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    सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने सोमवार को पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग करके जासूसी के आरोपों को “अप्रमाणित मीडिया रिपोर्ट या अधूरी या अपुष्ट सामग्री” के आधार पर “अनुमानों” के रूप में खारिज कर दिया।

    सुप्रीम कोर्ट में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा दायर दो पृष्ठ के हलफनामे में कहा गया है कि सरकार “निहित स्वार्थों” द्वारा फैलाई गई “गलत धारणा” को दूर करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाएगी।

    हालांकि, कुछ याचिकाकर्ताओं ने सरकार की प्रतिक्रिया को “गैर-प्रतिबद्ध” करार दिया। उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना के नेतृत्व में तीन-न्यायाधीशों की पीठ से केंद्रीय गृह सचिव को शपथ पत्र में स्पष्ट करने का आग्रह किया कि क्या सरकार ने नागरिकों पर जासूसी करने के लिए सैन्य-ग्रेड तकनीक का इस्तेमाल किया है या नहीं।

    भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना ने सॉलिसिटर-जनरल तुषार मेहता को संबोधित करते हुए कहा कि, “इन सभी बातों का योग और सार यह है कि वे [याचिकाकर्ता] आपके सीमित हलफनामे से संतुष्ट नहीं हैं। वे स्पष्ट शब्दों में जानना चाहते हैं कि सरकार ने पेगासस का इस्तेमाल किया है या नहीं। यदि आप विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के लिए समय चाहते हैं, तो आप समय ले सकते हैं।”

    लेकिन सॉलिसिटर-जनरल मेहता ने कहा कि एक “विस्तृत हलफनामा” भी याचिकाकर्ताओं को संतुष्ट नहीं कर सकता है। तुषार मेहता ने संकेत दिया कि चीजें “इतनी सरल” नहीं हैं। इस मुद्दे पर किसी भी चर्चा में राष्ट्रीय सुरक्षा शामिल होगी। उन्होंने शिकायत की, “हम एक संवेदनशील मामले से निपट रहे हैं। इसे सनसनीखेज बनाने की कोशिश की जा रही है।”

    सीजेआई ने वरिष्ठ पत्रकार एन. राम और शशि कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की ओर रुख कर पूछा कि, “अगर सरकार विस्तृत हलफनामा दाखिल करने से हिचक रही है तो हम उन्हें कैसे मजबूर कर सकते हैं?”

    कपिल सिब्बल ने इसका उत्तर दिया कि, “इसका मतलब यह होगा कि वे [पेगासस का उपयोग करने के आरोप को] स्वीकार या अस्वीकार नहीं करना चाहते हैं। तब मामला और गंभीर हो जाता है। हम सीधा जवाब चाहते हैं। क्या सरकार या उसकी किसी एजेंसी ने पेगासस का इस्तेमाल किया था? यह प्रश्न राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित नहीं है।”

    उन्होंने कहा कि, “अगर सरकार ने पेगासस का इस्तेमाल किया है तो क्या उन्होंने गृह सचिव के माध्यम से इसका इस्तेमाल किया है। यह फिर से राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित नहीं है इसलिए उन्हें एक हलफनामा दाखिल करने दें।”

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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