कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष की कमान तीन बार मुख्य मंत्री रह चुकी शीला दीक्षित के हाथों में थमा दी है। इससे पहले इस पद पर अजय माकन थे मगर उनके इस्तीफे के बाद, शीला दीक्षित को ये पद दे दिया गया है। शीला दीक्षित को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के साथ पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने तीन कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त किए हैं। प्रदेश प्रभारी पीसी चाको ने कहा कि पूर्व विधायक हारुन यूसुफ, राजेश लिलोठिया और देवेंद्र यादव को प्रदेश में कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है।
अजय माकन जिन्होंने तीन साल पहले दीक्षित से लड़ने पर सुर्खियाँ बटोरी थी उन्होंने भी दीक्षित को शुभकामनाएं देते हुए कहा-“शीला दीक्षित जी को पुन: प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर बधाई व शुभकामनाएँ। उनके आधीन,मुझे संसदीय सचिव एवं कैबिनेट मंत्री के रूप में काम करके सीखने का सुअवसर मिला। मुझे विश्वास है कि शीला जी की अगुआई में हम,मोदी और केजरीवाल सरकारों के विरोध में एक सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाएँगे।”
पिछले पांच सालो में, माकन के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी, आम आदमी पार्टी की दुर्जेय शत्रु रही है। मगर दीक्षित के कमान सँभालने के बाद, ये संकेत मिलता है कि पार्टी अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करने के लिए कितनी गंभीर है।
आप और कांग्रेस हमेशा आपस में भिड़े हैं मगर आगामी लोक सभा चुनावों में भाजपा को हराने के लिए दोनों एक ही महागठबंधन में शामिल हो चुके हैं। पिछले महीने, केजरीवाल ने कहा था कि ये हर देशभक्त नागरिक की ज़िम्मेदारी है कि वे नरेंद्र मोदी-अमित शाह की टीम को हराए और इसके लिए वे जो भी कदम उठा सकते हैं उठाएंगे।
मगर दीक्षित के पद पर आने के बाद चीज़े बदल सकती हैं। गठबंधन पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि “आलाकमान, राहुल गांधी और सभी तय करेंगे और जो भी वे तय करेंगे वह हम सभी को स्वीकार्य होगा।”
राज्य में कांग्रेस वरिष्ठ नेताओं पर ही निर्भर रहना चाहती है और इसका सबूत इसी बात से मिल गया कि उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष के लिए 80 साल की महिला जिन्होंने 1998 से 2013 तक दिल्ली की बागडोर संभाली थी, को चुना है।