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    दलाई लामा

    तिब्बत में बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने सोमवार को कहा कि “उनका अगला उत्तराधिकारी भारत से हो सकता है, जहां उन्होंने अपने जीवन के 60 बर्ष बिताये हैं।” उन्होंने आगाह किया कि चीन द्वारा घोषित अन्य उत्तरधिकारी को सम्मान न दिया जाए।

    साल 1959 में भारत ने दलाई लामा को शरण दी थी, जब वह एक सैनिक के लिबास में हिमालय को पार कर गए थे।तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा को स्थायी तौर पर भारत में निर्वासित हुए 60 वर्ष हो चुके हैं। तिब्बत में कार्य के लिए दलाई लामा को नोबेल प्राइज से भी सम्मानित किया जा चुका है। इसके बाद वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सेलिब्रिटी बनकर उभर गए थे। हालांकि वक्त के साथ ही बीजिंग का प्रभुत्व बढ़ता जा रहा है।

    रायटर्स को 14 वें दलाई लामा ने कहा कि “चीन दलाई लामा के पुनर्जन्म की महत्वता को समझता है। बीजिंग मुझसे अधिक अगले दलाई लामा को लेकर चिंतित है। भविष्य में यदि दो दलाई लामा अस्तित्व में आते हैं, एक यहां स्वतंत्र देश से और दूसरा जिसे चीन चुने, इस स्थिति में चीन द्वारा चुने गए दलाई लामा को कोई सम्मान नहीं देगा। यह चीन के लिए बड़ी समस्या है। यह संभव है, ऐसा हो सकता है।”

    चीन के मुताबिक “उनके सम्राटों से विरासत में मिले अधिकार के तहत उन्हें अगले दलाई लामा के चयन का अधिकार है। लेकिन कई तिब्बत के लोग मानते हैं कि बौद्ध साधु की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा एक बच्चे में समा जाती है और वह पुनर्जन्म लेता है।” चीन के 60 लाख से भी अधिक तिब्बती लोग दलाई लामा का सम्मान करते हैं जबकि सरकार ने उनकी तस्वीरें सार्वजानिक स्तर पर प्रदर्शित करने पर पाबन्दी लगा रखी है।

    18 अप्रैल 1959 को भारत पहुंचे दलाई लामा
    18 अप्रैल 1959 को भारत पहुंचे दलाई लामा

    उन्होंने कहा कि “उनके और चीनी अधिकारीयों के बीच आधिकारिक मुलाकात साल 2010 तक आयोजित हुई थी। हालाँकि अभी भी चीन में सेवानिवृत्त अधिकारी और कारोबारी समय-समय पर मुलाकात के लिए आते हैं। मेरी मृत्यु के बाद दलाई लामा की भूमिका के बाबत चर्चा इस वर्ष के अंत में तिब्बती बौद्धों के बीच बैठक में होगी।”

    इंटरव्यू के दौरान दलाई लामा ने कोस्मोलॉजी, न्यूरोबिलोजी, क्वांटम फिजिक्स और साइकोलॉजी के प्रति अपना प्रेमजाहिर किया था। उन्होंने कहा कि यदि एक बार उन्हें वापस अपनी मातृभूमि जाने का अवसर मिले तो वह चीनी यूनिवर्सिटी में इसके प्रति भाषण जरूर देना चाहिए। चीन में कम्युनिस्ट पार्टी की हुकूमत तक उनके वापस जाने की कोई सम्भावना नहीं है।”

    उन्होंने कहा कि “चीन एक प्राचीन और महान राष्ट्र है, लेकिन उसकी राजनितिक प्रणाली एकपक्षीय है, आज़ादी नहीं है। इसलिए मैं यहां रहना पसंद करूँगा। हमारी ताकत,हमारी मज़बूती सत्य पर आधारित है,जबकि चीन की शक्ति बन्दूक पर आधारित है। छोटे अंतराल के लिए बन्दूक निर्णायक हो सकती है लेकिन लम्बी अवधि के लिए सत्य कई अधिक ताकतवर है।”

    दलाई लामा तक्तसर के एक किसान परिवार ने जन्मे थे। नास्तिक कम्युनिस्ट पार्टी ने अपनी इच्छा व्यक्त की है कि वह तिब्बती बौद्ध धर्म में दखलंदाज़ी करेंगे। जैसे पंचेन लामा जो अगले दलाई लामा के चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दलाई लामा ने पंचेन लामा के तहत जिस बच्चे का चयन किया था वह छह वर्ष की आयु से चीनी विभाग की हिरासत में हैं।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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