Fri. Dec 27th, 2024
    अहमद पटेल

    कल गुजरात में तीन सीटों के लिए राज्यसभा चुनाव हुए। इन तीन सीटों पर चार उम्मीदवारों ने अपनी ताल ठोंकी थी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के अलावा कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए बलवंत सिंह राजपूत मैदान में थे वहीं कांग्रेस से सोनिया गाँधी के राजनीतिक सलाहकार और पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले अहमद पटेल ने ताल ठोंकी थी। कल शाम चार बजे तक मतदान पूरा हो चुका था और नतीजे शाम को 6 बजे तक आने थे। लेकिन कांग्रेस अपने दो विधायकों के क्रॉस वोटिंग करने के बाद चुनाव आयोग पहुँच गई और उनके वोट रद्द करने की मांग करने लगी। करीब 10 घंटे के हाई-वोल्टेज ड्रामे के बाद देर रात परिणामों की घोषणा हुई। क्रॉस वोटिंग करने वाले दोनों कांग्रेसी विधायकों के वोटों को रद्द कर दिया गया और इस तरह जीत के लिए निर्धारित मतों की संख्या घटकर 43.51 हो गई। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने 46-46 मत प्राप्त किए वहीं कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले अहमद पटेल ने 44 मत प्राप्त किए। इस तरह अहमद पटेल ने आधे मतों से जीत हासिल की और आगामी विधानसभा चुनावों से पहले गुजरात में कांग्रेस को संजीवनी देने का काम किया।

    कांग्रेस को मिली मनोवैज्ञानिक बढ़त

    गुजरात विधानसभा में कांग्रेस उम्मीदवार अहमद पटेल की जीत पार्टी के लिए गुजरात विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा पर मिली मनोवैज्ञानिक बढ़त है। अहमद को हराने के लिए भाजपा ने हर संभव कोशिश की थी। राज्यसभा चुनावों से ठीक पहले दिग्गज कांग्रेसी नेता शंकर सिंह वाघेला ने पार्टी से बगावत कर दी थी। कांग्रेस के कई विधायक पार्टी छोड़ कर शंकर सिंह वाघेला के गुट में शामिल हो गए थे। बेंगलुरु के रेसॉर्ट में ठहराए गए 44 विधायकों में से भी दो विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार बलवंत सिंह राजपूत के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी। कांग्रेस ने अपने विधायकों को अपनी तरफ मिलाकर रखने की हर मुमकिन कोशिश की और भाजपा पर उन्हें तोड़ने के लिए साम, दाम, दंड और भेद इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। कांग्रेस की सहयोगी कही जाने वाली एनसीपी ने भी ऐन वक़्त पर भाजपा का समर्थन करने की बात कही थी। हालांकि उसके एक विधायक ने अहमद पटेल के पक्ष में वोट डाला। वहीं जेडीयू विधायक छोटुभाई वासवा ने भी अहमद पटेल के पक्ष में मतदान किया। इस तरह अमित शाह एंड कंपनी की हर संभव कोशिश के बाद भी कांग्रेस के ‘चाणक्य’ भेदा राज्यसभा का चक्रव्यूह भेदने में सफल रहे।

    गुजरात विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिला आधार

    कुछ महीनों बाद ही गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में यह जीत कांग्रेस पार्टी के लिए संजीवनी की तरह काम करेगी। जब दिग्गज कांग्रेसी नेता शंकर सिंह वाघेला ने पार्टी से बगावत की थी तब कांग्रेस ने कहा था कि उनके जाने से अहमद पटेल की उम्मीदवारी और पार्टी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। अहमद पटेल की उम्मीदवारी के वक़्त कांग्रेस के पास 65 विधायकों का समर्थन हासिल था और कल हुए चुनावों में अहमद पटेल को 44 वोट ही मिले थे। इससे स्पष्ट अंदाजा लगाया जा सकता है कि ‘गुजरात का बापू’ अभी चुका नहीं है। शंकर सिंह वाघेला को राजनीति का ढलता सूरज मानने वाली कांग्रेस को यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि ढलते सूरज में भी बहुत तपिश होती है। चुनावों से पहले अभी कांग्रेस के पास वक़्त है कि वह अपने कार्यकर्ताओं को एकजुट करे और अपनी जमीन तैयार करे। कांग्रेस आगामी चुनाव पाटीदारों, दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों को आधार बनाकर लड़ रही है और मुमकिन है कि पार्टी के ‘चाणक्य’ का कुशल नेतृत्व उन्हें राजनीति के इस कुरुक्षेत्र को जीतने में मदद करे।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।