प्रियंका चोपड़ा जो लगातार अपनी प्रतिभा से दुनिया में अपना नाम रोशन करती जा रही हैं, वह जब गुरुवार को न्यू यॉर्क में वर्ल्ड समिट के 10वे एनुअल वीमेन में नज़र आई थी तो उन्होंने कुछ समय से गति पकड़ने वाले हुए मीटू अभियान के ऊपर बात की। वर्ल्ड फाउंडर की महिला टीना ब्राउन से बात करते हुए अभिनेत्री ने कहा-“महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न एक मानक बन गया था। अब, क्योंकि हम एक-दूसरे को समर्थन दे रहे हैं, लोगों के पास हमें बंद करने की शक्ति नहीं है।”
womenintheworld.com के अनुसार, जब प्रियंका से पूछा गया कि क्यों अन्य भारतीय अभिनेता हॉलीवुड की तरफ रुख नहीं करते, तो देसी गर्ल ने जवाब दिया-“बहुत सारे अभिनेता जिनसे मैं बात करती हूँ, उनमे इंडस्ट्री से बाहर जाने की महत्वाकांक्षा नहीं हैं। बॉलीवुड सबसे बड़ा है, यदि फ़िल्म बनाने वाली पहली इंडस्ट्री नहीं है और जनसांख्यिकीय इतना बड़ा है कि वे इसे छोड़ना नहीं चाहते हैं।”
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उन्होंने हॉलीवुड में रूढ़िवादी भूमिकाओं के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि उन्होंने जातीय रूप से अस्पष्ट किरदारों को निभाया है और इन्ही सब जातीय किरदारों ने उन्हें पहुँचाया जहाँ वह आज हैं। प्रियंका ने यह भी उल्लेख किया कि वह रूढ़िवादी भूमिका नहीं करना चाहती थीं क्योंकि फिर सभी लोग वही देखेंगे जो उन्हें पहले से ही पता है कि वह कर सकती हैं।
जब उनसे मीटू अभियान के असर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उस संख्या में ताकत है जिसका महिलाएं लुत्फ़ उठा रही हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं के पास हमेशा से ही आवाज़ थी, लेकिन अब क्योंकि महिलाएं एक दूसरे का समर्थन कर रही हैं, कोई उन्हें चुप नहीं करा सकता।
उनके मुताबिक, “अब अगर मेरे पास कहानी है मुझे नहीं लगता कि मैं अकेली हूँ और मैं इस बारे में शर्मिंदा नहीं हूँ।”
टीना ने जब उनसे पूछा कि क्या कभी उन्होंने यौन उत्पीड़न का सामना किया है, अभिनेत्री ने अपना हाथ खड़ा किया और कहा कि इस कमरे में शायद हर किसी ने एक ना एक बार किया होगा।