बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत जिन्होंने 2006 में फिल्म ‘गैंगस्टर’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था, उन्होंने बाद में ‘वोह लम्हे’, ‘लाइफ इन ए मेट्रो’, ‘क्वीन’, ‘तनु वेड्स मनु’ और ‘मणिकर्णिका’ जैसी फिल्मों से बॉलीवुड में सुपरस्टार का टैग हासिल किया है। वह बॉलीवुड में बाहर से आई है और उन्हें ये मुकाम हासिल करने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा था। इसलिए उन्होंने हमेशा नेपोटिस्म के खिलाफ आवाज़ उठाई है।
हाल ही में, मिड-डे को दिए इंटरव्यू में उन्होंने फिर इस मुद्दे पर बता की। ऑडियंस राउंड के दौरान, उनसे पूछा गया कि अगर बीस साल बाद, उनका बच्चा बोलेगा कि उसे अभिनेता या निर्देशक बनना है तो क्या वह उसकी मदद करेंगी।
अभिनेत्री ने कहा कि अगर उन्होंने मदद की तो उसके अच्छे निर्देशक बनने की संभावना मात्र 50 प्रतिशत तक रह जाएगी और ये भी कहा कि अगर वे वास्तव में उसकी परवाह करती हैं तो वह उसे अपना रास्ता खुद बनाने देंगी। उनके मुताबिक, “अगर मैं माँ होने के नाते वास्तव में उसकी परवाह करती हूँ, मैं उसे अपना रास्ता खुद बनाने दूंगी क्योंकि वह किसी भी चीज़ से, कही से भी अच्छी ज़िन्दगी बना सकता है।”
उन्होंने आगे कहा-“लेकिन अगर मैं चाहती हूँ कि वह असाधारण व्यक्ति बने, मुझे उसे समुन्द्र में फेंक देना चाहिए। या तो वह डूब जाएगा या पार कर जाएगा।”
उन्होंने ये भी साझा किया कि उनका भाई पिछले चार साल से पायलट बनने के लिए संघर्ष कर रहा है और नौकरी ढून्ढ रहा है, जबकि वह एक कॉल कर उसकी मदद कर सकती हैं मगर वो ऐसा करेंगी नहीं। उन्होंने कहा-“उसे वो नौकरी दिलाने का मेरे पास कोई मतलब नहीं है। लेकिन एक महान मानव को उस संघर्ष से बाहर निकलते हुए देखने के लिए, हर दिन – अस्वीकृति, निराशा, लाचारी के माध्यम से – ऐसे मैं अपने भाई को देखना वास्तव में पसंद करुँगी।”
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पूरी नेपोटिस्म बहस तब शुरू हुई जब कंगना ने फिल्ममेकर करण जौहर को उन्ही के शो ‘कॉफ़ी विद करण’ पर ‘नेपोटिस्म का ध्वजधारक’ कह दिया था।
फिल्मों की बात की जाये तो, कंगना ने अश्विनी अय्यर तिवारी की फिल्म ‘पंगा’ की शूटिंग खत्म कर ली है और इन दिनों राजकुमार राव के साथ फिल्म ‘मेंटल है क्या’ की शूटिंग कर रही हैं। उसके बाद वह, तमिल नाडु की पूर्व सीएम जयललिता की बायोपिक में दिखाई देंगी।