राज्य सभा में महिला सांसदों ने भाजपा शासित सरकार से शुक्रवार वाले दिन, संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले कानून के पारित होने को सुनिश्चित करने के लिए लोकसभा में अपने बहुमत का उपयोग करने के लिए कहा है।
संविधान (108 वां संशोधन) बिल जिसे महिला आरक्षण बिल भी कहा जाता है, 2010 में राज्य सभा द्वारा पारित किया गया था मगर लोक सभा में जाकर वे अटक गया।
जब सभापति वेंकैया नायडू ने अपनी अपनी बात कहने की अनुमति दी तो महिला सदस्यों ने कानून के पक्ष में बोला। समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन ने कहा कि उनकी पार्टी इस बिल के खिलाफ नहीं है लेकिन दलितों के लिए उप-आरक्षण चाहती हैं। और साथ ही साथ ये भी कहा कि राजनीतिक पार्टी के पास ये अधिकार होना चाहिए कि वे उन सीटें या निर्वाचन क्षेत्र को चुन सके जहाँ से वे 33 प्रतिशत महिलाओं को भेजना चाहती है।
झरना दास बैद्य (CPM) ने कहा कि भाजपा के पास लोक सभा में पूर्ण बहुमत है मगर उसके बाद भी वे महिला आरक्षण बिल पारित नहीं करा सकी।
वी थोटा सीताराम लक्ष्मी (TDP) ने कहा कि उनकी पार्टी कानून का समर्थन करती है और साथ ही सरकार से निचले सदन में अपना रास्ता सुनिश्चित करने की अपील की है।
शांता छेत्री (TMC) ने कहा कि उनकी पार्टी ने 2014 लोक सभा चुनाव में एक-तिहाई टिकेट महिलाओं को दी थी और पश्चिम बंगाल ने पहले से ही स्थानीय निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया हुआ है।
विजिला सत्यनंत (AIADMK) ने सरकार से बिल लाने और इसे लोकसभा में पारित कराने को सुनिश्चित करने का आग्रह किया। “आपके पास बहुत बड़ा बहुमत है, कानून पारित करने के लिए”, उन्होंने कहा।
उन्होंने सरकार से AIADMK की मृत नेता जे जयललिता को भारत रत्ना से सम्मानित करने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि वे सदी की सबसे बड़ी नेता थी।
कनिमोझी (DMK) ने कहा-“ये बहुत दुखद है कि महिलाओं को ज़िन्दगी भर पुरुषों द्वारा बनाये गए फैसलों का पालन करना पड़ता है। इधर भी महिलाओं के लिए पुरुष ही फैसला ले रहे हैं।” आगे उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी कानून का समर्थन करती है।
सोनल मानसिंह (नामित) ने कहा कि विधानसभा में महिलाएं अनुग्रह, ज्ञान और सद्भाव लेकर आयेंगी।
कांग्रेस सदस्य विप्लव ठाकुर ने कहा कि जब तक वे खुद फैसले नहीं लेंगी तब तक महिला सशक्तिकरण हो ही नहीं सकता। और आगे ये भी कहा कि भाजपा ने संसद में महिलाओं के लिए आरक्षण लाने का वादा किया था।
कहकशां परवीन (JD-U) ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री ने पहले ही स्थानीय निकायों के लिए महिला आरक्षण लागू कर दिया है। कई महिलाएं जिला परिषद की प्रमुख है और मेयर भी हैं।
भाजपा सदस्य संपतिया उइके ने कहा कि उनकी पार्टी महिलाओं को सशक्त बना रही है।