Fri. Mar 29th, 2024
    मोदी सरकार

    देश की अर्थव्यवस्था में डूबा हुआ कर्ज़ हमेशा से एक काले धब्बे की तरह रहा है, लेकिन सरकार ने नए दिवालियापन कानून (आईबीसी) के अनुसार अब फसे हुए ‘बुरे कर्ज़’ को वापस पाने के लिए कमर कस ली है।

    इसके तहत अधिकारियों ने मीडिया को बताया है कि सरकार आईबीसी के तहत करीब 1.80 लाख करोड़ के फसे हुए कर्ज़ को रिकवर करेगी।

    इसके लिए आरबीआई ने एक सूची भी तैयार की है जिसके तहत एनपीए (नॉन पर्फ़ोर्मिंग असेट) यानि बुरे कर्ज़ के तहत 12 ऐसे केस की लिस्ट तैयार की है, जिसमें बैंकों की 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की धन राशि फसी हुई है।

    इसके पहले देश की बैंकों ने 2018-19 की पहली तिमाही में 36,551 करोड़ रुपये कीमत के फँसे हुए कर्ज़ की वसूली की है। वहीं वित्तीय वर्ष 2017-18 में बैंकों ने संयुक्त रूप से 74,562 करोड़ रुपये कीमत के फसे हुए कर्ज़ की वसूली की थी।

    इसी बाबत देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली के एक बयान देते हुए कहा है कि “अब लोगों को ये पता चल गया है कि देश में इस खेल के नियम बदल गए है, अब बैंके आपका पीछा नहीं करेंगी, बल्कि आपको बैंकों का पीछा करना होगा।”

    अरुण जेटली ने कहा कि “देश में अब इस तरह के लोग परेशान घूम रहे हैं। वो अब उधार लेकर या भीख मांग कर भी बैंकों को उनका पैसा चुका रहे हैं। पिछली 2 तिमाहियों में ही बैंकों ने ऐसे लोगों को पूरी तरह से अपने शिकंजे में ले लिया है।”

    इन तरह के लोन में कुछ बड़ी कंपनियाँ भी शामिल हैं। एस्सार स्टील, भूषण पावर एंड स्टील, बिननी सीमेंट और जेपी सीमेंट जैसी कंपनियाँ शामिल हैं।

    इसके तहत बैंकों को ये उम्मीद है कि वो एस्सार को कुल दिये गए कर्ज़ 49 हज़ार करोड़ का 86 प्रतिशत हिस्सा वापस पा लेंगी। वहीं आर्सेलर मित्तल ने 50 हज़ार करोड़ रुपये वापस करने का वादा किया है।

    इसके पहले पिछले साल जून में आरबीआई की आंतरिक सलाह समिति (IAC) बुरे कर्ज़ के मामले में ऐसे 12 केसों को चिन्हित किया था, जिनके ऊपर बैंकों का 25 करोड़ रुपये से भी अधिक का कर्ज़ फँसा हुआ है।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *