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    mayawati

    पिछले कुछ चुनावो के नतीजों पर गौर करे तो कांग्रेस के अलावा बसपा दूसरी ऐसी पार्टी है जिसका अस्तित्व अब खतरे में है। उत्तर प्रदेश हो या दिल्ली, बसपा का प्रभाव साल दर साल कम हुआ है। यहाँ तक की बसपा अपने ही राज्य में संघर्ष करती दिखी।

    2017 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में बसपा महज़ 19 सीटो पर सिमटती दिखी। यहाँ तक की वो अपना प्रमुख वोट बैंक यानी पिछड़ा वर्ग जो एक समय में बसपा की ताकत हुआ करता था वो यह भी नही बचा पाई। परिणाम स्वरुप उसे अपने वोट प्रतिशत में भी कमी झेलनी पड़ी। बसपा का वोट बैंक पर कब्ज़ा भाजपा का रहा जो उत्तर प्रदेश में उभर कर सामने आई और योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में सरकार बनाई।

    परन्तु बसपा सुप्रीमो मायावती ने पिछली हार से सीख लेते हुए आगामी चुनावों के लिए कमर कस ली है और लोक सभा चुनावो के लिए साल भर पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है। ऐसी अटकले लगाई जा रही है कि 14 साल बाद मायावती अम्बेडकर नगर सीट से चुनाव लड़ सकती है जो कि उसका गढ़ माना जाता है। बता दे की पिछले चुनाव में भाजपा उम्मीदवार ने बसपा उम्मीदवार को एक बहुत बड़े अंतर से हराया था।

    प्रमुख तौर पर बसपा अस्तित्व में तब आई जब मायावती ने साल 2004 में पार्टी की कमान संभाली  इसके बाद साल 2007 में उत्तर प्रदेश में बहुमत के साथ सरकार बनाई। पर उस साल के बाद बसपा का बिखरना शुरू हो गया। 2012 हो या 2014 उसे दोनों बार करारी हार झेलनी पड़ी।

    2014 में तो उसका खाता तक नही खुला पाया। पर पिछली हार से सबक लेकर हाल ही में मायावती ने आगामी चुनावों को लेकर शंखनाद कर दिया है और अब  यह देखना दिलचस्प  होगा कि इससे कार्यकर्ताओ का मनोबल बढ़ता है कि नहीं, बसपा का अच्छा वक्त आता है या बुरा वक्त।

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