कंगना रनौत के 12 साल के करियर में बॉलीवुड को कई बेहतरीन फिल्में देखने के लिए मिली। और सिर्फ इतना ही नहीं, उनके अभिनय को सम्मानित करने के लिए भारत सरकार की तरफ से उन्हें 2 राष्ट्रिय पुरुस्कार भी दिए गए। मगर अब तक 30 फिल्में देने वाली कंगना का पहला प्यार अभिनय नहीं है। उनका पहला प्यार है निर्देशन।
अपनी आगामी फिल्म “मणिकर्णिका-द क्वीन ऑफ़ झाँसी” में कंगना ने केवल अभिनय ही नहीं बल्कि निर्देशक कृष के जाने के बाद, पूरी फिल्म का ज़िम्मा भी संभाला है। इस फिल्म के निर्देशन पर उन्होंने कहा-“ये सुनने में अजीब लग सकता है मगर मैंने खुद को केवल एक अभिनेत्री के तौर पर नहीं देखा। वो मेरी प्राथमिकता है ही नहीं, निर्देशन है। ये मेरे लिए भी चौकाने वाली बात है कि सेट पर एक निर्देशक के तौर पर मैं कितना सहज महसूस करती थी। मैं पसीने से लथपथ हो जाती थी, 500 लोगों से घिरी हुई होती थी और सब एकसाथ चिल्लाते थे, इन सब के बावजूद भी निर्देशन करना अच्छा लगता था।”
“कुछ तो बात है फिल्म का निर्देशन करने में जो बहुत मजेदार है भले ही वो कर्मचारी जैसी ज़िन्दगी हो। फिल्म निर्माण के ऑर्केस्ट्रा में अभिनेता एक छोटा सा हिस्सा होता है और इसलिए मुझे लगता था कि एक रचनात्मक इन्सान होने के नाते मैं ज्यादा काम नहीं कर पा रही हूँ।”
भले ही कंगना ने निर्देशन की ज़िम्मेदारी उठाली हो मगर वे अभिनय कभी नहीं छोड़ेंगी। सफाई देते हुए उन्होंने कहा-“ऐसा नहीं है कि मैं बाकी निर्देशकों के साथ फिल्मों में अभिनय नहीं करना चाहती हूँ- मैं अश्विनी की ‘पंगा’ और प्रकाश की ‘मेंटल है क्या’ कर रही हूँ। मुझे अभिनय पसंद है मगर मुझे हमेशा ऐसा लगता था कि पूरी तरह से उपयोग ना होने के कारण मेरा एक हिस्सा मर रहा है।”
मणिकर्णिका पर अपने काम करने के अनुभव पर कंगना ने कहा-“जब मैं केवल अभिनय कर रही थी तब इस बात को लेकर निराश थी कि मुझे ये नहीं पता था सेट पर क्या हो रहा है। सेट पर काफी दुर्घटना घटी, मुझे कई बार चोट आई। एक अभिनेत्री के तौर पर इस फिल्म को आगे कैसे लेकर जाऊ, ये चिंता मुझे सता रही थी। मगर निर्देशक की कुर्सी पर बेठने के बाद, कोई दबाव नहीं था। केवल लक्ष्य थे। मेरे लिए निर्देशक फिल्म का हीरो होता है और निर्देशन मेरा पहला प्यार है।”
ज़ी स्टूडियोज और कमल जैन के निर्माण में बनी फिल्म “मणिकर्णिका-द क्वीन ऑफ़ झाँसी” अगले साल 25 जनवरी को रिलीज़ होगी।