कंगना रनौत कितनी अच्छी अभिनेत्री हैं, ये तो सब जानते थे मगर उनके निर्देशन की प्रतिभा भी सबके सामने तब आई जब उन्होंने फिल्म “मणिकर्णिका:द क्वीन ऑफ़ झाँसी” से बतौर निर्देशक डेब्यू किया। फिल्म को दर्शकों से बहुत प्यार मिल रहा है और बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई कर रही है। जब वे सिग्नेचर मास्टर क्लास इवेंट में आई तो उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें क्वीन का दर्ज़ा फिर मिल गया है, जिस पर अभिनेत्री ने कहा कि उन्हें पता नहीं है मगर कुछ चीज़े हैं जो वे अच्छे से कर सकती है जैसे अभिनय और अब निर्देशन। उन्होंने आगे कहा कि उन्हें ऐसा भी लगता है कि वे अच्छी वक्ता हैं।
इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू के कुछ अंश-
Q. “मणिकर्णिका” को मिल रही सफलता के बाद, आपको फिर बॉलीवुड की क्वीन कहा जा रहा है। तो आपको इस दर्जे के बारे में कैसा लगता है?
मैं खुद को धन्य मानती हूँ कि मैं ये कर पाई। मैंने इस प्रोजेक्ट के साथ बहुत बड़ा जोखिम उठाया था। जब फिल्म को छोड़ दिया गया और मैंने ज़िम्मेदारी ली तो सबने कहा कि अगर फिल्म नहीं चली तो सब मुझ पर दोष लगायेंगे। उस वक़्त मैंने सोचा कि अगर ऐसा है तो होने दो। मैं देखूंगी कि ये कैसे जाता है।
फिल्म इंडस्ट्री में, ऐसा कहा जाता है कि शुरू से फिल्म बनाना आसान होता है मगर किसी प्रोजेक्ट को पुनर्जीवित करना बहुत मुश्किल होता है। तो, वो जोखिम रंग लाया। हालांकि 50% से ज्यादा चांसेस थे कि मैं इसे नहीं बनाउंगी। अब जब मैंने ये फिल्म बना ली है तो फिल्म थोड़ी और खास बन गयी है। ये बाकी निर्देशन डेब्यू जैसी नहीं है, ये थोड़ी और खास है।
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Q. “मणिकर्णिका” की कामयाबी ने आपको इंडस्ट्री और दर्शकों के बारे में क्या सिखाया है?
मेरा दिल और आत्मा उस कहानी के लिए था जो हम सबकी है। रानी लक्ष्मीबाई मेरी ही नहीं, हम सबकी हैं। हम जो भी है आज, उनकी वजह से है जिन्होंने अपनी ज़िन्दगी का त्याग किया। मेरा ईमानदारी से यही प्रयास था कि लोगों के लिए कुछ बनाऊ। मैंने निर्देशन के लिए एक पैसा भी नहीं लिया। मुझे ऐसा लगा कि मैं देश की जनता की सेवा कर रही हूँ। और मुझे ऐसी ही प्रतिक्रिया मिल रही है। लोग जैसे इसे पसंद कर रहे हैं या जैसे इस विरासत से जुड़ाव महसूस कर रहे हैं, मुझे इस फिल्म से यही मिला है।
इंडस्ट्री के लोग अप्रिय हैं और फिल्म के साथ खिलाफ गैंग बना रहे थे। वे कुछ नहीं कह रहे और नज़रंदाज़ कर रहे हैं। रैकेट इतना मजबूत हैं कि एक छोटा सा अभिनेता भी मुझे चुपके से मेसेज करके फिल्म की तारीफ कर रहा है। जानते हो, उनकी हिम्मत नहीं है सोशल मीडिया पर लिखने की। ऐसे उन्होंने गैंग बनाया है। ऐसा नहीं है कि बुरा नहीं लगता। हम ‘क्वीन’, ‘दंगल’ और बाकी फिल्म जो समाज पर प्रभाव डालती है, के लिए खड़े रहे। हर किसी को “मणिकर्णिका” के लिए खड़ा होना चाहिए मगर ये शर्म की बात है कि उनकी संकीर्णता बाहर आ रही है। मुझे ऐसा लगता है कि इंडस्ट्री तुच्छ और छोटे लोगों से भरा हुआ है जो पसंद और नापसंद से ऊपर ही नहीं उठते।
Q. आपकी मुखरता काफी प्रभावशाली है। आपको क्या हिम्मत देता है?
मेरे खिलाफ मामले दर्ज़ कराने वाले छह लोग हैं। इसके बाद, मेरे खिलाफ आठ और जाये। मगर अन्दर ही अन्दर, मुझे पता है कि किसी बड़े मुद्दे पर बोल रही हूँ। ऐसा बहुत कम होता है कि फिल्म किसी एक इन्सान की नहीं बल्कि मानवता और देश की हो। इन फिल्मों को वैसे ही देखना चाहिए जैसी वे हैं। मुझे यकीन हैं कि अगर मेरी नीयत सही है मैं कभी मुँह के बल नहीं गिर सकती।
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Q. जिन जिन को भी फिल्म से दिक्कत थी, क्या उन्होंने कभी भी आपके साथ बैठ कर दिक्कतों को सुलझाने की कोशिश की?
मैंने सबकुछ खुले दिमाग से देखा। हम कृष को दिसम्बर में ही फिल्म दिखाना चाहते थे मगर वे आये नहीं। यहाँ तक कि उन्हें इतना भरोसा था कि फिल्म बेकार हो गयी है। लेकिन जैसे ही उन्होंने फिल्म को देखा, उन्होंने चिल्लाना शुरू कर दिया-‘ये मेरी फिल्म है, ये मेरी फिल्म है’ जो ठीक है क्योंकि श्रेय उन्ही के नाम पर है मगर सवाल ये है कि मीडिया ट्रायल की क्या जरुरत थी। मुझसे बात क्यों नहीं की? वे मुझसे कभी नहीं मिले और ना ही निमंत्रण को स्वीकार किया।
यहाँ तक कि किरदार कलाकारों ने भी यही दावा किया कि उन्हें जो वादा किया गया था वो नहीं मिला। वे चुपके से मुझे मेसेज कर रहे हैं-‘हमें बताया गया था कि हमारा सोलो इंटरव्यू होगा’, मैंने सबको ब्लॉक कर दिया क्योंकि क्या आप दोनों तरफ मक्खन लगाने की कोशिश कर रहे हैं। मतलब इन सभी का एजेंडा है। मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि अगर आपमें मेरे, अंकिता, प्रसून और शंकर जैसे काम के प्रति ईमानदारी है तो पब्लिक में जाकर फिल्म पर हमला नहीं करेंगे इतने महत्वपूर्ण हफ्ते में। जो ये लोग कर रहे हैं-ये नुकसानदायक है।
सोनू सूद को फिल्म के बारे में बोलने की इज़ाज़त नहीं है। उनका कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो चुका है। तो क्यों वे फिल्म की छवि खराब कर रहे हैं? इन सभी के जड़ से जुड़े एजेंडा हैं। हालांकि हमारे लिए जश्न मनाने का समय है क्योंकि विश्वभर में फिल्म ने 100 करोड़ रूपये का आकड़ा पर कर लिया है।
बातचीत के अंत में, कंगना ने कहा कि ये फिल्म लोगों को नींद से उठाने के लिए जरूरी है ताकी उन्हें स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बारे में पता चल पाए। उन्होंने कहा कि अपना इतिहास पता होना जरूरी है।