Rabi Crops and Unusual Rain: पिछले 1 हफ़्ते में देश के अलग अलग हिस्सों में कुदरत ने अपने सारे रंग दिखाए हैं। कहीं बेमौसम बारिश, कहीं आफ़त के ओले तो कहीं भूकंप के झटके… पिछले 1 हफ़्ते में प्रकृति ने अपने वह सारे रंग दिखा दिए जो किसी के लिए रोमांस का मौका तो किसी के लिए सर पकड़कर बस किस्मत को कोसने पर मज़बूर कर दिया।
बेमौसम बारिश ने किसानों के चेहरे से वह मुस्कान छीन ली जिसे वह उम्मीद कर रहा था कि शायद इस साल उसे बंपर आमदनी होगी। ज्यादातर रबी के फसल (Rabi Crops) पककर अभी खेतों में ही थे कि इस बेमौसम बरसात, आँधी-तूफ़ान और ओलावृष्टि ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
अब इस बारिश से कितना नुकसान हुआ है, इसका ठीक ठाक अंदाजा लगाना अभी तो मुश्किल है लेकिन दैनिक भास्कर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़ राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड सहित कुल 7 राज्यों में लगभग 21 लाख हेक्टेयर की फसल चौपट हुआ है।
हालांकि अभी विस्तृत सर्वे का आना बाकी है लेकिन स्पष्ट है कि नुकसान काफ़ी बड़ा है। इसमें सबसे ज्यादा नुकसान रबी की फसलें (Rabi Crops) और सब्जियों का हुआ है।
Rabi Crops पर जलवायु-परिवर्तन की मार, दूसरे साल लगातार
जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण पिछले साल भी रबी फसलों का बंटाधार हुआ था और इस बार भी बेमौसम बारिश ने रबी किसानों (Rabi Crops) के लिए मुश्किल हालात पैदा कर दिए हैं। जहाँ पिछले साल मार्च के मध्य में अचानक तेज़ गर्मी से फसलें झुलस गईं थीं, वहीं इस बार बेमौसम बरसात के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
2021-22 में सितंबर से जनवरी के बीच जरूरत से ज्यादा बारिश और फिर आज तक का सबसे गर्म मार्च महीने में तापमान के अचानक अप्रत्याशित बढ़ोतरी के कारण गेहूं के फसल के झुलस जाने के कारण उपज के आँकड़ें मनमाफ़िक नहीं थे।
इस बार 2022-23 मे भारत में नवंबर से फरबरी तक तुलनात्मक रूप से बहुत ही कम बारिश हुई है। इस साल के सर्दी के मौसम को “ड्राई विंटर” की संज्ञा दी गई। इस साल फरबरी (2023) अब तक का सबसे गर्म फ़रवरी रहा है।
इसके बाद उम्मीद थी कि इस बार मार्च तापमान के मामले में शायद अपना पुराना रिकॉर्ड ही तोड़ देगा। किसान को डर था कि अगर ऐसा हुआ तो पिछले साल के भाँति ही इस बार भी फसलें झुलस जाएंगी। लेकिन इस साल मार्च में ऐसा हुआ नहीं। उल्टा मार्च का तापमान 30-33 डिग्री के दायरे में ही औसतन रहा जिस से उम्मीद जगी कि देश मे शायद रबी फसल (Rabi Crops) में इस बार बंपर उपज होने वाला है।
परंतु क़ुदरत के आगे इंसान की क्या विसात…. लिहाज़ा किसानों को जो डर ज्यादा तापमान को लेकर था, हुआ ठीक उलट। मार्च के मध्य में मौसम ने करवट ली और मूसलाधार बारिश, आँधी- तूफान और ओलावृष्टि ने किसानों की सारी उम्मीदों पर गहरा प्रहार किया। किसानों के पास आसमान की तरफ निहारने और आँखों में निराशा भर कर सारी उम्मीदों को बस एक बार फिर दफ़न करने के अलावे कोई चारा भी क्या बचा था।
स्पष्ट है कि लगातार दूसरे साल भी रबी फसल (Rabi Crops) के किसानों के लिए उम्मीदों से विपरीत साबित हुआ है। इस असमय वर्षा और मौसम की मार से कितना नुकसान हुआ है इसका सटीक अंदाज़ा अभी तक नही लगा है।
प्रमुख फसलें जिन पर पड़ेगा असर
इस बेमौसम बरसात की वजह से रबी फसलों (Rabi Crops) को नुकसान हुआ ही है; साथ ही इस मौसम में कुछ फलों की कृषि को भी भारी नुकसान हुआ है।
रबी फसलों की बात करें तो न सिर्फ गेहूँ बल्कि सरसो आदि की फसल भी अभी तक खेतों में ही हैं और इन फसलों को बारिश और ओलावृष्टि से भारी नुकसान होने की संभावना है। एक और महत्वपूर्ण बात यह कि जिन लोगों ने फसल खेत से काट भी लिया तो उस कटे फसल को भी खलिहान में कुछ 1 हफ्ते के आस पास खुले आसमान में रखा जाता है ताकि फसलों में बची खुची नमी भी धूप में कम हो जाए।
रबी फसल (Rabi Crops) के अलावे वर्तमान में बाज़ार में आये अंगूर से लेकर आने वाले दिनों आम के फसल, मिर्च से लेकर धनिया और जीरा आदि को भी बड़ा नुकसान हुआ है।
उपभोक्ता से ज्यादा उत्पादक को नुकसान इस बार
मौसम की मार के आगे किसान विवश पिछले साल भी था और इस साल भी। लेकिन पिछले साल यह मार उत्पादक (किसान) पर और उपभोक्ता (Consumers) यानी आम जनता पर बराबर से पड़ा था। इसके पीछे की वजह थी रूस यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक आपूर्ति-व्यवस्था (Global Supply Chain) का ठप्प होना।
इस बार वैश्विक आपूर्ति-व्यवस्था (Global Supply Chain) के हालात सामान्य है और रूस तथा यूक्रेन दोनों के युद्ध-ग्रस्त होने के कारण गेंहूँ की वैश्विक आपूर्ति के लिए अच्छा मौका भी था। लिहाज़ा भारतीय किसानों के लिए एक उम्मीद की किरण थी जिस पर अचानक हुए बारिश के कारण पानी फिरता दिख रहा है।
एक तथ्य यह भी है कि इस वजह से आने वाले महीनों में महँगाई थोड़ी और बढ़ सकती है जिसे कम करने के लिए पहले ही सरकार और RBI की सांसें फूल रही हैं। इन हालातों के मद्देनजर यह लाज़िमी है कि वक़्त रहते सरकार कोई ठोस सकारात्मक कदम उठाए। यह कदम बस तात्कालिक राहत देने वाला नहीं हो बल्कि एक दूरगामी सोच और इन चुनौतियों से भविष्य में भी निपटने का रास्ता दिखाए।
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