Repo Rate Hike by RBI: लगातर बढ़ती महंगाई के बीच आखिरकार भारतीय रिज़र्व बैंक ने मौद्रिक नीतियों से जुड़ी दरों में इज़ाफ़ा करने का फैसला किया है। इसके तहत रेपो रेट में 0.4% यानी 40 बेसिक पॉइंट (bps) की बढ़ोतरी की है साथ ही कैश रिज़र्व अनुपात (CRR) में भी 50 बेसिक पॉइंट (bps) की बढ़ोतरी की गई है।
देश मे पिछले 3 महीने से लगातार महंगाई दर रिज़र्व बैंक द्वारा तय सीमा @4% (+|- 2%) से ज्यादा रही है जिसके बाद मज़बूर होकर RBI ने यह कदम उठाया।
अप्रैल में हुई मौद्रिक नीति कमिटी (MPC) के बैठक में RBI ने बढ़ती महंगाई दर पर चिंता जताई थी जिसके बाद से ही यह उम्मीद जताई जा रही थी कि RBI जल्दी ही महंगाई को लेकर कोई फैसला लेगा।
हालाँकि मौद्रिक नीति कमिटी (MPC) की अगली बैठक जून में होनी थी लेकिन अनियंत्रित महंगाई के मद्देनजर RBI ने अचानक ही तय समय से 1 महीने पहले ही MPC की बैठक बुला कर यह निर्णय लिया कि उपरोक्त दरों (Repo Rate & CRR) में परिवर्तन किया जाएगा।
Monetary Policy Statement, 2021-22 Resolution of the Monetary Policy Committee (MPC) May 2 and 4, 2022 @DasShaktikanta #RBItoday #RBIgovernor #monetarypolicyhttps://t.co/BABbvoaQeb
— ReserveBankOfIndia (@RBI) May 4, 2022
खत्म हुआ RBI का “Accommodative stance” वाला दौर
RBI का “Accommodative Stance” मतलब उदारवादी नीतियां 2 साल के लंबे दौर के बाद खत्म हो गयी। इस नीति के तहत पिछले दो सालों में RBI ने पॉलिसी रेट (Repo Rate आदि) को यथावत स्थिर रखा था जिससे सस्ते लोन आसानी से उपलब्ध थे।
हालांकि अब इस परिवर्तन के बाद Loan पर ब्याज़ दरें बढ़ जाएंगी। इसलिये निःसंदेह यह कहा जा सकता है कि उदार नीति वाला दौर अब फिलहाल खत्म हो गया है।
आम आदमी पर क्या असर होगा
सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि Repo Rate है क्या? आसान भाषा मे कहें तो रेपो रेट वह दर होती है जिस पर कोई व्यापारी बैंक केंद्रीय बैंक (RBI) से लोन उठाते हैं।
जाहिर है रेपो रेट के बढ़ने से बैंकों के कर्ज लागत बढ़ेगी जिसका सीधा असर हमारे आपके लोन पर पड़ेगा जो हम बैंक से लेते हैं। दूसरी भाषा मे कहें तो हमारे आपके कर्ज की EMI बढ़ जाएगी क्योंकि बैंकों की कर्ज लागत बढ़ जाएगी।
क्या वजहें हैं इस फैसले के पीछे
रेपो रेट (Repo Rate) का बढ़ना या घटना पूरे अर्थव्यवस्था में नकदी के प्रवाह को भी नियंत्रित करता है। RBI रेपो रेट (Repo Rate) को बढ़ाकर बाज़ार में प्रचलित अतिरिक्त नगदी को कम करना चाहता है जिस से बाजार में अतिरिक्त मांग घटेगी और परिणामस्वरूप वस्तुओं की कीमतें नीचे आएंगी।
अनुमानतः RBI के आज के इस कदम से पूरे अर्थव्यवस्था से 87,000 करोड़ रुपये की नकदी वापिस केंद्रीय बैंक में पहुंच जाएगी और बाजार में नकदी की कमी होगी।
RBI के इस कदम के पीछे की वजह महँगाई के नियंत्रण करने की कोशिश ही है। IMF सहित दुनिया भर के कई आर्थिक संस्थाओं ने भारत के विकास दर में कटौती की है। अर्थव्यवस्था की मौलिक सिद्धांत यही कहता है कि जब विकास दर में कटौती हो व महंगाई तेजी से बढ़ने लगे तो अर्थव्यवस्था चरमरा जाती है।
इसी को ध्यान में रखते हुए RBI ने रेपो रेट (Repo Rate) और CRR को कम करने का निर्णय किया है। मतलब साफ है कि अभी तक विकास दर पर ध्यान रखने RBI ने अब महंगाई को नियंत्रित करने की कोशिश को विकास दर के ऊपर प्राथमिकता दी है।
RBI के इस कदम के बाद शेयर बाज़ार में गिरावट
पॉलिसी रेट में बढ़ोतरी की घोषणा के बाद 4 मई को घरेलू शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली। बाजार खुलने के थोड़ी देर बाद सेंसेक्स में 1200 अंकों की गिरावट दर्ज की गई वहीं निफ्टी भी 400 अंकों तक गिर गया था।
The BSE Sensex figure for 04 May, 2022 09:00 AM is 57,201.87
— Sensex India (@bse_sensex) May 4, 2022
The BSE Sensex figure for 04 May, 2022 04:00 PM is 55,669.03
— Sensex India (@bse_sensex) May 4, 2022