शिव सेना अध्यक्ष बाल ठाकरे की बायोपिक का ट्रेलर 26 दिसम्बर को रिलीज़ कर दिया गया है। फ़िल्म में नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी मुख्य भूमिका में हैं। फ़िल्म पहले से ही विवादों में है। CBFC ने फ़िल्म से कुछ दृश्य हटाने के आदेश दे दिए हैं।
फ़िल्म के लेखक और प्रोड्यूसर संजय रावत CBFC के आदेशों को मानने के पक्ष में नहीं हैं। अब तमिल और तेलुगु स्टार सिद्धार्थ ने भी इस बायोपिक के विरोध में ट्वीट किया है। सिद्धार्थ ने लिखा है कि, “नवाज़ुद्दीन का कथन ‘उठाओ लुंगी बजाओ पुंगी’ साफ़ तौर पर दक्षिण भारतीय लोगों के खिलाफ बोला गया है।
और फ़िल्म उस व्यक्ति की पूजा कर रही है जिसने यह बोला है। क्या आप इस प्रचार-प्रसार से पैसे बनाना चाहते हैं? नफ़रत बेचना बंद करो। डरावनी वस्तु।”
https://twitter.com/Actor_Siddharth/status/1077980147251331073
इस ट्वीट में सिद्धार्थ उस डायलाग की बात कर रहे थे जो उन दक्षिण भारतीय समुदायों के खिलाफ बोला गया है जो 1960 में मुंबई में बस गए थे।
ट्रेलर के एक दृश्य में यह दिखाया गया है कि बाल ठाकरे के शब्दों से प्रभावित होकर एक व्यक्ति उडुपी होटल पर पत्थर मारने लगता है। ट्रेलर में यह भी दिखाया गया है कि बाल ठाकरे एक दक्षिण भारतीय व्यक्ति से टकरा जाने पर उसपर चिल्लाने लगते हैं।
सिद्धार्थ ने यह भी बताया कि ये दृश्य फ़िल्म के मराठी ट्रेलर में बिना सबटाइटल के रखे गए हैं और हिंदी ट्रेलर में दूसरे दृश्य रखे गए हैं।
लोग इस फ़िल्म को एक प्रोपगंडा फ़िल्म बता रहे हैं और यह कह रहे हैं कि यह शिव सेना के प्रचार-प्रसार के लिए बनाई गई है।
https://twitter.com/Actor_Siddharth/status/1078126519908618240
सिद्धार्थ ने यह भी कहा कि, “आदर्श न्याय तब हुआ जब उत्तरप्रदेश के एक मुस्लिम कलाकार को इस प्रोपगंडा फ़िल्म में एक मराठी कट्टर की भूमिका निभाने के लिए मिली।”
https://twitter.com/Actor_Siddharth/status/1077981399926202369
आपको बता दें कि बाल ठाकरे की राजनीति मुस्लिम विरोधी थी। राजनेता संजय रावत ने फ़िल्म के बारे में कहा है कि, “हमने बालासाहेब को उसी तरह फ़िल्म में दिखाया है जैसे उन्होंने अपनी ज़िन्दगी जी है। जैसे वह अपने विचारों को व्यक्त करते थे।
हमने कुछ भी मनगढ़ंत नहीं दिखाया है। अभिजीत ने सब कुछ असलियत से दिखाया है। फ़िल्म को कोई बैन नहीं कर सकता। यह ठाकरे की कहानी है इसे कोई कैसे रोक सकता है? बालासाहेब ने अपने समय में बहुत से लोगों को बैन कर दिया था।
क्या आपलोग यह भूल गए? CBFC यह कैसे निश्चित कर सकता है कि साहेब की ज़िन्दगी पर क्या सही है और क्या गलत है? केवल परिवार के लोग ही यह जानते हैं। मुझे भरोसा है कि सेंसर बोर्ड भी बालासाहेब के दृष्टीकोण को समझ पाएगा। उन्हें समय लगेगा पर वह समझ जाएंगे।”
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