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    जावेद अख्तर

    नयी दिल्ली में चल रहे तीन दिवसीय साहित्य आजतक 2018 के आखिरी दिन दर्शको से रूबरू हुए मशहूर लेखक जावेद अख्तर। उन्होंने साहित्य जगत की ही नहीं बल्कि देश के ऊपर भी काफी चर्चा की। अंजना ओम कश्यप के एक सवाल पर उन्होंने तपाक से जवाब देते हुए कहा कि हिंदुत्व तो 2-3 सालो से खतरे में आया है ,इस्लाम तो बहुत पहले से खतरे में है।

    उन्होंने कहा कि मुझे परवाह नहीं है कि कोई मेरे बारे में क्या कहेगा. हमें किसी का डर नहीं है, पाकिस्तान में हम जाकर नहीं डरे. उन्होंने कहा कि कम्युनल मुसलमानों को सेक्यूलर हिंदू बुरे लगते हैं।

    उन्होंने सबका साथ सबका विकास पर भी बात करते हुए कहा कि इसमें कोई बुराई नहीं है , आखिर कुछ सोचा तो जा रहा है और सोचने में क्या बुराई  है।

    जावेद ने कहा कि  देश में ऐसा कोई नहीं हो सकता जिसे अपने मुल्क से प्यार ना हो, ये सब प्राकृतिक है। हर व्यक्ति को अपने शहर से प्यार होता है, हर किसी को देश से प्यार होता है लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि मैं किसी से नफरत करता हूं। हमारे सभ्यता में रहा है कि असहमत होना पाप नहीं है।

    लोकतंत्र पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि हर किसी को देश का छोटा सा हिस्सा दिया गया है, उस व्यक्ति के पास अपनी गली है मोहल्ला है लेकिन क्या वह अपनी उस जगह से प्यार करता है. बात देश से प्यार करने की हो रही है। लोकतंत्र में अलग विचार होना जरूरी है, अगर एक विचार हो तो दिक्कत है. जो लोग देश को हिट करना चाहते हैं वो कम्युनल नहीं होंगे।

    उन्होंने ये भी कहा कि आने वाली युवा पीड़ी बहुत समझदार है और ये देश को नयी राह दिखाएगी।

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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