Sat. May 4th, 2024

    Category: धर्म

    शिव तांडव

    शिव तांडव (Shiv Tandav) जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्‌। डमड्डमड्डमड्डमनिनादवड्डमर्वयं चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम ॥1॥ जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी । विलोलवी चिवल्लरी विराजमानमूर्धनि । धगद्धगद्ध गज्ज्वलल्ललाट पट्टपावके किशोरचंद्रशेखरे…

    मधुराष्टकम्

    मधुराष्टकं में श्रीकृष्ण के बालरूप को मधुरता से माधुरतम रूप का वर्णन किया गया है। श्रीकृष्ण के प्रत्येक अंग, गतिविधि एवं क्रिया-कलाप मधुर है, और उनके संयोग से अन्य सजीव…

    श्री राम रक्षा स्तोत्रम्

    विनियोग: अस्य श्रीरामरक्षास्त्रोतमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः । श्री सीतारामचंद्रो देवता । अनुष्टुप छंदः। सीता शक्तिः । श्रीमान हनुमान कीलकम । श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्त्रोतजपे विनियोगः । अथ ध्यानम्‌: ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपदमासनस्थं, पीतं…

    रघुपति राघव राजा राम

    रघुपति राघव राजा राम एक उल्लेखनीय भजन है जो महात्मा गांधी द्वारा व्यापक रूप से लोकप्रिय किया गया था। मूल संस्करण (raghupati raghav raja ram original lyrics) रघुपति राघव राजाराम…

    12 ज्योतिर्लिंग कहां कहां है?

    एक ज्योतिर्लिंग या ज्योतिर्लिंगम, सर्वोच्च भगवान शिव का एक भक्ति प्रतिनिधित्व है। ज्योति का अर्थ है ‘चमक’ और शिव की ‘छवि या संकेत’; इस प्रकार ज्योतिर लिंगम का अर्थ है…

    छोटी छोटी गैया, छोटे छोटे ग्वाल

    छोटी-छोटी गैया, छोटे-छोटे ग्वाल छोटो सो मेरो मदन गोपाल छोटी-छोटी गैया, छोटे-छोटे ग्वाल छोटो सो मेरो मदन गोपाल आगे चले गैया, पीछे चले ग्वाल आगे चले गैया, पीछे चले ग्वाल…

    भजन: अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं

    अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी बल्लभम। कौन कहता हे भगवान आते नहीं, तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं। कौन कहता है भगवान खाते नहीं, बेर शबरी के जैसे…

    लिङ्गाष्टकम्

    ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम्। जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्॥१॥ देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम्। रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्॥२॥ सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम्। सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्॥३॥ कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम्। दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्॥४॥ कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गं पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम्। सञ्चितपापविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि…