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radhika apte

राधिका आप्टे एक ऐसी अभिनेत्री हैं जिन्हें हमेशा ऑफ-बीट और बोल्ड फिल्में करने के लिए जाना जाता है। मराठी सिनेमा से उठकर बॉलीवुड और फिर हॉलीवुड तक काम करने वाले अभिनेत्री ने समय समय पर अपने हुनर से सभी को चौका दिया है। भले ही लोग उनके किरदारों के चयन के लिए उनकी कितनी भी आलोचना करे मगर इससे कोई इंकार नहीं कर सकता कि वह सबसे कुशल अभिनेत्री में से एक हैं।

हाल ही में मुंबई मिरर को दिए इंटरव्यू में, उन्होंने नेपोटिस्म, समान वेतन और एयरपोर्ट लुक जैसे विषयों पर बात की।

पिछले साल आपने ‘पैडमैन’, ‘अंधाधुन’ और ‘बाजार’ जैसी फिल्मो में काम किया और फिर आपने तीन डिजिटल शो किये, ज़िन्दगी बहुत थकान से भरी होगी।

हां है। लेकिन फ़िलहाल मैं स्क्रिप्ट-रीडिंग ब्रेक पर हूँ। दिलचस्प कंटेंट के लिए तलाश जारी है।

क्या इंडी सिनेमा और ऑफ-बीट कंटेंट से जुड़ना आपका सोचा-समझा कदम था?

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ये योजना नहीं थी अगर आप ये कह रहे है। फिल्म को करने का कारण स्क्रिप्ट है, निर्देशक है और किरदार है और उस वक़्त मैं क्या ढूंड रही हूँ। उसे मुझे चुनौती देनी चाहिए।

‘बदलापुर’ और ‘अंधाधुन’ के बाद, श्रीराम राघवन के साथ फिर जुड़ने की कोई योजना?

लोग बिना किसी बाध्य स्क्रिप्ट के काम पर चर्चा नहीं करते। वह कुछ समय से कुछ लिख रहे हैं मगर मुझे नहीं पता उनकी अगली फिल्म क्या है।

आपकी नवीनतम हॉलीवुड फिल्म ‘द वेडिंग गेस्ट’ को मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है…

(काटते हुए) हर फिल्म को मिली-जुली प्रतिक्रिया मिलती है- किसी को अच्छी लगती है, किसी को बुरी और कुछ तटस्थ रहते हैं। ये उनकी राय है और व्यक्ति रचनात्मक आलोचना को सकारात्मक तरीके से ही ले सकता है। माइकल विंटरबॉटम (निर्देशक) की फिल्में हमेशा अलग रही हैं और इसलिए उन्हें मिली-जुली प्रतिक्रिया मिलती है। इसी ने मुझे उनके साथ काम करने के लिए प्रेरित किया।

विदेश में काम करने का तरीका कैसा है?

लोग वहां हमेशा समय पर आते हैं और समय पर वेतन देते हैं। ये दो महत्वपूर्ण अंतर है।

आपकी अगली हॉलीवुड जासूस थ्रिलर फिल्म वर्ल्ड वार 2 पर आधारित है जिसमे आप कब्जे वाले फ्रांस में उतरने वाली पहली महिला वायरलेस ऑपरेटर नूर इनायत खान बनी है। तो भारत में हम कब फिल्म को देखने की उम्मीद कर सकते हैं?

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ये बहुत बड़ी फिल्म नहीं है और मुझे नहीं पता कि क्या निर्माता इसे भारत में रिलीज़ करने की योजना बना रहे हैं या नहीं।

यहाँ भी कई महिला-केन्द्रित फिल्में बन रही हैं।

हां, चीज़ें बदल गयी हैं लेकिन ये ज्यादा बड़े पैमाने पर होना चाहिए। आज भी, पुरुष नायक और महिला नायिका की फिल्मो के बीच काफी बड़ा अंतर है।

समान वेतन पर आपकी क्या राय है?

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अगर सलमान खान 200 करोड़ रूपये लेकर आते हैं और मैं एक करोड़ भी नहीं लाती, तो ये ज़ाहिर है कि उन्हें ज्यादा भुगतान किया जाएगा क्योंकि वह बॉक्स ऑफिस पर कीमत बढ़ा रहे हैं। मैं ये विवाद नहीं करती लेकिन मुझे उन अभिनेताओं से दिक्कत है जो टिकेट सेल में योगदान नहीं देते। यहाँ तक कि मुख्य किरदार की माँ को भी पिता से कम वेतन दिया जाता है। वो बदलना चाहिए।

एक आउटसाइडर होने के नाते, आप नेपोटिस्म पर कैसे प्रतिक्रिया देती हैं?

मुझे आउटसाइडर शब्द पसंद नहीं। अगर मैं निर्देशक हूँ और मेरा बेटा अभिनेता बनना चाहता है, तो मुझे क्यों उसे लांच नहीं करना चाहिए? इंडस्ट्री आज दोनों दुनिया का मिश्रण है। एक तरफ रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण और कंगना रनौत हैं जिनका जन्म फ़िल्मी परिवार में नहीं हुआ मगर फिर भी कामयाब है और फिर स्टार-किड्स हैं। मुझे पसंद है जैसे विदेश में आप ड्रामा स्कूल में जा सकते हो और बाकि लोगो की तरह ऑडिशन दे सकते हो। वहा ज्यादा न्याय है। बॉलीवुड में कास्टिंग निर्देशक होने से, चीज़ें यहाँ भी बदल रही हैं।

एयरपोर्ट लुक्स के बारे में क्या कहेंगी? अच्छे दिखने का कितना दवाब है?

मैं उसे अपनी नौकरी का हिस्सा नहीं मानती। मुझे एयरपोर्ट में फैंसी कपड़े पहनने की जरुरत नहीं है। मैं वहां काम नहीं कर रही हूँ।

By साक्षी बंसल

पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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