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    मिर्ज़ापुर

    गुंडई, बन्दूक, गालियां, खून, खराबा, दंगे ,फसाद जैसे कई शब्दों के लिए उत्तर प्रदेश का जिला मिर्ज़ापुर मशहूर है। इसी के नाम पर बनाई गयी है वेब सीरीज “मिर्ज़ापुर” जिसे आप अमेज़ॉन पर देख सकते हैं या यूँ कहे कि देखनी चाहिए भी या नहीं।

    जब इस सीरीज का ट्रेलर का लांच हुआ था तब सबको इसका बेसब्री से इंतज़ार था मगर रिलीज़ होने के बाद ये दर्शको को निराश करती हुई नज़र आयी। हिंसा और गुंडई जैसे जिन चीज़ो को देखने के लिए लोगो ने अपना कीमती समय खर्च किया वो दूर दूर तक भी कही नज़र नहीं आयी। “मिर्ज़ापुर” नाम से बनी इस सीरीज में मिर्ज़ापुर का हल्का सा भी अंश नहीं था।

    इसका ट्रेलर देखकर लोगो को लगा की उन्हें मिर्ज़ापुर के रूप में हिट मूवी “गैंग्स ऑफ़ वास्सेपुर” पार्ट 3 देखने को मिलेगी मगर ये सीरीज इस पाथ ब्रेकिंग मूवी के इर्द गिर्द भी नहीं घूमती। इस फिल्म का ना एक्शन दमदार है और नाही ही उनकी गालियां जिसके लिए दर्शक इसका बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे।

    मिर्ज़ापुर को रहने दीजिये, लोगो को तो इस सीरीज में उत्तर प्रदेश का माहौल भी नज़र नहीं आया जो निराशा का मुख्य कारण है।

    सिनेमेटोग्राफर ने बहुत कोशिश की इस कमज़ोर लेखन को अपने कैमरा एंगल्स से निखारने की मगर उसमे भी कोई खास कामयाबी उसे मिली नहीं। उसने ज़ूम तकनीक का इस्तेमाल कर हर हिंसक दृश्य को असली जैसा बनाने का प्रयास किया मगर इन सबके बावजूद ये सीरीज हिंसा दिखाने में(जो इसका मुख्य बिंदु था) नाकामयाब रही।

    मिर्ज़ापुर में दिखाने के लिए बहुत सी चीज़े हैं जैसे ड्रग्स, राजनीती, क्राइम, हिंसा मगर जगह जगह पे ये सीरीज इन मुद्दों से भटकती हुई दिखाई दी। दर्शको को इससे जुड़ने में और समझने में गहरी मशक्कत करनी पड़ रही थी जो इस सीरीज की  सबसे बड़ी कमी थी।

    इस सीरीज में जिसने लोगो का दिल जीता है वो है पंकज त्रिपाठी। हर फिल्मो की तरह इसमें भी उन्होंने अपने किरदार को जीवित रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने इसमें अखण्ड त्रिपाठी उर्फ़ कालीन भैया नाम का किरदार निभाया जिनके हाथो में मिर्ज़ापुर की बागडोर है।

    उनके बेटे मुन्ना का किरादर निभाया दिव्येंदु शर्मा ने जो अपने बाप से ये पावर हासिल करना चाहता है। दिव्येंदु अपने किरदार के लिए फिट नहीं बैठ रहे थे। इस फिल्म में दो और मुख्य किरदार थे जो थे गुड्डू और बबलू के। ये निभाए अली फैज़ल और विक्रांत मस्से ने। दोनों अच्छे एक्टर्स है पर ऐसा लग रहा था कि ये किरदार उनके लिए नई लिखे गए हैं। वो लोगो को डराने में बिलकुल भी कामयाब नहीं हो पाए।

    पंकज के अलावा किसी भी एक्टर में यूपी की बोली नहीं झलक रही थी। ऐसा लग रहा था सब बहुत कोशिश कर रहे है गुंडे बनने की मगर उनसे ये नहीं हो पा रहा है।

    इस सीरीज में डॉन का एक अलग रूप भी दिखाया गया है जो एक फॅमिली मैन होता है। मगर उसका खुद का परिवार उसकी एक नहीं सुनता। उसकी बीवी उससे नाखुश होकर नौकरो के साथ सम्बन्ध बनाती है।

    इस सीरीज में पंकज त्रिपाठी के अलावा और कुछ देखने लायक नहीं हैं। ये पूरी तरीके से निराश करने वाली वेब सीरीज है।

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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