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    greenery in india

    नई दिल्ली, 16 मई (आईएएनएस)| पर्यावरण संरक्षण के लिए भूतपूर्व सैनिकों की स्वयंसेवी संस्था ‘ग्रीन थंब (पुणे)’ ने राष्ट्रीय राजधानी के अलावा देश के विभिन्न हिस्सों में भूमि उर्वरता, भूजल और पर्यावरण को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा रहे विलायती कीकर या विलायती बबूल के नाम से मशहूर मैक्सिको मूल के पौधे ‘प्रोसोपीस एकासिया यूली़फ्लोरा’ को हटाकर उसके स्थान पर स्वदेशी पौधे लगाने की मांग की है।

    ग्रीन थंब (पुणे) के अध्यक्ष सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल सुरेश पाटिल ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “विलायती बबूल ने राजधानी के रिज क्षेत्र के अलावा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के ज्यादातर हिस्सों को अपनी चपेट में ले लिया है। यही नहीं इस पौधे के बीज राष्ट्रपति भवन परिसर में भी मौजूद हैं और इन बीजों को तत्काल हटाया जाना जरूरी है।”

    उन्होंने बताया कि यह ऐसा पेड़ है जो जमीन से पानी तथा हवा से नमी को सोख लेता है तथा भूमि का क्षरण करता है। ये पेड़ न केवल एनसीआर में बल्कि गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान एवं तमिलनाडु के काफी हिस्सों में मौजूद है। वर्ष 1935 में ब्रिटिश अधिकारी ने उस समय देश में बढ़ रहे रेगिस्तान को रोकने के लिए मेक्सिको का एकेसिया का बीज हवाई जहाज से छिड़का था। रेगिस्तान तो रुक गया लेकिन यह विलायती कीकर पूरे देश में फैलता जा रहा है।

    सुरेश पाटिल ने कहा, “यह कीकर या बबूल बारिश का पानी के साथ ही जमीन का भी पानी पी जाता है, जिससे जलस्तर दिन प्रतिदिन नीचे जा रहा है, साथ ही दूसरे पेड़ को भी खोखला और खत्म करता जा रहा है। इन इलाकों में बढ़ते जल संकट तथा पर्यावरण को हो रहे नुकसान को देखते हुए इन पौधों को हटाकर उनके स्थान पर देशी पेड़ लगाए जाने की तत्काल जरूरत है।”

    उन्होंने बताया कि मद्रास उच्च न्यायालय ने हाल में एक अंतरिम आदेश में इन पेड़ों को तमिलनाडु के उन क्षेत्रों से हटाने को कहा था जहां इन पेड़ों के कारण जल स्तर बहुत नीचे चला गया है और जहां के लोग पानी के संकट का सामना कर रहे हैं। इन इलाकों में ट्यूब वेल सूख गए हैं।

    सुरेश पाटिल ने बताया कि दिल्ली और एनसीआर इलाकों के अलावा देश के ज्यादातर इलाकों में प्रदूषण का स्तर बहुत ही अधिक है और प्रदूषण के कारण जन स्वास्थ्य खतरे में है। हाल के एक अध्ययन से निष्कर्ष निकला कि प्रदूषण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए अनेक परिवार दिल्ली से कहीं और जाकर बसने को मजबूर हो रहे हैं। इस विलायती कीकर को सरकार ने जल्द नहीं हटाया तो खासकर महानगरों में पीने की पानी के लिए हाहाकार मच जाएगा।

    उन्होंने कहा, “एक स्वैच्छिक संस्था के तौर पर हम राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण के स्तर को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। दिल्ली के रिज क्षेत्र में वर्षा जल संग्रहण तथा पौधा रोपण की बहुत अधिक आवश्यकता है ताकि राजधानी का वातावरण प्रदूषण से मुक्त हो और हरियाली बढ़े।

    ग्रीनथंब महाराष्ट्र में सक्रिय पूर्व सैन्य कर्मियों का स्वयंसेवी संगठन है जो 1993 से ही पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहा है और इसने अनेक परियोजनाएं शुरू की है जिनमें खडकवासला बांध पुनर्जीवन परियोजना प्रमुख है जो अत्यधिक सफल रही थी।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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