Rajasthan State Assembly Election 2023: राजस्थान में आगामी 25 नवम्बर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पिछले महीने जब कांग्रेस पार्टी द्वारा उम्मीदवारों को टिकट आवंटन किया जा रहा था, तब कुछ वर्तमान विधायकों की टिकटें काटी भी गई जबकि बड़ी संख्या में (लगभग 80%) वर्तमान विधायकों को एक बार फिर मौका भी दिया गया।
राज्य की सत्ता में काबिज़ को कांग्रेस पार्टी द्वारा जिन विधायकों के टिकट काटे गए उनमें पहला नाम जिस विधायक का था, वह हैं रामगढ़ विधानसभा सीट की पढ़ी-लिखी, तेज- तर्रार 56 वर्षीय महिला विधायक शाफ़िया ज़ुबैर।
अव्वल तो यह कि शफिया ज़ुबैर की यह सीट पर इस बार कांग्रेस ने जिन्हें टिकट दिया है, वह कोई और नहीं बल्कि शफिया के पति ज़ुबैर खान हैं जिन्हें पार्टी ने पिछली बार यह कहते हुए टिकट नहीं दिया था कि वे 2008 से लगातार चुनाव हारते जा रहे थे।
शाफ़िया ज़ुबैर 2018 के पिछले विधानसभा चुनाव में लगभग 10,000 के बड़े अंतर से चुनाव जीतीं थीं। साथ ही, पूरे 5 साल के कार्यकाल में उनका रिकॉर्ड भी अच्छा रहा है। विधानसभा सत्र के दौरान अपने वाक-कौशल के कारण एक बेहतरीन पहचान स्थापित करने के में भी कामयाब रहीं हैं। लेकिन इन सबके बावजूद पार्टी ने उनको टिकट नहीं देने का फैसला किया और उनके जगह एक पुरुष भले वह उनके पति ही हैं, को मैदान में उतारा है।
शाफ़िया ज़ुबैर का मामला महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण की दिशा में एक प्रमुख राजनीतिक दल के निम्नस्तरीय भागीदारी का उदाहरण मात्र है। परंतु ऐसा नहीं है कि इस तरह का मामला बस किसी एक राज्य या किसी एक राजनीतिक पार्टी के भीतर का है।
राजस्थान विधानसभा चुनावों (Rajasthan State Assembly Election) में राज्य की सत्ता में काबिज़ कांग्रेस ने महज़ 28 महिलाओं (मात्र 14%) को टिकट दिया है वहीं केंद्र की सत्तारूढ़ और राजस्थान में विपक्ष की भूमिका वाली भारतीय जनता पार्टी के 200 उम्मीदवारों की सूची में मात्र 20 महिलाओं को चुनाव में उतारा है।
हाल ही में खूब जबरदस्त माहौल बनाकर लोकसभा के विशेष सत्र बुलाकर केंद्र और राज्य के विधानसभा चुनावों में महिलाओं को 33% आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए “नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023” लाने वाली भारतीय जनता पार्टी द्वारा जारी राजस्थान विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों की सूची में महिलाओं की संख्या कुल उम्मीदवारों की संख्या का महज 10% है।
यहाँ यह स्पष्ट करना जरूरी है कि उपरोक्त अधिनियम का लाभ महिलाओं को वर्तमान में नहीं बल्कि आज से 6-8 साल बाद मिलेगा, लेकिन इसकी गूँज और इसके राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश करने में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने राजस्थान (Rajasthan)के चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ा है।
भारतीय राजनीति पर नज़र बनाये रखने वाले हर उस व्यक्ति को यह बखूबी याद होगा कि अभी 2-3 महीने पहले केंद्र सरकार द्वारा संसद में जब नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 को पटल पर लाया गया तो भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दलों ने अपने-अपने तरीके से इसका श्रेय लेने की हरसंभव कोशिश की। लेकिन जब बात राजस्थान विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण की आई तो उनके कथनी और करनी में भारी अंतर नज़र आया है।
Rajasthan Election 2023: महिला मतदाताओं पर जोर
चुनाव आयोग के मुताबिक राज्य (Rajasthan) में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 5.26 करोड़ है जिसमें पुरुष और महिला मतदाताओं की संख्या क्रमशः 2.73 करोड़ और 2.51 (लगभग 48%) करोड़ है। 2018 के पिछले विधानसभा चुनाव के आंकड़ें बताते हैं कि इस चुनाव में महिला मतदाताओं का प्रतिशत (74.66 %) पुरुषों (73.80 %) के मुक़ाबले लगभग 1% ज्यादा था।
यही वजह है कि महिलाओं से जुड़े मुद्दे इस चुनाव में छाए हुए हैं। चाहे बात उनकी सुरक्षा की हो या फिर उन्हें तमाम सुविधा देने की, राजस्थान चुनाव में हिस्सा ले रहा हर प्रत्याशी और हर दल महिला वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए बढ़ चढ़कर दावा और वादा कर रहे हैं।
राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Assembly) में विपक्ष की पार्टी भाजपा ने वर्तमान गहलोत सरकार को महिला सुरक्षा और राज्य में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध के मुद्दे पर लगातार घेरने का काम किया है। वहीं सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी और मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा अपने सरकार द्वारा महिलाओं के लिए चलाए जा रहे योजनाओं और लाभों को प्रमुखता दी है।
राजनीति से इतर देखें तो राजस्थान में महिलाओं के प्रति अपराध का हालिया इतिहास बेहद ख़राब रहा है। राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (NCRB) के हालिया रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 में देश के किसी भी अन्य राज्य के मुकाबले राजस्थान में बलात्कार की घटना सबसे ज्यादा (6337) दर्ज हुई हैं।
NCRB के आंकड़ों को थोड़ा और पीछे जाकर खंगालने पर पता चलता है कि साल 2017 में बलात्कर के मामले सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में दर्ज हुए थे और राजस्थान तीसरे स्थान पर था। परंतु साल कोविड-19 के कुप्रभाव के बाद 2020 और 2021 के वर्षों में बलात्कर के मामले में राजस्थान अब पहले पायदान पर है। जाहिर है, पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं पर बढ़ रहे यौन अपराधों पर लगाम लगाने में राजस्थान की सरकार और व्यवस्था विफल रही है।
“…..वैसे भी राजस्थान मर्दों के प्रदेश रहा है….”
अव्वल तो यह कि राजस्थान में बढ़ते बलात्कर और महिलाओं के साथ अत्याचार की घटनाओं पर बोलते हुए राज्य सरकार के एक मंत्री शांति धारीवाल विधानसभा में कहते हैं – “… रेप के मामले में हम नम्बर एक पर हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है … और ये रेप के मामले क्यों हैं…कहीं न कहीं गलती है… वैसे भी राजस्थान मर्दों के प्रदेश रहा है… अब इसका क्या करें…”
अब मंत्री जी के बयान का क्या मतलब है, यह तो वही जाने …. लेकिन एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि का यह कहना कि “…रेप के मामले बढ़ रहे हैं… क्योंकि राजस्थान मर्दों के प्रदेश है…”, कतई शर्मनाक बयान है। यह बयान पुरुषवादी समाज की मानसिकता को दर्शाता है।
महिलाओं से जुड़े मामलों की बात करें तो राजस्थान में महिलाओं सिर्फ बलात्कर और ऐसे जघन्य अपराधों तक ही बात सीमित नहीं है। यहाँ की महिलाओं और बेटियों को घर-परिवार और समाज मे एक अलग तरह के भेदभाव और पुरुषवादी रूढ़िवादी सोच का शिकार होना पड़ता है।
यहाँ तक कि राज्य की कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje, Ex CM, Rajasthan) को भी अपने तलाक़ को लेकर आये दिन दूसरे पार्टी के नेताओं के टीका-टिप्पणियों का शिकार होना पड़ता है। राजस्थान के एक प्रमुख क्षेत्रीय दल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी प्रमुख हनुमान बेनीवाल कई बार ऐसी टिप्पणियां कर चुके हैं।
राजस्थान में महिला सशक्तिकरण क्यों जरूरी है इसका एक और प्रमाण इस चुनाव को लेकर चल रहे मीडिया रिपोर्टों में देखा जा सकता है। दरअसल, राजस्थान की वर्तमान गहलोत (Ashok Gehlot) सरकार ने गृहणी महिलाओं को स्मार्ट फोन देने की घोषणा की है जिसे लेकर पुरुष मतदाता आये दिन शिकायतें करते मिल जाते है।
इन मीडिया रिपोर्टों में राजस्थान के कई पुरुष यह कहते दिख जाएंगे कि घर की महिलाओं को स्मार्टफोन देने से महिलाएं बिगड़ जाएंगी। अव्वल तो यह कि जब उनसे पूछा जाता है कि अगर आप पुरुष होकर स्मार्टफोन इस्तेमाल कर नहीं बिगड़ रहे और महिलाएं क्यों बिगड़ जाएंगी? इसके जवाब में दाँत बाहर कर के उसी मीडिया कर्मी के साथ अपने जेब से स्मार्टफोन निकालकर सेल्फी लेने लगते हैं।
कुलमिलाकर देखें तो राज्य (Rajasthan) की वर्तमान राजनीति में महिलाओं के वोट पर नज़र सभी दलों की हैं लेकिन जब टिकट देने और उनका राजनीतिक सशक्तीकरण की बात आती है तो भाजपा हो या कांग्रेस या कोई अन्य दल, राजस्थान में सभी दलों ने बस खानापूर्ति ही किया है।
ज्ञातव्य हो कि राजस्थान में आगामी 25 नवंबर को राजस्थान मे विधानसभा चुनाव होना है और इसके मद्देनजर आज 23 नवंबर की शाम को चुनाव प्रचार का दौर थम गया है। इसी के साथ राज्य के मतदाताओं को रिझाने के लिए सभी दलों और प्रत्याशियों द्वारा किये जाने तमाम चुनावी दावे और वायदे व एक दूसरे पर लगाये जाने वाले आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शांत हो गया।
अंतिम तीन दिन और राजस्थान का मतदाता लिखेगा नया अध्याय ।
तैयार हैं न ! २५ नवंबर
समय :- प्रातः 7 से सायं 6 बजे तक#Mission75 #RajasthanAGE2023 #YouthChalaBooth #ECISVEEP #ECI #RajasthanElection2023@DIPRRajasthan pic.twitter.com/Ay6rNGrwOa— CEO RAJASTHAN (@CeoRajasthan) November 22, 2023
अब सरकार में कौन सी पार्टी आएगी और महिला मतदाताओं को कौन और कितना अपने पक्ष में जोड़ने में कामयाब रहा है, इसका पता तो आगामी 03 दिसंबर को अंतिम परिणाम आने के बाद ही चलेगा।
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