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    अल्फा बीटा गामा

    अल्फा, बीटा, गामा (alpha, beta, gamma in hindi) मुख्य रूप से तीन नाम या शब्द हैं, जिनका इस्तेमाल किसी भी विषय में चीजों को वर्गीकृत करने के लिए किया जाता है।

    अल्फा (α), बीटा (β), गामा(γ) मुख्यत ग्रीक अक्षर हैं, जिनका इस्तेमाल सदियों से किया जाता आ रहा है।

    जिस प्रकार अंग्रेजी में हम चीजों को वर्गीकृत करने के लिए a, b, c, d का, हिंदी में चीजों का वर्गीकृत करने के लिए अ, ब, स, द का इस्तेमाल करते हैं, उसी प्रकार ग्रीक भाषा में चीजों को वर्गीकृत करने के लिए अल्फा (α), बीटा (β), गामा(γ) का उपयोग किया जाता है।

    ग्रीक के इन अक्षरों से ही अंग्रेजी और अन्य नवीनतम भाषाओँ के अक्षर बने हैं।

    पिछले कई सालों में अल्फा, बीटा, गामा सिर्फ ग्रीक अक्षर नहीं रह गए हैं और इनका उपयोग कई विषयों में कई चीजों को चिन्हित करने के लिए किया जा रहा है।

    विषय-सूचि

    विज्ञान में अल्फा, बीटा, गामा

    विज्ञान के क्षेत्र में अल्फा, बीटा और गामा का उपयोग किरणों के नाम और कानों के नामों को चिन्हित करने के लिए किया जाता है।

    रासायनिक विज्ञान में सूक्ष्म कणों को अल्फा कण, बीटा कण और गामा कण के नाम से जाने जाते हैं।

    • अल्फा कण (alpha particle in hindi)

    अल्फा पार्टिकल यानी अल्फा कण एक हीलियम का नाभिक होता है, जिसमें दो प्रोटोन और दो न्यूट्रॉन होते हैं। अल्फा पार्टिकल में बीटा कण के मुकाबले ज्यादा वजन होता है।

    अल्फा कण बिजली की स्पीड के मुकाबले 10 प्रतिशत की गति से यात्रा करती है।

    जब किसी नाभिक से एक अल्फा कण निकलता है, तब इसका एटॉमिक नंबर 2 कम हो जाता है और इसका एटॉमिक मास 4 कम हो जाता है।

    अल्फा कण मानव शरीर के लिए बहुत हानिकारक होते हैं। यदि इनका संपर्क मानव त्वचा से होता है, तो ये त्वचा को गंभीर रूप से जला सकते हैं।

    • बीटा कण (beta particle in hindi)

    बीटा कण एक इलेक्ट्रान होता है। जब एक नाभिक से एक बीटा कण बाहर निकलता है, तब इसका एक न्यूट्रॉन प्रोटोन में बदल जाता है, जिससे इसका एटॉमिक नंबर 1 कम हो जाता है।

    बीटा कण के निकलने से नाभिक का चार्ज भी ‘नेगेटिव’ हो जाता है।

    बीटा कण की गति बिजली की गति का 90 फीसदी होती है।

    • गामा किरण (gamma rays in hindi)

    गामा किरणें हाई-फ्रीक्वेंसी की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक किरणें होती हैं, जो लाइट की गति से यात्रा करती हैं। गामा किरणें जब निकलती हैं, तो उनमें से अल्फा और बीटा कण निकलते हैं।

    दरअसल अल्फा और बीटा कण की वजह से ही गामा किरण बनती है।

    जब किसी अणु के नाभिक में से अल्फा और बीटा कण निकलते हैं, तब इसमें उर्जा का स्तर अधिक हो जाता है, जिसकी वजह से गामा किरणें उत्पन्न होती हैं।

    गामा किरणें इतनी अधिक शक्तिशाली होती हैं, कि वे मानव शरीर से लेकर बड़ी इमारतों को भी चीर देती हैं।

    गामा किरणों को सुरक्षित रखने के लिए मोटी परत की एक शील्ड तैयार की जाती है, जिसमें इन्हें रखा जाता है।

    यदि गामा किरणें शरीर में प्रवेश कर जाती हैं, तो यह शरीर में मौजूद कणों की संरचना बिगाड़ सकती है। इस कारण से गामा किरणें डीएनए की संरचना को भी बिगाड़ देती है।

    गणित में अल्फा, बीटा, गामा

    गणित विषय में भी अल्फा, बीटा, गामा का उपयोग कई कार्यों में होता है।

    कहा जाता है कि गणित की संख्या 1, 2, 3… आदि ग्रीक के अक्षरों α, β, γ.. की मदद से बनाये गए हैं।

    गणित की शाखा जैसे त्रिकोणमिति (ट्रिगोनोमेट्री), ज्यामिति (ज्योमेट्री) आदि में भी ग्रीक अक्षरों α, β, γ.. का इस्तेमाल किया जाता है।

    त्रिकोणमिति में अक्सर हमनें देखा है कि किसी त्रिभुज के कोणों को α, β, γ.. से चिन्हित किया जाता है।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

    4 thoughts on “अल्फा बीटा गामा क्या है?”
    1. Alpha beta or Gama ka hamaare dainik jeevanmein kis kaam mein laye jaate hain? Inka mathematics me Kya use hota hai?

    2. शरीर में अत्यधिक बीटा गतिविधि होने से कया नुकसान

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