हाल ही में आरबीआई और केंद्र सरकार के बीच पैदा हुई तकरार अब देश के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनी हुई है।
इसी के चलते अब भूतपूर्व आरबीआई गवर्नर विमल जलान ने कहा है कि वर्ष 2019 में आने वाली सरकार को देश में राजनीतिक, आर्थिक व प्रशासनिक बदलाव अपने हिसाब से ही करने चाहिए। जलान ने कहा है कि देश की मौद्रिक व आर्थिक नीतियों के निर्धारण के लिए केंद्र के पास सर्वोच्च अधिकार है।
मालूम हो कि विमल जालान नेआरबीआई गवर्नर रहते हुए दक्षिण एशिया में फैले हुए आर्थिक संकट के दौरान देश को उस संकट से बचाया था।
विमल जालान ने कहा है कि देश में आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए हमारे पास सभी जरूरी संसाधन मौजूद हैं। जान के अनुसार हमारे पास तकनीक, मानव बल, कार्यकुशलता, जमीन व धन सभी कुछ उपलब्ध है। अब ऐसे में अब देखना ये है कि इनका उपयोग कर देश की आय में वृद्धि किस तरह की जा सकती है।
एनपीए पर क्या बोले जालान-
इसी के साथ जालान ने केंद्र सरकार को सुझाव देते हुए कहा है कि “सरकार को ध्यान रखना चाहिए की सार्वजनिक क्षेत्र की बैंक बुरे ऋण (नॉन पेर्फ़ोमिंग असेट) के जाल में न फसे, जैसा की अभी ये सभी बैंकें एनपीए के बोझ के तले दबी हुई हैं।”
इसी के साथ जालान ने केंद्र की तारीफ करते हुए बताया है कि देश के दिवलियापन कानून में हाल ही में किए गए परिवर्तन ने बाद अब अगले 6 से 7 महीनों के भीतर ही इसके परिणाम दिखने लगेंगे।
एनबीएफ़सी पर जालान की राय-
एनबीएफ़सी मुद्दे पर बात करते हुए जालान के कहा है कि बैंकों की आरबीआई के प्रति जवाबदेही है, जबकि आरबीआई को इस मुद्दे पर सरकार को जवाब देना चाहिए। हालाँकि जालान ने कहा है कि वर्तमान में देश में चल रही आर्थिक उथल-पुथल का देश की अर्थव्यवस्था पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा।
आरबीआई-केंद्र तल्खी पर जालान-
हालाँकि विमल जालान ने आरबीआई की सख्ती को लेकर किए गए सवाल पर चुप्पी साध ली है। इसी के साथ केंद्र और आरबीआई के बीच तल्खी के बारे में विमल जालान ने कहा है कि यदि ये बात अधिक बिगड़ती है तो एजेंसी के सर्वोच्च अधिकारी को अपनी कुर्सी छोड़ चाहिए।
(विमल जालान ने ये बातें मिंट को दिये गए एक इंटरव्यू में कही हैं।)