नई दिल्ली, 7 जून (आईएएनएस)| साल 2016 के नवंबर में 500 और 1000 रुपये के नोट बंद किए जाने से देश में ई-मनी का प्रचलन बढ़ा था, जो साल 2017 में बढ़कर 21.5 फीसदी हो गई, जबकि साल 2012 में यह महज 0.8 फीसदी था। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा तैयार नई रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
‘बेंचमार्किं ग इंडियाज पेमेंट सिस्टम्स’ नाम की रिपोर्ट में कहा गया, “साल 2017 में 345.9 करोड़ ई-मनी लेन-देन के साथ भारत केवल जापान और अमेरिका से पीछे है।”
इस रिपोर्ट में नोटबंदी को ई-मनी के लिए ‘गेमचेंजर’ करार दिया गया है, जिससे देश में ई-मनी को बढ़ावा मिला।
रिपोर्ट में कहा गया, “नोटबंदी से जहां जरूरी प्रोत्साहन मिला। वहीं, मोबाइल अवसंरचना और वैकल्पिक भुगतान प्रणालियों ने सुनिश्चित किया कि जब नकदी का संकट हो तो भुगतान प्रणालियां प्रभावित नहीं हों।”
रिपोर्ट में बताया गया कि जहां मध्यम से उच्च मूल्य वाले लेनदेन अभी भी डिजिटल बैंकिंग चैनल और चेकों के माध्यम से हो रहे हैं, वहीं, कम मूल्य के दैनिक लेन-देन ई-मनी से होने लगे हैं।
इस अध्ययन में पाया गया कि बात जब ऑनलाइन लेनदेन के लिए ई-मनी की आती है, तो भारत अन्य विकसित देशों से मीलों पीछे है।
रिपोर्ट में कहा गया, “भारत हालांकि चीन से पीछे है, लेकिन ई-मनी के प्रयोग से 26 फीसदी ऑनलाइन लेनदेन हुए, जो एक अच्छी संख्या है।”