समझौता एक्सप्रेस हमले पर पाकिस्तान ने रिहा किये गए आरोपियों पर अपनी चिंता व्यक्त की है। रिहा किये गए आरोपियों के खिलाफ पाक ने इस्लामाबाद में नियुक्त भारतीय उच्चायुक्त को तलब कर विशेष विरोध व्यक्त किया है। साल 2007 में हुए इस आतंकी हमले में 70 लोगो की मृत्यु हुई थी, जिसमे अधिकतर पाकिस्तान के नागरिक थे।
हरियाणा के पंचकूला में स्थित विशेष एनआईए अदालत में स्वामी असीमानंद सहित तीन अन्य आरोपियों को रिहा कर दिया था। विशेष न्यायाधीश जगदीप सिंह ने पाकिस्तानी महिला की याचिका को खारिज कर दिया था और इसके बाद फैसला सुनाया था।
पाकिस्तान के विदेश विभाग ने बयान जारी कर बताया कि “पाकिस्तान के कार्यवाहक विशेष सचिव ने भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया को तलब कर अपना विरोध प्रकट किया था।”
पाक विदेश सचिव ने कहा कि “पाकिस्तान हमेशा धीमी कार्रवाई को लेकर अपनी चिंता व्यक्त करता रहा है। भारत इस हमले में शामिल दोषियों को बचाने का प्रयास कर रहा है।” मामले के 11 वर्ष बाद भारत न्यायकर्ताओं द्वारा दोषियों की रिहाई पर पाकिस्तान ने भारतीय न्यायतंत्र पर सवालिया निशान उठा दिए हैं।
पाकिस्तान ने भारत से इस विस्फोटक हमले के साजिशकर्ताओं को न्यायिक प्रक्रिया में लाने का अनुरोध किया था। नई दिल्ली के सूत्रों के मुताबिक “भारतीय उच्चायुक्त ने पाकिस्तान को स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि कार्रवाई और सुनवाई पारदर्शी ढंग से हुई थी। भारतीय उच्चायुक्त ने पाक विदेश सचिव को भारतीय न्यायिक प्रणाली और अदालतों के पारदर्शी कार्यप्रणाली के बाबत पूरी जानकारी दी थी।
सूत्रों ने कहा कि “गवाहों तक समन पंहुचाने से लेकर कई मसलो में पाकिस्तान ने सहयोग नहीं किया था। सारे समन पाकिस्तानी विदेश विभाग ने वापस कर दिए थे।” भारतीय उच्चायुक्त ने 26/11 आतंकी हमले की सुनवाई के बाबत पूछा जिसके सारे सबूत पाक सरकार को दे दिए गए तब। उन्होंने इस मामले में हिलहवाली रवैये पर निराशा व्यक्त की है और इसके आरोपी और साजिशकर्ता पाकिस्तान में आज़ाद घूम रहे हैं।