“The Kashmir Files” फ़िल्म कश्मीरी पंडितों का घाटी से हुए पलायन पर आधारित फिल्म है, लेकिन इसकी गूंज अब सिनेमाघरों में कम, उसके बाहर राजनीति के गलियारों में ज्यादा सुनाई पड़ रही है।
इस बात में कोई शक नहीं है कि 1980 और 1990 के दशक में कश्मीर में जो कुछ भी हुआ, वह निश्चित ही देश के इतिहास में एक काला अध्याय है। घाटी आतंक की आग में जल रही थी… लोगों के खून पानी के भाव बहाए जा रहे थे…. और मज़बूरन, हजारों कश्मीरी पंडितों को वहाँ से अपना सब कुछ छोड़कर घाटी से पलायन करना पड़ा।
आख़िर… “The Kashmir Files” फ़िल्म में ऐसा क्या है?
फ़िल्म के समीक्षा विशेषज्ञों की माने तो इस फ़िल्म ने कश्मीरी पंडितों के 32 साल पुराने जख्मों को फिर से हरा कर दिया है। यह फ़िल्म इस बात को जनमानस के सामने लाने की कोशिश करती है कि किस तरह से कट्टरपंथियों ने घाटी में कश्मीरी पंडितों को वहां से पलायन करने पर मजबूर कर दिया है।
इस फ़िल्म ने तत्कलीन सरकार, पुलिस और मीडिया के रवैये को भी कटघरे में लाकर खड़ी करती है। पुष्कर नाथ पंडित (अनुपम खेर) की कहानी के जरिये उस कश्मीर की सच्चाई बड़े पर्दे पर रखने की कोशिश है जिसमें कट्टरपंथी आतंकवाद ने कश्मीरी पंडितों के जीना-मोहाल कर दिया था।
यह सही है कि सियासत को समझने वाले इसे सियासत की नज़र से देखेंगे तो मालूम पड़ता है कि इस फ़िल्म ने सियासत के एक विशेष पक्ष पर सवाल ज्यादा दागे हैं। लिहाजा दूसरी पार्टी को सियासत का मौका हाँथ लगा है। हालाँकि विवेक अग्निहोत्री ने बख्शा दोनों में से किसी भी पक्ष को नहीं है।
खैर, सबसे अहम बात ये है कि विवेक अग्निहोत्री की यह फ़िल्म सच्चाई के काफ़ी करीब है। यह भी हक़ीक़त है कि इस फ़िल्म के विषय वस्तु का चयन इस लिहाज से हुआ है कि सियायत और फिल्मी मसाला का छौंक जरूर है इस फ़िल्म में।
फिर… इस पर इतनी राजनीति क्यों??
दरअसल कश्मीरी पंडितों से जुड़ा कोई भी मामला हो तो सियासत के धुरंधरों में खलबली मच ही जाती है। ख़ासकर तब से जब अनुच्छेद 370 को हटाया गया है, और कश्मीर से एक पूर्ण राज्य का दर्जा छीन लिया गया है।
फ़िल्म ने यह दिखाने की कोशिश की गई है कि तत्कालीन केंद्र और जम्मू कश्मीर की राज्य सरकारें चुप थी और अपने नाक के नीचे ये सब होने दिया। साथ ही यह भी दर्शाने की कोशिश भी है कि इस मुद्दे को जितनी तवज्जो मिलनी चाहिए थी, सरकारों ने इसे दबाने की कोशिश की।
अब ये बातें तत्कालीन सत्तारूढ़ पार्टियों के लिए मुश्किलात पैदा करती हैं; जबकि तब जो विपक्ष में थे, आज सरकार में है और ऐसे में मौका क्यों चूकें।
अग्निहोत्री ने अपने फ़िल्म में सीमित समय मे आज के सत्तारूढ़ पार्टी से भी सवाल पूछा है कि आर्टिकल 370 जिसे सभी समस्याओं की जड़ बताया गया, उसे हटाने के बाद भी कश्मीर में हालात भारत के बाकी राज्यों जैसे क्यों नहीं है?
कुल मिलाकर इस फ़िल्म ने सत्ता के हर नुमाईंदों को कटघरे में खड़ा किया है कि पिछले 32 सालों में कांग्रेस और बीजेपी के नेतृत्व में इतनी सरकारें बनी और गिरी; पर समस्या ज्यों का त्यों क्यों है?
फ़िल्म के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री और मुख्य कलाकार अनुपम खेर पर पहले भी दक्षिण पंथी विचारधारा के करीब होने का आरोप लगता रहा है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी (BJP) इस मुद्दे को हाँथो हाँथ लपक रही है। यहाँ तक कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी “The Kashmir Files” में दिखाए गए वाकयों को लेकर विपक्ष को घेरने की कोशिश की है।
बीजेपी (BJP) सरकार वाली कई राज्यों ने किया The Kashmir Files को टैक्स-फ्री
The Kashmir Files हिंदूवादी विचार धारा से जुड़ी हुई मालूम पड़ती है। कश्मीरी पंडितों के दर्द और कश्मीर में मजहबी आतंकवाद और कट्टरवादिता से जुड़ी होने के कारण यह फ़िल्म भारतीय जनता पार्टी (BJP) के एजेंडे में फिट बैठती है।
यही कारण है ऐसे कई राज्यो में जहाँ बीजेपी की सरकार है, इस फ़िल्म को टैक्स फ्री कर दिया गया है। गुजरात, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, हरियाणा, के बाद सबसे ताजा-तरीन उत्तर प्रदेश ने भी इसे अपने राज्य के भीतर टैक्स-फ्री कर दिया है। जबकि जिन राज्यों में जहाँ बीजेपी मुख्य विपक्ष की भूमिका में है जैसे महाराष्ट्र और राजस्थान आदि, वहाँ भी यह मांग की जा रही है कि The Kashmir Files को टैक्स-फ्री किया जाए।
सोशल मीडिया पर है जबरदस्त ट्रेंड…
सोशल मीडिया पर कई बड़े-छोटे नेता इसे लेकर अपना मत ज़ाहिर करने में कदाचित नहीं चूक रहे। जनता भी उन्हीं धारा में है, यह कहाँ पीछे रहने वाली है।
केरल कांग्रेस के एक ट्वीट ने इस फ़िल्म को लेकर चल रही राजनीति की आग में घी डालने का काम किया। केरल कांग्रेस ने अपने ट्वीट में लिखा था कि 1990-2007 के बीच कश्मीर में पंडितों की तुलना में मुशलमानो कई ज्यादा जानें गई थी। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी को एक मौका मिल गया और अंततः केरल कांग्रेस को अपना यह ट्वीट डिलीट करना पड़ा।
बाद में सफाई वाले ट्वीट में केरल कांग्रेस ने लिखा कि भारतीय जनता पार्टी के लिए यह मामला हिन्दू-मुश्लिम वाला है जबकि कांग्रेस के लिए यह अलगाववादियों और भारत के समर्थकों के बीच का है।
For BJP, #Kashmir is a Hindu-Muslim problem. For Congress, it’s a long battle between separatists & those who stand with India.
Let’s respect ALL Kashmiris who’ve made sacrifices in this battle.
Congress brought peace & rehabilitated victims. BJP ruined it for politics. (2/3)
— Congress Kerala (@INCKerala) March 14, 2022
PM मोदी ने विपक्ष को लिया आड़े हाँथ
The Kashmir Files मूवी पर बोलते हुए PM मोदी ने भाजपा के संसदीय दल की मीटिंग को सम्बोधित करते हुए कहा कि सालों से दबाया जा रहा सत्य जब बाहर आ रहा है तो कुछ लोग घबराए हुए हैं।
श्री मोदी ने कहा- “जो लोग हमेशा अभिव्यक्ति की आजादी के झंडे लेकर घूमते हैं, वे लोग पिछले 5-6 दिनों से घबराए हुए हैं। इस फ़िल्म की तथ्यों के आधार पर विवेचना करने के बजाए उसे बदनाम करने में जुटे हैं।”
इस सच से कोई भी आँखें नहीं चुरा सकता कि कश्मीरी पंडितों को आज भी उनके अधिकार वापस नहीं मिले हैं। उनका अपने पूर्वजों की जमीन कश्मीर में पुनर्विस्थापन आज भी बाकी है। धारा 370 हटाने के बाद जो उम्मीद जगाई गयी थी, वह आज भी हक़ीक़त से कोसों दूर है।
फ़िल्म के ऊपर राजनीति हो सकती है, फ़िल्म की कमाई भी बढ़ जाएगी, लेकिन जब तक कश्मीरी पंडितों का उनकी अपनी जमीन पर सौहार्दपूर्ण तरीके से वापसी नहीं होती है, यह तमाम बातें उनके जख्मों का सौदा ही है, और कुछ नहीं।