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    रोहिंग्या शरणार्थी

    म्यांमार के आला स्तर का एक प्रतिनिधि समूह बांग्लादेश के दक्षिणी कॉक्स बाज़ार जिले में रोहिंग्या नेताओं के साथ प्रत्यर्पण बातचीत के लिए मौजूद है। बांग्लादेश विदेश मंत्रालय के डायरेक्टर जनरल मोहम्मद देल्वेर हुसैन ने कहा कि “शनिवार की यात्रा का इरादा रोहिंग्या शरणार्थियों के साथ बातचीत कर उन्हें उनके वतन लौटने के लिए रजामंद करना था। ”

    नाय पई ताव से 15 सदस्यीय प्रतिनिधि समूह की टीम को म्यांमार के विदेश मंत्रालय के स्थायी सचिव म्यिंत थू के नेतृत्व में थी। उन्होंने शरणार्थी समुदाय की महिलाओं समेत नेताओं के साथ चार घंटे की बैठक की थी। साल 2017 में सैन्य बर्बर कार्रवाई के बाद म्यांमार के पश्चिमी प्रान्त रखाइन से 70000 से अधिक रोहिंग्या मुस्लिम भागने पर मजबूर हो गए थे।

    संयक्त राष्ट्र ने कहा कि “नरसंहार के इरादे से लोगो की हत्या की और सामूहिक  बलात्कार को अंजाम दिया गया था। रोहिंग्या मुस्लिमो ने बांग्लादेश के कॉक्स बाज़ार के शिविरों में पनाह ली थी। बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों आंकड़ा 12 लाख पंहुच गया है। म्यन्मार वापस लौटने पर कई लोगो को अभी भी अपनी सुरक्षा का भय है क्योंकि वहां मुस्लिम अल्पसंख्यकों ने दशकों से प्रताड़ना सही है।

    शनिवार को म्यांमार के नेताओं के साथ म्यांमार के प्रतिनिधि समूह की बैठक के केंद्र के बाहर सैकड़ो रोहिंग्या नागरिक एकत्रित हुए थे लेकिन बंगलादेशी पुलिस ने उन्हें तितर-बितर कर दिया थ।

    एक रोहिंग्या शरणार्थी सफारी आलम ने कहा कि “हम यहाँ म्यांमार के प्रतिनिधियों से अपने कुछ सवालों के जवाब लेने के लिए मिले आये हैं लेकिन हमें मिलने की अनुमति नहीं दी गयी थी।” अलजजीरा के तनवीर चौधरी ने शिविर से रिपोर्टिंग ने कहा कि “म्यांमार वापस लौटने के बारे में सोचने से पहले रोहिंग्या की कुछ मौलिक मांगे हैं।

    उन्होंने कहा कि “पहली कि उन्हें संजातीय रोहिंग्या के तौर पर मान्यता देनी होगी, नागरिकता और अंतररष्ट्रीय समुदाय को सुरक्षा की गारंटी देनी होगी।” एक अन्य रोहिंग्या शरणार्थी खालेद होस्सैन ने कहा कि “अगर वह हमें रोहिंग्या के तौर पर मान्यता दे देंगे और हमें नागरिकता कार्ड दे देंगे तो हम एक पल में वहां वापस लौट जायेंगे।

    बांग्लादेश और म्यांमार ने नवम्बर 2017 में प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किये थे लेकिन कोई भी रोहिंग्या ने वापस  लौटने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। बांग्लादेश ने कहा कि वह किसी भी रोहिंग्या को वापस लौंटे पर मजबूर नहीं करेंगे। ढाका में पत्रकारों से बातचित में बुधवार को बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमें ने कहा कि उम्मीद है कि प्रत्यर्पण सितम्बर से शुरू हो जायेगा।

    रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी और नागरिकता अधिकारों को मुहैया करने के लिए म्यांमार को अंतरराष्ट्रीय दबाव सहना पड़ा था। म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों की वापसी के लिए बेहद छोटे स्तर तैयारियां की जा रही है और इसकी तस्वीरे सेटेलाईट के जरिये जुटाई गयी है।

    ऑस्ट्रेलिया स्ट्रेटेजिक पालिसी इंस्टिट्यूट ने मंगलवार को जारी रिपोर्ट में यह दावा किया है कि पुनर्निर्माण के कोई संकेत नहीं है। हालाँकि कुछ इलाको में निवासियों की इमारतो को गिराने का कार्य जारी है।

    एएसपीआई के एक रिसर्चर नाथन रुसेर ने कहा कि “2018-19 में निवासियों के कुछ इलाको में ढहाने का कार्य जारी है, इसकी पहचान हमारे सेटेलाईट की स्पष्ट की जा सकती है। यह प्रत्यर्पण प्रक्रिया और सुरक्षित ठिकानो की म्यांमार सरकार की इच्छा पर गंभीर प्रश्न उठाते हैं।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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