सबरीमाला मंदिर में प्रवेश कर दशकों पुरानी परंपरा का खंडन करने वाली दो महिलाओं ने धमकी मिलने के बाद अपनी सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। और टॉप कोर्ट ने उनकी याचिका की सुनवाई के लिए कल का समय तय कर दिया है।
39 वर्षीय कनक दुर्गा, और 40 वर्षीय बिंदू अम्मिनी पहाड़ी चोटी के मंदिर में प्रवेश करने वाली दशकों में 50 से नीचे की पहली महिला हैं। पिछले दो हफ्तों से, वे राज्य संरक्षण के तहत कोच्चि के बाहरी इलाके में एक अज्ञात स्थान पर रह रहे थे। मंगलवार को कनक दुर्गा जब घर लौटी तो उन पर अपनी सास द्वारा हमला किया गया। एक अस्पताल में सिर के घावों के लिए उनका इलाज किया जा रहा है।
दोनों महिलाओं की तरफ से पेश होने वाली वरिष्ठ वकील इंदिरा जैसिंग ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के सामने कहा-“इन दो महिलाओं को अपने जीवन और स्वतंत्रता के लिए खतरा है। इनमे से एक पर हमला किया गया और वे इस वक़्त अस्पताल में है और वे 24×7 पुलिस सुरक्षा चाहते हैं।” उन्होंने दोनों के पता को भी गुप्त करने की मांग की।
याचिका में मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के बाद होने वाली शुद्धिकरण की परंपरा को भी खत्म करने की मांग की गयी है।
उसके मुताबिक, “यह बताने के लिए निर्देश जारी करें कि शुद्धि का संस्कार मनुष्य के रूप में गरिमा को कम करता है और उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है।” जब दो महिलाओं ने प्रवेश किया था तो कुछ वक़्त के लिए मंदिर को शुद्धिकरण अनुष्ठान के लिए बंद कर दिया गया था।
उनके प्रवेश के बाद, केरल में भारी विरोध प्रदर्शन देखा गया और दक्षिण पंथी समूहों द्वारा पूरे दिन सड़कों पर हड़ताल की गयी थी और इसमें भाजपा और कांग्रेस के सदस्य भी शामिल थे। और धमकियाँ मिलने के बाद से ही, ये दो महिलाएं छिपते छिपते फिर रही हैं।
दरअसल जबसे सितम्बर में सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला दिया है कि मासिक धर्म की हर महिला भगवान अयप्पा के मंदिर में प्रवेश कर सकेगी, तभी से मंदिर के आस पास के इलाकों में तनाव बना हुआ है। तब से कई महिलाओं के मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की मगर श्रद्धालुओं के विरोध के कारण उन सभी को पीछे हटना पड़ा।
मगर 2 जनवरी वाले दिन, इन दो महिलाओं ने पुलिस की मदद से मंदिर में प्रवेश कर एक एतिहासिक कदम उठाया था मगर जभी से दोनों को बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।