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    वाराणसी

    काशी-विश्वनाथ कोरिडोर जोकि माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है, इसका निर्माण होने पर वाराणसी शहर की कायापलट हो जायेगी। कशी शहर जोकि विश्व के सबसे प्राचीन शहरों में से एक है और हिन्दू पौराणिक महाकाव्यों का केंद्र है, अपने स्थानीय बीजेपी एमपी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कारण हाल ही में पूर्ण बदलाव के दौर से गुजर रहा है।

    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया परियोजना का उदघाटन :

    काशी के इस कोरिडोर के निर्माण कार्य की परियोजना का उदघाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 8 मार्च को किया गया था।

    50 फीट चौड़ा काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्राचीन मंदिर और 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक वाराणसी के प्रसिद्ध घाटों को जोड़ेगा। मुख्य मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर, जो पवित्र गंगा नदी के बाएं किनारे पर स्थित है, संकीर्ण और छोटी, गलियों से घिरा हुआ है। इस शहर में पोजा के प्रमुख स्थान पर या फिर ये कहे की पूरे शहर में भीड़ का प्रबंधन बहुत मुश्किल होता है। अतः यह कॉरिडोर जरूरी हो गया है जोकि भीड़ प्रबंधन में मदद करेगा।

    कोरिडोर की विशेषताएं :

    काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट
    काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट की नीव रखते नरेन्द्र मोदी

    काशी से विश्वनाथ मंदिर तक बन्ने वाले इस कॉरिडोर का नोर्मान कार्य खतम होते ही श्रद्धालुओं को चौड़ी और खाली सड़कें और बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। निम्न इसकी विशेषताएं हैं :

    • यह कोरिडोर 50 फीट चौड़ा होगा और यह गंगा के ललित घात से शुरू होकर विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर तक जाने की सुविधा श्रधालुओं को देगा। इस कोरिडोर से गुजरते हुए श्रद्धालु रास्ते में, तीर्थयात्री और यात्री नवनिर्मित संग्रहालय देखेंगे और वाराणसी के प्राचीन इतिहास और संस्कृति के चित्र देखेंगे।
    • इस कोरिडोर में यात्रियों को तमाम सुविधाएं मिलेंगी जिसमे वेटिंग रूम, पंडितों के लिए रुकने की जगह, यात्रियों की सहायता के लिए स्वयंसेवक, याग्यशालास जिसमे हवन और यज्ञ होंगे आदि शामिल हैं।
    • काशी विश्वनाथ मंदिर से ठीक पहले, एक बड़े, राजसी वर्ग में गलियारे का समापन होगा जहां फूड स्ट्रीट होगी जो पर्यटकों और तीर्थ यात्रियों को बनारसी और अवधी व्यंजन परोसेंगी। इसके समक्ष ही पीठासीन देवता के प्रसाद के लिए एक नए भोगशाला का निर्माण किया जाएगा
    • यह शहर सन 1780 के बाद दूसरी बार परिवर्तन से गुजर रहा है। 1780 के बाद केवल 1853 में ही इस शहर मिएँ परिवर्तन किया गया था जब मराठाओं ने मंदिर में सोना चढ़ाया था। इसके बाद अब नरेन्द्र मोदी के द्वारा ही इस शहर में कोई परिवर्तन किया जा रहा है।

    By विकास सिंह

    विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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