पिछले लोक सभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो उस वक़्त गुजरात के मुख्यमंत्री थे, वे राजनीती की दुनिया का कोई मशहूर चेहरा नहीं थे। मगर कमाल के चुनावी अभियान और वादों की लम्बी सूची बनाकर उन्होंने भारत की जनता को मोह लिया और दस साल से लगातार भारत की कमान थामने वाले डॉक्टर मनमोहन सिंह के हाथों से सत्ता छीन ली।
मगर अब लग रहा है कि इतने बड़े बड़े वादे अब उन्ही पर ही भारी पड़ गए हैं। देश की जनता का ऐसा मानना है कि वादों के हिसाब से मोदी कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए और शायद यही एक कारण है कि विपक्ष के साथ साथ उनकी खुद की पार्टी-भारतीय जनता पार्टी के सदस्य उन्हें घेरे हुई है। मोदी के किये वादों को “जुमले” का नाम दे दिया गया।
और इस बात का प्रमाण तब मिला जब उनके सबसे भरोसेमंद विश्वासपात-भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने स्वीकार किया कि यह एक रणनीति थी। उन्होंने विदेशी बैंक खातों में जमा भ्रष्ट भारतीयों के काले धन की वापसी का उपयोग करके नागरिकों के बैंक खातों में 15 लाख रुपये जमा करने के वादे को “चुनावी जुमला” करार दिया।
और इतना ही नहीं, मोदी द्वारा उठाये गए इतने कदम-चाहे वो नोटबंधी हो या जीएसटी, सभी को देश की आर्थिक स्थिति के कमज़ोर होने का कारण बता दिया गया। और राहुल गाँधी जैसे राजनेताओं को जिन्हें पूरी दुनिया ‘पप्पू’ नाम से बुलाती है, उन्हें भी पीएम मोदी को ‘चौकीदार ही चोर है‘ कहने का मौका मिल गया।
पप्पू नाम से याद आया, हाल ही में तीन मुख्य राज्यों में भाजपा को धक्का मार कर कुर्सी हथियाने वाली कांग्रेस इन दिनों सातवे आसमान पर है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में शिकस्त खाने के बाद अगर इतना काफी नहीं था तो सर्वेक्षणों की संख्या भाजपा पर लगातर वार पर वार कर रही है। लगभग सभी सर्वेक्षण में दिया गया है कि आगामी लोक सभा चुनाव में, पार्टी बहुमत से कौसों दूर होगी जिसे जानने के बाद, भाजपा की रातों की नींद उड़ गयी है।
इससे ना केवल विपक्ष को मोदी सरकार को घेरने का मौका मिला, बल्कि भाजपा के लिए भी बड़ा सर दर्द बन गयी है।
केन्द्रीय मंत्री और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कहा-“लोगों को वो नेता पसंद आते हैं जो उन्हें सपने बेचते हैं। मगर जब उन सपनो का ख्याल नहीं किया जाता तो वे उन्हें पीट भी देते हैं। मैं वह नहीं हूँ जो केवल सपने बेचता है, लेकिन मैं जिसकी बात करता हूँ उसे मैं 100 प्रतिशत वितरित करता हूँ।”
उनके बयां से कोई भी इन्सान जिसे राजनीती की इतनी समझ नहीं है, वो भी बता देगा कि ये पीएम मोदी के ऊपर कहा गया था, मगर सत्ता तो आखिर सत्ता है। मंत्री ने बाद में स्पष्ट कर दिया कि ये कांग्रेस के लिए कहा गया था। मगर प्रधानमंत्री जी को इतना संकेत तो मिल ही गया होगा उनके झूठे दावों से जनता अब नहीं पिघलेगी। और 2019 के प्रधानमंत्री की कुर्सी अब खतरे में है।
कई लोगों का ऐसा भी मानना है कि अगर पीएम मोदी उस दौरान इतने बड़े बड़े वादे ना करते तो भी जीत ही जाते क्योंकि उस वक़्त यूपीए सरकार के खिलाफ लोगों में इतना गुस्सा जो भरा हुआ था।
मगर उनकी जरुरत को भी उस वक़्त समझा जा सकता है क्योंकि उनके लिए ये सुनिश्चित करना जरूरी था कि उन्हें पूर्व बहुमत मिले और सबसे अहम बात, भाजपा में पीएम बनने की लम्बी सूची में वे बिना किसी चुनौती के सबसे आगे आ सकें।
मगर अब लग रहा है उन “जुमलों”-मेरा मतलब है उन वादों के कारण अब मोदी को चुनाव के नतीजों तक नींद नहीं आने वाली है क्योंकि जिन दावो ने उन्हें इस ऊंचाई तक पहुँचाया, अब वही उन्हें गिरा भी सकते हैं।