दिखा सकते हैं। जस्टिस राव भी जून 2022 में अपनी सेवानिवृत्ति के साथ कॉलेजियम से बाहर निकलने वाले पहले व्यक्ति होंगे, उसके बाद जुलाई में जस्टिस खानविलकर और उसी साल अगस्त में खुद चीफ जस्टिस रमना सेवनृवित्त होंगे।

    इसके बाद न्यायमूर्ति ललित वरिष्ठता के आधार पर शीर्ष न्यायाधीश का पद संभालेंगे। हालांकि भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल नवंबर 2022 तक दो महीने से थोड़ा अधिक का ही होगा। फिर से वरिष्ठता के अनुसार, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ न्यायमूर्ति ललित की जगह नवंबर 2024 तक मुख्य न्यायाधीश के पद पर काबिज़ रहेंगे।

    सितंबर 2019 से सुप्रीम कोर्ट में न्यायिक नियुक्तियां रुकी हुई हैं। उस साल सुप्रीम कोर्ट में तीन बैचों में 10 नियुक्तियां हुईं थीं। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और संजीव खन्ना को जनवरी 2019 में नियुक्त किया गया था। जस्टिस बी.आर. गवई, सूर्यकांत, अनिरुद्ध बोस और ए.एस. बोपन्ना को मई 2019 में नियुक्त किया गया था। सितंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट की नियुक्तियों का अंतिम बैच जस्टिस कृष्ण मुरारी, एस. रवींद्र भट, वी. रामसुब्रमण्यम और हृषिकेश रॉय का था। यह सभी नियुक्तियां पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की है जो नवंबर 2019 में सेवानिवृत्त हुए थे।

    पूर्व मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे के कार्यकाल में सर्वोच्च न्यायालय में एक भी न्यायिक नियुक्ति नहीं हुई। हालांकि इस समय में कॉलेजियम द्वारा अक्सर चर्चा की जाती रही थी। वर्तमान कॉलेजियम सर्वोच्च न्यायालय में न्यायिक शक्ति में गिरावट को दूर कर सकता है।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *