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    मृदा अपरदन soil erosion in hindi

    विषय-सूचि

    मृदा अपरदन क्या है? (soil erosion meaning in hindi)

    मृदा अपरदन (soil erosion) एक प्रकार की प्रक्रिया है जिसमे विभिन्न कारणों से मिट्टी का कटाव होता है। यह एक प्रकार की प्राकृतिक प्रक्रिया है जो हर प्रकार के भूभागों को प्रभावित करती है।

    कृषि के अंतर्गत जब खेत की मिट्टी का ऊपरी परत विभिन्न कारणों जैसे कि पानी कि तेज धारा, तेज गति से बहते हुए हवा आदि के कारण मिटने लगता है, तब यह प्रक्रिया होती है।

    ISRO रिपोर्ट के अनुसार भारत के भूभाग का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा मिट्टी की अवनति का शिकार है जिसका प्रमुख कारण है – मृदा अपरदन।

    लगभग 26 प्रतिशत मामलों में यह पाया गया कि मिट्टी की अवनति का कारण मृदा अपरदन है। संयुक्त राष्ट संघ की संस्था Convention on Combatting Desertification के साथ मिलकर भारत सरकार ने मिलकर यह घोषणा की है कि वे ऐसे नीतियां बनायेंगे जिससे साल 2030 तक मिट्टी का कटाव पूरी तरह से रुक जाये।

    मृदा अपरदन के कारण (reason of Soil Erosion in hindi)

    इस प्रक्रिया के दो महत्वपूर्ण कारक हैं – पानी और हवा। तेज हवा एवं बहते हुए पानी के कारण ज़्यदातर समय में मिट्टी का कटाव होते हुए देखा गया है।

    हालाँकि इन दोनों के बीच एक प्रकार का संतुलन बना रहता है। लेकिन कई दूसरे कारक (कोई अन्य प्राकृतिक एवं मानव निर्मित) हैं जो इस संतुलन को बिगाड़ने का काम करते हैं जिससे मृदा अपरदन और तेजी से होता है।

    बढ़ते हुए जनसंख्या के कारण ज्यादा भूभागों की आवश्यकता होती है, जिससे घर बनाने के लिए, खेती, पशुओं को चराने आदि के लिए जंगल साफ़ कर दिए जाते हैं।

    हवा से होने वाले अपरदन शुष्क एवं अर्ध शुष्क (arid & semi-arid) भागों में देखे जाते हैं। जहाँ भारी बारिश होती है एवं खड़ी ढलान (steep slope) पाए जाते हैं वहां पानी से होने वाले अपरदन देखे जाते हैं। यह भारत में एक प्रमुख समस्या है और विभिन्न भागों में शीट अपरदन एवं घाटी (gully) अपरदन के रूप में अवतरित होता है।

    मृदा अपरदन के प्रकार (Types of Soil Erosion in Hindi)

    इस प्रक्रिया के चार प्रकार हैं:

    • छप अपरदन (Splash Erosion)

    तेज बारिश के दौरान जिस ऊर्जा के साथ बारिश भूभाग पर गिरती है, उसके कारण भूभाग से मिट्टी के टुकड़े अलग हो जाते हैं, एवं तलछट (sediment) नीचे ढलान की तरफ खिसकने लगते हैं।

    अगर धरती का रख रखाव ठीक से किया गया है (जैसे कि कम जुताई की गयी हो) या ठीक प्रकार से पौधे या फसल लगाए गए हैं तो कम नुकसान होता है। अगर खेतों में सही से खाद दिए गए हैं, तब भी इसका कम प्रभाव रहता है।

    • शीट अपरदन (Sheet Erosion)

    इस प्रकार का अपरदन बाकी प्रकारों के अनुसार जल्दी पहचान में नहीं आता लेकिन इससे काफी हानि होती है। इसके कारण जमीन पर किसी भी प्रकार का निशान नहीं मिलता।

    मिट्टी की जो ऊपरी परत होती है, जो सबसे उपजाऊ मानी जाती है, इस प्रकार के प्रक्रिया के दौरान वह बह जाता है।

    • Rill Erosion

    इस प्रकार के अपरदन में बहुत सारे छोटे छोटे नाले बन जाते हैं। शीट अपरदन होने के बाद जब  पानी अधिक मात्रा में बहने लगता है, तो इस प्रकार के होने का कारण बनता है। अगर यह खेती वाले भाग में हो तो काफी मात्रा में उपजाऊ मिट्टी का कटाव होता है।

    • Gully Erosion

    इसके कारण जमीन पर छोटे बड़े नाले बन जाते हैं। कभी कभी ऐसे बने हुए नाले कई फिट गहरे होते हैं। इस प्रकार के अपरदन के कारण जमीन के ऊपरी सतह की मिट्टी यानि ऊपरी परत तो जाती ही है साथ ही नीचे भाग की मिट्टी भी बह जाती है।

    आप अपने सवाल एवं सुझाव नीचे कमेंट बॉक्स में व्यक्त कर सकते हैं।

    8 thoughts on “मृदा अपरदन क्या है? प्रकार, कारण, जानकारी”
    1. दिखे कि मिट्टी जलवायु परिवर्तन के कारण कितना बहाव या जमाव हुआ है जो एक प्रमुख कारण में से एक है।
      जब भी हम किसी मिट्टी को उपजाऊ भूमि के रूम में विकसित करते हैं तो वह पहले अपने स्वरूप के रूप में होता है जिसमे परिश्रम कर पसीना बहाया जाता है जो भूमि जन्म पैदावार मनुष्य के पहचान उसके रक्त के बूंदे और अश्रु है। खनिज श्रोत भूमि के निचली स्रोतों में पाया जाता तेल है। वह मनुष्यों में भी स्वाभाविक रूप से होता है। मिट्टी खाना, अन्न उगाना मृदा अपरदन बचाव में बड़े बड़े मेड़ पार बनाना है जो रख रखाव आवश्यकता पूर्ति, बचाव के लिए है।
      मिट्टी को हमने मातृत्व माना जिसे खाना बचपन का पहचान होता होगा नही भी की कौन बचपन मिट्टी के खिलोनों से नही खेलता है, तब वह बचपन कितने हम रूप में बनते और बिगड़ते है।
      गिरना गिरकर उठना और संभलना एक उम्र के बाद वह मातृत्व मिट्टी मातृभूमि को भूल जाता है। जो मेरे मां के त्व रूप संचरण है वह मेरे पैकेट हृदय के पास होता है। मैं जब दियार को चख रहा होता हूं तो स्वाद की अनुभूति में बार बार वह कार्य दोहरा रहा होता हूं। जो निहार रहा हूं एक मछुवारे को वह मछली पकड़ रहा है। मेरे लिए आज मिट्टी बचाव या मातृभूमि बचाव की लड़ रहा किसका अधिकार है। जो बह जाएगा रक्त की बूंदे सभी, शरीर में क्या जो तत्व सभी प्रकृति के एक मिट्टी, अग्नि में जल जाएगा वायु संचार, जल प्रवाह में सब विलीन हो जाएगा।
      मेरा गला सुख रहा है, पानी नही है।
      मुझे भूख लग रहा है, भोजन नही है।।
      मेरे कर्मों का दोष ही है मैंने को किया वह किसी कारण भगवान का उपदेश है जो वही स्वीकार में जीवन भी है प्राण भी है।
      आओ मिल कर अपने मातृ का रक्षा करें, सेवा करें, भविष्य के लिए संचय धन ऐकतृत करें।
      हम चाह कर भी प्रकृति स्वभाव बदल नही सकते और विष्णु भगवान से नही लड़ सकते हैं।
      जो मैं हूं स्वभाव मेरा आप उसके रूप में देन कौन सा सत्य रूप में पहचान है।
      मुझे मिट्टी के लिए बांटो नही, ना काटो मेरा शरीर जो देन प्रकृति स्वभाव मेरा मैं ही उसका उपचार हुं।
      स्वाह् देवी नमोस्तुते। याह देवी नारायणी नमोस्तुते। रूपम दर्शनम शेषशैयम् बचा मेरा स्थान मुझे प्रदान करें माता लक्ष्मी नारायण भक्ति भाव विचार दे।
      क्षीर सागर!

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