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    रोहिंग्या-मुस्लिम

    पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर केंद्र की सत्ताधारी मोदी सरकार पर निशाना साधा है। रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर केंद्र सरकार के रुख से नाराज होकर उन्होंने मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि रोहिंग्या आतंकवादी नहीं आम इंसान है। मोदी सरकार को उनकी मदद करनी चाहिए। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हमेशा से ही भाजपा और हिंदुत्व के खिलाफ बोलती आई हैं और इससे पहले भी मुसलमानों से जुड़े मसलों पर नरम रुख दिखाती रही हैं। उनपर पश्चिम बंगाल में बंगलादेशी मुसलमानों की अवैध घुसपैठ को बढ़ावा देने का आरोप भी लगता रहा है और यह माना जाता है कि उनके चुनाव जीतने में पश्चिम बंगाल में अवैध रूप से रह रहे बंगलादेशी मुसलमानों की बड़ी भूमिका रही है।

    अपने ट्वीटर हैंडल पर लिखते हुए ममता बनर्जी ने कहा है कि “हम लोग संयुक्त राष्ट्र की उस अपील का समर्थन करते हैं जिसमें रोहिंग्या मुसलमानों को मदद करने की बात कही गई है। हमें यकीन है कि सभी रोहिंग्या आतंकवादी नहीं हैं बल्कि आम इंसान हैं, हम इस बारे में चिंतित हैं।” इससे पूर्व भी मुसलमानों से जुड़े कई मुद्दों को आग देकर ममता बनर्जी अपनी सियासी जमीन मजबूत करती आई हैं और यही वजह है कि पश्चिम बंगाल में उनकी सरकार की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की नीतियों का उन्होंने हमेशा ही विरोध किया है और हाल ही में उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के कार्यक्रम की बुकिंग भी रद्द करवा दी थी।

    भारत सरकार के रुख की संयुक्त राष्ट्र ने की आलोचना

    संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संघ ने रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर भारत सरकार के रुख की आलोचना की है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संघ के प्रमुख जैद राद अल हुसैन ने रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजने सम्बन्धी भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम की निंदा की है। उन्होंने कहा है कि भारत का यह कदम अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों के अनुरूप नहीं है। भारत देश में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताकर उन्हें वापस म्यांमार भेजना चाह रहा है।

    भारत सरकार ने तर्क दिया है कि उसने रिफ्यूजी कन्वेंशन पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं लिहाजा वह रोहिंग्या मुसलमानो को वापस म्यांमार भेज सकता है। कुछ खुफिया जाँच एजेंसियों के हवाले से पता चला है कि भारत में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों के पाकिस्तान और बंगलादेश स्थित कुछ आतंकी संगठनों से सम्बन्ध हैं। साथ ही भारत में कुछ दलालों और संगठित नेटवर्कों द्वारा रोहिंग्या मुसलमानों की मदद किए जाने की बात भी सामने आई है।

    18 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मामले को रखेगा गृह मंत्रालय

    देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि केंद्र सरकार 18 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट को इस मसले से अवगत कराएगी। उन्होंने इस मसले पर और कुछ बताने से इंकार करते हुए कहा कि गृह मंत्रालय 18 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हलफनामा दायर करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्रालय के रोहिंग्या मुसलमानों को वापस म्यांमार भेजने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने के लिए सोमवार, 18 सितम्बर का दिन निर्धारित किया है। गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने इस बाबत कहा था कि देश में अवैध रूप से रह रहे 40,000 से अधिक रोहिंग्या मुसलमानों को भारत सरकार वापस म्यांमार भेजेगी।

    म्यांमार से लगी सीमाओं पर बढ़ी चौकसी

    पूर्वोत्तर में भारत की म्यांमार के साथ 1643 किलोमीटर लम्बी सीमा है। यह सीमा देश के 4 राज्यों अरुणाचल प्रदेश (520 किलोमीटर), मिजोरम (510 किलोमीटर), मणिपुर (398 किलोमीटर) और नागालैंड (215 किलोमीटर) से लगती है। इस 1643 किलोमीटर लम्बी बिना घेराबंदी की सीमा पर 16 किलोमीटर भूभाग मुक्त क्षेत्र है। इसमें दोनों देशों की 8-8 किलोमीटर लम्बी सीमाएं शामिल हैं। गृह मंत्रालय के आदेश के बाद सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। असम राइफल्स की 8 कंपनियों को सीमा पर तैनात किया गया है। म्यांमार और बांग्लादेश सीमा से लगे भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में रोहिंग्या मुसलमानों को देश में प्रवेश से रोकने के लिए सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। आईजॉल और अगरतला में तैनात असम राइफल्स और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि पूर्वोत्तर राज्यों की सीमा के पास अब तक किसी भी अप्रवासी के सीमा पार कर यहाँ आने की सूचना नहीं है।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।